चंबल में 125 लोगों की ली थी जान, अब बुलडोजर से घर बचाने की जद्दोजहद में है ‘डाकू’ पंचम सिंह

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चंबल में 125 लोगों की ली थी जान, अब बुलडोजर से घर बचाने की जद्दोजहद में है ‘डाकू’ पंचम सिंह


चंबल में 125 लोगों की ली थी जान, अब बुलडोजर से घर बचाने की जद्दोजहद में है ‘डाकू’ पंचम सिंह

भिंडः कहते हैं समय बदलते देर नहीं लगती। कभी चंबल की बीहड़ों में आतंक का पर्याय माना जाने वाला डाकू पंचम सिंह आज जिला प्रशासन के सामने गिड़गिड़ा रहा है। भिंड जिले की लहार नगरपालिका इस घर को तोड़ने का आदेश दे चुका है। पंचम सिंह ने इस फैसले के खिलाफ आमरण अनशन करने की धमकी दी है। उसने यह घर एक आध्यात्मिक संस्था को दान कर दिया था। घर की कीमत अब करीब 50 लाख रुपये हो चुकी है और पंचम इसे बचाने के लिए प्रशासन से लड़ रहा है।

100 साल के पंचम सिंह ने 1960 के दशक में 125 से ज्यादा लोगों की जान ली थी। उसकी गैंग में 500 से ज्यादा डकैत थे। 50 साल पहले पंचम सिंह पर दो करोड़ का इनाम रखा गया था। उसने साल 1972 में इंदिरा गांधी की सरकार के सामने इस शर्त पर आत्मसमर्पण किया था कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी। कई साल तक जेल में रहने के बाद जब वह बाहर आया तो कथावाचक बन गया। अब एक बार फिर वह जीने-मरने की चेतावनी दे रहा है।

पंचम सिंह के बेटे संतोष ने बताया कि यदि घर को कुछ हुआ तो उसके पिता अपनी जान दे देंगे। लहार नगरपालिका ने घर खाली करने का नोटिस दिया है। नगरपालिका ने कहा है कि घर के पीछे की जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जाना है। इसके लिए घर को तोड़ना पड़ेगा, लेकिन जब हमने हरजाना मांगा तो नगरपालिका ने देने से इनकार कर दिया। इसके खिलाफ उसके पिता ने भूख हड़ताल शुरू कर दी।

साल 2019 में इसी घर के बकाये बिजली बिल को लेकर पंचम के खिलाफ वारंट जारी किया गया था। इस मामले में कोर्ट के कई बुलावों के बाद भी वह पेश नहीं हुआ तो वारंट जारी किया गया। हालांकि, उसके परिवार के लोगों का दावा है कि पंचम ने 35 साल पहले यह घर एक आध्यात्मिक संस्था को दान कर दिया था। संस्था के लोगों ने बिल नहीं भरा तो इसमें उसका क्या दोष।

खूंखार डकैत से कथावाचक बनने की पंचम सिंह की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी है। जेल में रहते हुए वह एक आध्यात्मिक संस्था के सदस्यों के संपर्क में आया। 1980 में जब वह जेल से बाहर आया तो पूरी तरह बदल चुका था। इसके बाद कई वर्षों तक वह देशभर में घूमकर लोगों को शांति का पाठ पढ़ाता रहा। मुंबई के एक फिल्म निर्माता ने उसके जीवन पर फिल्म बनाने के लिए उसके परिवार से संपर्क भी किया था।



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