चिराग पासवान और पशुपति पारस के सुर मिल रहे, 2024 से पहले चाचा-भतीजा के एक होने पर BJP का कितना फायदा

33
चिराग पासवान और पशुपति पारस के सुर मिल रहे, 2024 से पहले चाचा-भतीजा के एक होने पर BJP का कितना फायदा

चिराग पासवान और पशुपति पारस के सुर मिल रहे, 2024 से पहले चाचा-भतीजा के एक होने पर BJP का कितना फायदा

बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों पर विपक्षी पार्टियां नीतीश सरकार को हर मोर्चे पर घेर रही हैं। इसमें लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के दोनों गुटों के नेता पशुपति पारस और चिराग पासवान भी शामिल हैं। चिराग और पारस वैसे तो रिश्ते में चाचा-भतीजा हैं, लेकिन इनके बीच की दरार से हर कोई वाकिफ है। जहरीली शराब से मौतों के मुद्दे पर उनके सुर एक से नजर आ रहे हैं। चिराग और पशुपति पारस, दोनों ने ही बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने और शराबबंदी खत्म करने की मांग की है। बीजेपी से नजदीकियों की वजह से चिराग पासवान की एनडीए में वापसी तय है। इस बीच लोजपा के दोनों गुटों के विलय की भी अटकलें लगाई जा रही है। अगर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चाचा-भतीजा एक हो जाते हैं, तो बीजेपी को फायदा होने वाला है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के बाद बीजेपी के लिए बिहार खुला मैदान हो गया है। उसके पास जेडीयू को मैनेज करने की मजबूरी नहीं बची है। हालांकि, लोजपा समेत कुछ छोटे दलों को साथ लेकर वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। लोक जनशक्ति पार्टी के एक गुट रालोजपा के मुखिया पशुपति पारस पहले से एनडीए में हैं और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। वहीं, दूसरे गुट लोजपा (रामविलास) के मुखिया एनडीए में नहीं होकर भी उपचुनावों में बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं।

चिराग की एनडीए में वापसी जल्द

खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान ने पिछले दिनों मोकामा, गोपालगंज और कुढ़नी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में खुलकर बीजेपी का समर्थन किया। वे चुनावी क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों के प्रचार के लिए भी पहुंचे। कुढ़नी में बीजेपी प्रत्याशी की जीत के बाद लोजपा (रामविलास) के नेताओं ने इसका श्रेय चिराग पासवान को ही दिया और उन्हें एनडीए के लिए एसेट बताया। चिराग पासवान कह चुके हैं कि वे एनडीए में जल्द शामिल होने वाले हैं और इस संबंध में उनकी बीजेपी नेताओं से बात चल रही है। 

बता दें कि चिराग के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा में टूट हो गई थी। उनकी विरासत को लेकर चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान ने अलग-अलग पार्टियां बना ली। बीजेपी ने सांसदों के संख्या बल के आधार पर पशुपति के गुट को तरजीह दी और उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया। वहीं, चिराग को यह रास नहीं आया था और वे एनडीए से अलग हो गए थे। उस वक्त चिराग ने ये भी कहा कि जब तक चाचा एनडीए में रहेंगे, वे गठबंधन में नहीं शामिल होंगे।

चाचा-भतीजा एक होंगे?

अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चिराग पासवान की एनडीए में वापसी तय है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच जमी बर्फ भी धीरे-धीरे पिघल रही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि लोजपा के दोनों गुटों का जल्द विलय हो सकता है। हालांकि, चिराग और पारस दोनों की तरफ से इस बात पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। पशुपति पारस ने पिछले महीने कहा था कि चिराग अगर एनडीए में आना चाहते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। मगर शर्त ये है कि सबसे पहले 2020 का विधानसभा चुनाव गठबंधन से अलग लड़ने के लिए चिराग को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी होगी। कुढ़नी उपचुनाव के वक्त मीडिया से बातचीत में जब चिराग से लोजपा के विलय पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है।

लोजपा के विलय से बीजेपी को क्या फायदा?

अगर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चाचा-भतीजा एक हो जाते हैं और लोजपा के दोनों गुटों का विलय हो जाता है, तो बीजेपी के लिए आसानी हो जाएगी। दरअसल, जेडीयू के साथ छोड़ने के बाद बीजेपी अपने दम पर बिहार में आगामी चुनाव लड़ने वाली है। इसकी तैयारी जोरों-शोरों पर है। प्रदेश स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर के नेता इसमें डटे हैं। तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में दो पर जीत मिलने के बाद प्रदेश के बीजेपी नेताओं का कॉन्फिडेंस हाई है। बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अगस्त 2022 में बीजेपी हाईकमान की दिल्ली में बैठक हुई थी, जिसमें 2024 में बिहार की 35 लोकसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा गया। 

छपरा में मृतकों के परिजन से मिले चिराग पासवान, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। बीजेपी के मिशन 35 से यह तो साफ हो गया है कि अधिकतर सीटों पर पार्टी अपने प्रत्याशी ही उतारेगी। ऐसे में महज पांच सीटों को गठबंधन के अन्य दलों में बंटवारा किया जा सकता है। फिलहाल बिहार में बीजेपी के साथ लोजपा के दोनों गुट ही हैं। चिराग पासवान और पशुपति पारस, अपने-अपने गुटों से ही चुनाव लड़ें, तो 2024 में सीट बंटवारे के दौरान एनडीए में माथापच्ची हो सकती है। चिराग और पारस दोनों ही एक-दूसरे से ज्यादा सीटों की मांग कर सकते हैं। अगर लोजपा के दोनों गुटों का विलय हो जाता है, तो एक पार्टी बन जाएगी। ऐसे में बीजेपी के लिए सीट बंटवारे के लिए आसानी हो जाएगी। हालांकि, ये सब भविष्य में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम पर निर्भर करेगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल का वक्त बाकी है।

 

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News