चौतरफा घिरे अडानी, अब बंग्लादेश सरकार ने लिखी चिट्ठी, क्या है 7 साल पुरानी डील

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चौतरफा घिरे अडानी, अब बंग्लादेश सरकार ने लिखी चिट्ठी, क्या है 7 साल पुरानी डील

चौतरफा घिरे अडानी, अब बंग्लादेश सरकार ने लिखी चिट्ठी, क्या है 7 साल पुरानी डील


नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी मानो चौतरफा घिर गए हो। हर तरफ से उनपर हमले हो रहे हो। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद शेयरों में गिरावट जारी है। कंपनी की कमाई घट रही है। खुद गौतम अडानी का निजी वेल्थ घट रहा है। अमीरों की लिस्ट में वो तीसरे से 16वें नंबर पर पहुंच गए है। अचानक उन्हें अपना एइपीओ वापस लेना पड़ा। क्रेडिट सुईस , अब सिटी ग्रुप ने भी उनकी मुश्किलें बढ़ा दी। वहीं सेबी और एनएसई ने उनके शेयरों पर निगरानी बढ़ा दी। एक के बाद झटके लग ही रहे थे कि बंग्लादेश के साथ सात साल पुराने डील में भी बाधा खड़ी होती दिख रही है। बंग्लादेश और अडानी पावर लिमिटेड के बीच साल 2017 में बिजली खरीद को लेकर समझौता हुआ था। अब दोनों के बीच पावर पर्चेंज एग्रीमेंट यानी PPA को लेकर विवाद खड़ी हो गया है। बंग्लादेश ने अडानी से मांग की है कि वो बिजली खरीद समझौते को संशोधित करे। उसने कहा कि उन्हें काफी महंगी बिजली मिल रही है।

बांग्लादेश ने अडाणी पावर लिमिटेड के साथ 2017 के बिजली खरीद समझौते में संशोधन की मांग की है। अधिकारियों ने बृहस्पितवार को ढाका में यह जानकारी देते हुए कहा कि कोयले से पैदा होने वाली बिजली काफी महंगी है। बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीसी) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ”हमने समझौते में संशोधन के लिए भारतीय कंपनी से संपर्क किया है।” उन्होंने इस बारे में ज्यादा ब्योरा नहीं दिया।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, भारत के झारखंड में अडाणी के संयंत्र के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक कीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है। बांग्लादेश की निजी समाचार एजेंसी यूएनबी के अनुसार बिजली खरीदने वाले बीपीडीसी ने पत्र लिखकर संशोधन की मांग की है। इससे पहले अडाणी पावर ने उससे अनुरोध किया था कि झारखंड के गोड्डा में 1,600 मेगावॉट क्षमता वाले संयंत्र के लिए कोयले का आयात करना है। बीपीडीसी के एक अनाम अधिकारी ने यूएनबी को बताया, ”हमारे अनुसार उनके द्वारा बताई गई कोयले की कीमत (400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन) बहुत अधिक है। यह 250 डॉलर प्रति टन से कम होनी चाहिए, जो हम अपने दूसरे ताप बिजली संयंत्रों में आयातित कोयले के लिए भुगतान कर रहे हैं।

समझौते में संशोधन की बांग्लादेश की मांग के बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नयी दिल्ली में कहा कि यह एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच का सौदा है। उन्होंने कहा, ”मैं समझता हूं कि आप एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच एक सौदे का जिक्र कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हम इसमें शामिल हैं। यह पूछने पर कि क्या यह द्विपक्षीय संबंधों के दायरे में नहीं आता है, उन्होंने कहा कि सरकार व्यापक तौर पर आर्थिक एकीकरण और पड़ोसी देशों के साथ संपर्क जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।

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