ग्वालियर संभाग में नर्सिंग कॉलेजों की जांच की रिपोर्ट 24 घंटे में करो पेश | Present the report of investigation of nursing colleges in Gwalior div | Patrika News
पूर्व में हुई सुनवाई में नर्सिंग काउंसिल की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया था कि ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई जांच के आधार पर ग्वालियर संभाग में स्थित 70 नर्सिंग कॉलेज अपात्र पाए गए। उनकी मान्यता समाप्त की गयी। उसी प्रकार शेष जिलों में भी जांच टीम बनाकर जांच की अनुमति कोर्ट से चाही गयी थी। इस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दस्तावेज पेश कर कोर्ट को बताया गया था कि ग्वालियर संभाग में नर्सिंग काउंसिल की जाँच टीम ने जिन कॉलेजों को क्लीनचिट दी है, वहां फर्जी फैकल्टी कार्यरत हैं। इन्हें कई कॉलेजों ने एक साथ, एक ही समय पर स्वयं के यहाँ फैकल्टी दर्शाया है। इस तथ्य को गंभीरता से लेते हुए गत सुनवाई में जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस द्वारकाधीश बंसल की युगलपीठ ने नर्सिंग कौंसिल की रजिस्ट्रार तथा संचालक चिकित्सा शिक्षा से शपथ पत्र पर जबाब माँगा था। इसके पालन में बुधवार को राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश किया था। बुधवार को याचिकाकर्ता की ओर से इस बात पर आपत्ति प्रकट की गयी कि ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई जांच की रिपोर्ट जबाब और शपथ पत्र के साथ पेश नही की गयी है। इस पर कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को उक्त रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करने हेतु एक दिन की मोहलत दी।अगली सुनवाई 17 अगस्त को नियत की गई।
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मौत का अस्पताल के संचालकों को अग्रिम जमानत नहीं
जिला अदालत ने ठुकराई अर्जी
जबलपुर।
जिला अदालत ने जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के दो पार्टनर्स डॉ. निशिंत गुप्ता और डॉ. सुरेश पटेल को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। एडीजे रविन्द्र प्रताप सिंह चुण्डावत की कोर्ट ने दोनों की अर्जियां निरस्त कर दीं। गत 1 अगस्त को इस अस्पताल में लापरवाही के चलते हुए भीषण अग्निकांड ने 10 निर्दोषों की बलि ले ली थी।
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में एक अगस्त को आग लगने के कारण हुई आठ लोगों की मौत और पांच लोगों के घायल होने के मामले में पुलिस अब तक अस्पताल के दो पार्टनर डॉ. संजय पटेल, डॉ. संतोष सोनी, सहायक मैनेजर राम सोनी और मैनेजर विपिन पांडे को गिरफ्तार कर चुकी है। दो पार्टनर डॉ. निशिंत गुप्ता और डॉ. सुरेश पटेल गिरफ्त से बाहर है। इन्हीं दोनों आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी से बचने ये अर्जियां दायर की गईं थीं। अभियोजन की ओर से एजीपी संजय वर्मा ने अर्जियों का पुरजोर विरोध करते हुए अग्रिम जमानत देने को अनुचित बताया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्जियां खारिज कर दीं।
पूर्व में हुई सुनवाई में नर्सिंग काउंसिल की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया था कि ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई जांच के आधार पर ग्वालियर संभाग में स्थित 70 नर्सिंग कॉलेज अपात्र पाए गए। उनकी मान्यता समाप्त की गयी। उसी प्रकार शेष जिलों में भी जांच टीम बनाकर जांच की अनुमति कोर्ट से चाही गयी थी। इस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दस्तावेज पेश कर कोर्ट को बताया गया था कि ग्वालियर संभाग में नर्सिंग काउंसिल की जाँच टीम ने जिन कॉलेजों को क्लीनचिट दी है, वहां फर्जी फैकल्टी कार्यरत हैं। इन्हें कई कॉलेजों ने एक साथ, एक ही समय पर स्वयं के यहाँ फैकल्टी दर्शाया है। इस तथ्य को गंभीरता से लेते हुए गत सुनवाई में जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस द्वारकाधीश बंसल की युगलपीठ ने नर्सिंग कौंसिल की रजिस्ट्रार तथा संचालक चिकित्सा शिक्षा से शपथ पत्र पर जबाब माँगा था। इसके पालन में बुधवार को राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश किया था। बुधवार को याचिकाकर्ता की ओर से इस बात पर आपत्ति प्रकट की गयी कि ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई जांच की रिपोर्ट जबाब और शपथ पत्र के साथ पेश नही की गयी है। इस पर कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को उक्त रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करने हेतु एक दिन की मोहलत दी।अगली सुनवाई 17 अगस्त को नियत की गई।
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मौत का अस्पताल के संचालकों को अग्रिम जमानत नहीं
जिला अदालत ने ठुकराई अर्जी
जबलपुर।
जिला अदालत ने जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के दो पार्टनर्स डॉ. निशिंत गुप्ता और डॉ. सुरेश पटेल को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। एडीजे रविन्द्र प्रताप सिंह चुण्डावत की कोर्ट ने दोनों की अर्जियां निरस्त कर दीं। गत 1 अगस्त को इस अस्पताल में लापरवाही के चलते हुए भीषण अग्निकांड ने 10 निर्दोषों की बलि ले ली थी।
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में एक अगस्त को आग लगने के कारण हुई आठ लोगों की मौत और पांच लोगों के घायल होने के मामले में पुलिस अब तक अस्पताल के दो पार्टनर डॉ. संजय पटेल, डॉ. संतोष सोनी, सहायक मैनेजर राम सोनी और मैनेजर विपिन पांडे को गिरफ्तार कर चुकी है। दो पार्टनर डॉ. निशिंत गुप्ता और डॉ. सुरेश पटेल गिरफ्त से बाहर है। इन्हीं दोनों आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी से बचने ये अर्जियां दायर की गईं थीं। अभियोजन की ओर से एजीपी संजय वर्मा ने अर्जियों का पुरजोर विरोध करते हुए अग्रिम जमानत देने को अनुचित बताया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्जियां खारिज कर दीं।