चुनावी साल में नेताओं को याद आता है यह गांव, यहां फैली है रहस्यमयी बीमारी

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चुनावी साल में नेताओं को याद आता है यह गांव, यहां फैली है रहस्यमयी बीमारी

चुनावी साल में नेताओं को याद आता है यह गांव, यहां फैली है रहस्यमयी बीमारी

भिंड: मध्यप्रदेश में 5 साल बाद फिर से विधानसभा के चुनाव होने हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कई वादे किए गए थे जो 2023 तक पूरे नहीं हुई। चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए नेता तरह-तरह के वादे करते हैं। लेकिन इन वादों को पूरा नहीं किया जाता है। ऐसे ही झूठे वादों का दंश झेल रहा है भिंड जिले का एक गांव। दरअसल, जिले का स्टेशनपुरा गांव के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इस गांव में पिछले कई साल से एक रहस्यमयी बीमारी फैली हई है। गांव की आबादी करीब 350 लोगों की है। गांव के ज्यादातर घरों में लोगों की हड्डियां अपने आप टूटने लगती हैं। ज्यादातर घरों 25 साल के युवाओं के पैर टेढ़ापन आ गया है। वहीं, 40 साल के उम्र के लोगों की हड्डियां अपने आप टूटने लगी हैं।

एक्सपर्ट का कहना है कि इस गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है जिस कारण से यहां के लोगों में इस तरह की बीमारी फैली है। एक्सपर्ट के अनुसार, पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1 से 1.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर सामान्य मानी जाती है। लेकिन इस गांव के 1 लीटर पानी में 2.4 से 4 मिलीग्राम फ्लोराइड मिल रहा है। जिस कारण से इस तरह की बीमारी पूरे गांव में फैल गई है।

गोहद विधानसभा सीट में आता है गांव
स्टेशनपुरा गांव, भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट में आता है। स्टेशनपुरा गांव में रहने वाले लोग नेताओं के वादों का भरोसा करके उन्हें वोट देते आ रहे हैं, लेकिन एक बार जीत हासिल होने के बाद जनप्रतिनिधि वापस गांव की तरफ नहीं आते हैं। अब इस गांव के लोग तिल-तिल कर मरने के लिए मजबूर हैं। बच्चे से लेकर युवा और बुजुर्गों तक हड्डी की बीमारी देखने को मिलती है। इस बीमारी में पैर टेढ़े होने लगते हैं और समय के साथ हड्डियां टूटने लगती है। इस गांव के हर घर में इस बीमारी के मरीज देखने को मिल जाते हैं। बैसाखियों के सहारे चलना यहां के ज्यादातर लोगों की मजबूरी बन चुका है।

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चुनाव के समय गांव आते हैं नेता
इस गांव के लोगों का कहना है कि जब भी चुनाव आते हैं तो नेता लोकलुभावन वादे लेकर स्टेशनपुरा गांव पहुंच जाते हैं। ग्रामीण जब नेताओं को अपनी समस्या बताते हो तो नेता उन्हें भरोसा देते हैं कि चुनाव जीतने के बाद गांव की समस्या को खत्म करेंगे लेकिन कई सालों बाद भी इस गांव की समस्या दूर नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव के पानी में कुछ ऐसा केमिकल मौजूद हैं जिसकी वजह से उनको यह बीमारी लग जाती है।

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अब तो नेताओं के प्रति ग्रामीणों के मन में गुस्सा फूटने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार अगर नेता वोट मांगने आते हैं तो वह सबसे पहले अपनी समस्या को हल कराएंगे उसके बाद ही किसी भी नेता को वोट देंगे। ग्रामीणों ने बताया कि हमें हैंडपंप से पानी पीने के लिए मना किया गया है।

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