चूना-रंग से दवाएं और कोडीन फॉस्फेट से बना रहे थे कफ सिरप, दो कमरों की फैक्ट्री में मिला नकली दवाओं का जखीरा

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चूना-रंग से दवाएं और कोडीन फॉस्फेट से बना रहे थे कफ सिरप, दो कमरों की फैक्ट्री में मिला नकली दवाओं का जखीरा

चूना-रंग से दवाएं और कोडीन फॉस्फेट से बना रहे थे कफ सिरप, दो कमरों की फैक्ट्री में मिला नकली दवाओं का जखीरा

पलवल में हरियाणा NCB डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने एक जगह पर छापेमारी की। यहां पर नकली दवाओं का जखीरा मिला है। ड्रिस्ट्रिक्ट ड्रग कंट्रोलर संदीप गलवान का कहना है कि बड़े पैमाने पर आरोपी नशीली व प्रतिबंधित दवाएं बनाकर सप्लाई कर रहे थे। इन दवाओं को लेने से व्यक्ति को इनकी लत लग जाती है।

 

पलवल में पकड़े गए आरोपी

हाइलाइट्स

  • एनसीबी के अधिकारियों ने की पलवल में छापेमारी
  • एक दिन पहले नोएडा में हुई थी छापेमारी
  • पुलिस सप्लाई चेन और साथियों की कर रही जांच
  • कई जिलों में नकली दवाओं की सप्लाई होती थी
पलवल: हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने शनिवार रात पलवल में नकली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की। पता चला कि दो कमरों के मकान में टीन शेड डालकर फैक्ट्री बनाई गई थी, जहां आरोपी ब्रैंडेड दवा के नाम से नकली व प्रतिबंधित दवा बनाकर कई ज़िलों में सप्लाई कर रहे थे। डॉक्टरों का कहना है कि इन दवाओं से लीवर और लंग्स पर बुरा असर पड़ता है और इनकी लत भी लग जाती है। कम कीमत में अधिक मुनाफे के लिए मेडिकल स्टोर संचालक इन्हें बेचा जा रहा था। मौके से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अब इनके साथियों और सप्लाई चेन का पता लगाया जाएगा।

अब तक की जांच में पता चला है कि पलवल में फैक्ट्री करीब एक साल से चल रही थी। यहां से फरीदाबाद-पलवल और नूंह के इलाकों में दवाओं की सप्लाई हो रही थी। दवाएं हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी के नाम पर बन रही थीं।

कोडीन फॉस्फेट से बनाते थे कफ सिरप

यहां कोडीन फॉस्फेट युक्त कफ सिरप बनाया जा रहा था। सिरप से भरीं 2850 बोतलें बरामद की गई हैं। प्लास्टिक कैन से 14 किलो 250 ग्राम कफ सिरप भी मिला है, जिसे खपाया जाना था। करीब 400 स्टिकर, दो कैंप सीलिंग मशीन, स्टिकर लेबलिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक तराजू, गैस सिलिंडर, चूल्हा व अन्य सामान भी मौके से मिला है। इनके अलावा गत्ते की 24 पेटियों में नशीली दवाइयां भरी हुई थीं।

नकली दवा बनाने का बड़ा रैकेट

आरोपी नूंह ज़िले पंकज सिंगला और राजेश कुमार करीब एक साल से नकली और नशीली दवाइयां बनाकर मार्केट में सप्लाई कर रहे थे। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में कार्यरत सब-इंस्पेक्टर कीमती लाल ने बताया कि ख्याली एन्क्लेव स्थित लक्खी नंगला में एक मकान में शेड डालकर दो कमरों में नकली और नशीली दवा बनाई जा रही थीं। इस बारे में कैंप थाना पुलिस में एनडीपीएस एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करवाया गया है। कैंप थाना पुलिस इंचार्ज का कहना है कि यह बड़ा रैकेट है। इसकी व्यापक स्तर पर जांच की जा रही है।

लीवर और लंग्स खराब होने का खतरा

इसका असर लीवर और लंग्स पर पड़ता है। ये खराब होने लगते हैं। अब तक कितनी दुकानों पर इनकी सप्लाई हो चुकी होगी, इसके बारे में पता लगाया जाएगा। जिस ब्रैंड का कफ सिरप पकड़ा गया है, उस पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन डॉक्टर के पर्चे पर ही इसे बेचा जा सकता है। वहीं ये दवा नकली भी है, इसलिए स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। CMO डॉ़ लोकवीर का कहना है कि ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। नकली और प्रतिबंधित दवाओं के कारण लीवर और लंग्ज खराब हो सकते हैं। अन्य बीमारियां भी इससे लग जाती हैं। शहर में बडे स्तर नकली और नशीली दवा की बिक्री की जा रही है। मेडिकल स्टोर संचालक नशीली दवा खुलेआम बेच रहे हैं। आरोप है कि ड्रग कंट्रोलर कभी जांच करने नहीं आते हैं।

NCR में लगातार सामने आ रहे मामले

नकली और नशीली दवा बनाने के मामले NCR में लगातार सामने आ रहे हैं। पलवल और फरीदाबाद में आए दिन पुलिस नशीले इंजेक्शन पकड़ती है, जो ऐसी ही फैक्ट्रियों में तैयार होते हैं। हाल ही नोएडा में तीन मार्च को नकली व प्रतिबंधित कफ सिरप बनाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। उज्बेकिस्तान में इस कफ सिरप के कारण 18 बच्चों की मौत होने का भी आरोप है। गाज़ियाबाद में कैंसर की नकली दवा बनाने की अवैध फैक्ट्री भी पकड़ी गई है। पिछले साल अप्रैल में फरीदाबाद में नकली कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी पकड़ी गई थी। इससे पहले जुलाई-2019 में फरीदाबाद की एक कंपनी पर सेना को नकली दवाएं सप्लाई करने का आरोप लगा था। कंपनी को नोटिस जारी किया गया था। गुड़गांव में भी नकली दवाएं बनाकर ईराक में सप्लाई करने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई थी।

ऐसे करें असली-नकली की पहचान

ओरिजनल दवाओं पर यूनिक कोड प्रिंट रहता है। इसे मोबाइल से स्कैन कर दवा की मैन्युफैक्चरिंग डेट, लोकेशन और पूरी सप्लाई चेन की जानकारी मिल जाएगी। दवा के पत्ते या बोतल पर QR कोड नहीं है तो ये नकली हो सकती है। 100 रुपये से अधिक कीमत वाली दवाओं पर बारकोड लगाना ज़रूरी होता है।

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