चुनावी ट्रेनिंग बोरिंग? लेकिन बीच में सो गए तो दोबारा लेनी पड़ रही है कर्मचारियों को ट्रेनिंग

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चुनावी ट्रेनिंग बोरिंग? लेकिन बीच में सो गए तो दोबारा लेनी पड़ रही है कर्मचारियों को ट्रेनिंग

चुनावी ट्रेनिंग बोरिंग? लेकिन बीच में सो गए तो दोबारा लेनी पड़ रही है कर्मचारियों को ट्रेनिंग

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली में चुनावी माहौल पूरे शबाब पर है। इन सबके बीच पोलिंग बूथों पर विभिन्न कामों को संभालने का जिम्मा सरकारी कर्मचारियों पर है। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन, अधिकारियों के अनुसार अक्सर देखा गया है कि कर्मचारी इस ट्रेनिंग के दौरान सो जाते हैं। इसका खामियाजा चुनाव प्रक्रिया के दौरान पोलिंग बूथों पर देखने को मिलता है। अधिकारी इस समस्या से बहुत परेशान थे।

यही वजह है कि अब विभिन्न आरओ ने इस समस्या का हल निकाल लिया है। उन्होंने ट्रेनिंग के बाद कर्मचारियों के टेस्ट लेने शुरू कर दिए हैं जिसमें ट्रेनिंग से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। यदि कर्मचारी इस टेस्ट में फेल हो जाते हैं, तो उन्हें दोबारा ट्रेनिंग लेने को कहा जा रहा है। दोबारा ट्रेनिंग लेने वाले कर्मचारियों में कई जिलों में तो 20 से 35 प्रतिशत तक कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। इस ट्रेनिंग में वीवीपैट से जुड़ी ट्रेनिंग, चुनावी प्रक्रिया से जुड़े नियम, मतदाता द्वारा किए जाने वाले विभिन्न सवाल, पोलिंग बूथ में किन बातों की पाबंदियां हैं, आदि जैसी चीजों की जानकारी दी जाती है।

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इस ट्रेनिंग के लिए सभी विभागों से कर्मचारी लिए जाए हैं। वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों का कहना है कि इस ट्रेनिंग को इतना बोरिंग बना दिया जाता है कि नींद आना स्वाभाविक है। ट्रेनिंग का ज्यादातर हिस्सा वन-वे कम्युनिकेशन रहता है, जिसमें स्कूल के बच्चे की तरह पढ़ाई होती रहती है। यदि इस ट्रेनिंग को कुछ दिलचस्प बना दिया जाए तो यह समस्या कम होगी।

जब इस संदर्भ में अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि इस ट्रेनिंग को कम से कम समय में पूरा करवाने की चुनौती होती है। पहली बार ट्रेनिंग विभागों के कर्मचारियों की होती है। इसलिए उन विभागों का काम भी प्रभावित होता है। इस ट्रेनिंग को यदि लंबा खींचा जाएगा तो लोगों के कामों में ही दिक्कतें आएगी। दूसरा, ट्रेनिंग को लंबा चलाने से चुनावी खर्च भी कई गुणा बढ़ेगा। कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक होती है। उन्हें दिन के हिसाब से ट्रेनिंग के लिए भी मानदेय भी दिया जाता है। यही वजह है कि ट्रेनिंग के स्वरूप के साथ अधिक बदलाव नहीं किए जा सकते।

क्या है ट्रेनिंग और चुनावी ड्यूटी का मानदेय

अधिकारी अमाउंट लंच कुल
सेक्शन ऑफिसर 5000 150 5150
मास्टर ट्रेनर 2000 2000
माइक्रो ऑब्जर्वर 1000 1000
बीएओ 3000 3000

पोलिंग पर्सनल

प्रिसाइडिंग ऑफिसर 1050 150 1200
पोलिंग ऑफिसर 750 150 900
क्लास 4 450 150 500

रिसेप्शन पार्टीज

रिसेप्शन सुपरवाइजर 700 150 850
रिसेप्शन असिस्टेंट 500 150 650
क्लास 4 300 150 450
काउंटिंग पार्टीज 700 150 850
काउंटिंग असिस्टेंट 500 150 650

NBT नजरिया
कोई ट्रेनिंग या वर्कशॉप हो या फिर किसी विषय का क्लासरूम। अगर विषय को रोचक तरीके से नहीं बताया जाता तो नींद आ ही जाती है। कई बार ऐसा प्रतिभागी की विषय में रुचि न होने के कारण भी होता है। इसका बेहतर तरीका यही है कि संवाद एकतरफा न हो। सवाल जवाब होते रहते हैं तो सुनने वाले को सतर्क रहना पड़ता है। मोनोलॉग से बचना चाहिए क्योंकि आमतौर पर ऐसा ज्ञान बोरिंग ही होता है।

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