चौटाला की रैली, सोनिया से मुलाकात, 10 जनपथ में नीतीश-लालू को कितना मिला भाव? जानिए

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चौटाला की रैली, सोनिया से मुलाकात, 10 जनपथ में नीतीश-लालू को कितना मिला भाव? जानिए

चौटाला की रैली, सोनिया से मुलाकात, 10 जनपथ में नीतीश-लालू को कितना मिला भाव? जानिए

नील कमल, पटना : हरियाणा के फतेहाबाद जिले में चौधरी देवीलाल के 109वीं जयंती पर रैली का आयोजन हुआ। इसका मकसद 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता की ताकत दिखाना था। रैली के आयोजक ओम प्रकाश चौटाला थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर सक्रिय हैं। ओम प्रकाश चौटाला ने इस रैली का नाम ‘सम्मान दिवस रैली’ दिया था। ओम प्रकाश चौटाला की इस सम्मान दिवस रैली में एनसीपी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार, जेडीयू (JDU) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी (RJD) नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शिवसेना का प्रतिनिधि, डीएमके (DMK) नेता और सीपीआईएम (CPI-M) के सीताराम येचुरी भी शामिल हुए।

फतेहबाद से हस्तिनापुर पर नजर
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के 109वीं जयंती के बहाने विपक्षियों ने मंच साझा किया। इसका मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार को हटाने के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना था। 33 साल पहले यानी 1989 में चौधरी देवीलाल ने अपने 75वें जन्मदिन पर पहली बार दिल्ली में विपक्षी एकजुटता के लिए ‘सम्मान दिवस’ रैली का आयोजन किया था। इसके बाद इनेलो (INLD) की ओर से हर साल सम्मान दिवस रैली का आयोजन हो रहा है। चौधरी अभय सिंह चौटाला ने फतेहाबाद की रैली में 11 राज्यों के विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को एक मंच पर बुलाकर एकजुट करने की कोशिश की।

सोनिया गांधी से लालू-नीतीश की मुलाकात
ओम प्रकाश चौटाला की रैली में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव सोनिया गांधी से मिले। मुलाकात का मकसद विपक्षी एकजुटता में कांग्रेस भी शामिल करना है। ताकि विपक्ष और ज्यादा मजबूत होकर 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सके। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पहल पर सोनिया गांधी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने को तैयार हुईं। सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद यादव चाहते हैं कि तेजस्वी यादव बिहार की कमान संभाले और नीतीश कुमार देश की राजनीति कर भाजपा की सरकार को दिल्ली की सत्ता से हटाने का काम करें। लालू-नीतीश और सोनिया की मुलाकात करीब 20 मिनट चली। मीटिंग के बाद लालू यादव ने कहा कि ‘अभी सोनिया गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में व्यवस्त हैं। हम लोग एक बार फिर मुलाकात करेंगे और बैठकर चर्चा करेंगे।’ नीतीश कुमार ने कहा कि हमने सोनिया जी से बात की। हमारा विचार है कि विपक्ष को एकजुट होकर और मिलकर देश की प्रगति के लिए काम करना चाहिए। उनके पार्टी अध्यक्ष का चुनाव है, इसके बाद आगे मुलाकात में इस पर बात होगी। लालू नीतीश ने एक सुर में कहा कि हमारी मंशा बीजेपी को हटाना और देश को बचाना है।

‘BJP को हटाना है, देश को बचाना…’ सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद लालू-नीतीश ने भरी ‘हुंकार’
नीतीश में खुद का कोई कॉन्फिडेंस नहीं बचा : BJP
बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय प्रभारी एवं प्रदेश प्रवक्ता सुरेश रुंगटा ने कहा कि बिहार में बीजेपी के साथ नीतीश कुमार सम्मान पूर्वक अपनी सरकार चला रहे थे। लेकिन उनके दाएं-बाएं रहने वाले सलाहकारों ने प्रधानमंत्री बनने का सब्जबाग दिखा दिया। इसके बाद से ही नीतीश कुमार खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर देखने लगे। यही वजह है कि आज पीएम बनने की चाहत में नीतीश कुमार हर वह काम करने में भी नहीं हिचक रहे जो देश, बिहार या खुद उनके हित में नहीं है।

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार के सिर पर प्रधानमंत्री बनने का भूत ऐसा सवार हुआ है कि जिस भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के खिलाफ उन्होंने लड़ाई लड़ी थी, आज उन्हीं का हाथ पकड़कर चलने की जरूरत महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि अब नीतीश कुमार में खुद का कोई कॉन्फिडेंस नहीं बचा है। यही वजह है कि लालू यादव जिस तरफ उन्हें जाने को कहते हैं, नीतीश कुमार सिर झुकाकर उसी तरफ चल देते हैं। सुरेश रुंगटा ने कहा कि नीतीश कुमार अब यह भी मान चुके हैं कि उनके नेता तेजस्वी यादव हैं। इसलिए नीतीश कुमार जब भी कोई बयान देते हैं तो पीछे खड़े तेजस्वी यादव की ओर देखकर यह कहते हैं कि हमें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। अब तो हम इन बच्चों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

सुरेश रुंगटा का कहना है कि आज चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव भले ही नीतीश कुमार की लाठी बनकर उनके साथ चल रहे हैं। लेकिन इसके पीछे लालू प्रसाद यादव का अपना स्वार्थ छिपा है। दरअसल, लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार के सीएम की गद्दी पर बिठाना चाहते हैं। जिस दिन लालू प्रसाद यादव का ये मिशन पूरा हुआ, वो नीतीश कुमार को कहीं का नहीं छोड़ेंगे। यानी आज नीतीश कुमार जो पीएम बनने का जतन कर रहे हैं, उनका पतन खुद लालू प्रसाद यादव 2024 चुनाव के पहले ही कर चुके होंगे।

चौटाला की रैली से केजरीवाल, ममता, केसीआर और कांग्रेस नदारद
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी कई बार ये कह चुकी है कि 2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की सीधी लड़ाई अरविंद केजरीवाल से होगी। इसका मतलब ये है कि विपक्ष की ओर से अरविंद केजरीवाल भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। दूसरी तरफ 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर ही विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में लगे केसीआर भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। इसी सिलसिले में वो बिहार आकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात कर चुके हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी भी खुद को प्रधानमंत्री पद का प्रबल उम्मीदवार मानती हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता एक बार फिर से राहुल गांधी को रिलॉन्च कर प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा का क्या होगा, ये समझना मुश्किल नहीं है।

सुरेश रुंगटा ने ये भी कहा कि वैसे तो विपक्ष एकजुट हो नहीं सकता क्योंकि तमाम विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मौजूद हैं। एकबार ये भी मान लिया जाए कि तमाम विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं और 2024 में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। उस स्थिति में बीजेपी को और भी ज्यादा फायदा होगा। क्योंकि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल को देख चुकी होगी। विश्व पटल पर भारत की क्या स्थिति है, ये भी जान चुकी है। लिहाजा 2024 में देश की जनता 2019 से भी ज्यादा सीटें देकर नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का काम करेगी। सुरेश रुंगटा ने कहा कि 2024 में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी होगी और नीतीश कुमार का राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाएगा।

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