गोविन्दा ने कहा- गरीबी के दिनों को याद कर आत्मा कांप उठती है, मुझमें आज भी गरीबी की बू है

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गोविन्दा ने कहा- गरीबी के दिनों को याद कर आत्मा कांप उठती है, मुझमें आज भी गरीबी की बू है

गोविन्दा ने कहा- गरीबी के दिनों को याद कर आत्मा कांप उठती है, मुझमें आज भी गरीबी की बू है

गोविन्दा बॉलीवुड के उन सितारों में शामिल रहे हैं जिन्होंने बिना किसी गॉडफादर के ज़ीरो से हीरो तक का सफर अपने दम पर तय किया। गोविन्दा ने ‘राजा बाबू’, ‘कुली नंबर 1’, ‘हीरो नंबर 1’, ‘जिस देश में गंगा रहता है’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘हद कर दी आपने’ जैसी तमाम एंटरटेनिंग फिल्मों से अपने फैन्स का खूब मनोरंज किया। विरार के चॉल से लेकर बॉलीवुड के स्टारडम के बीच गोविन्दा ने वो स्ट्रगल देखा है, जिसे वह आज भी याद किया करते हैं। अपने कॉमिक अंदाज के लिए मशहूर गोविन्दा की यह कहानी एक्टर बनने से पहले की है, जब पैसों की तंगी की वजह से उनका परिवार दुकानों के कर्ज नहीं चुका पाता था। हाल ही में एक इवेंट में गोविन्दा उन पुराने दिनों को याद करके भावुक हो गए।

‘हम उधार के पैसे नहीं दे पाते थे तो मुझे बहुत देर तक खड़ा रखा जाता’
‘बिग एफ एम’ के इवेंट में आ गविन्दा ने अगले सवाल का जवाब देते हुए अपने बीते वक्त को याद किया। उनसे एक्टिंग की दुनिया में एंट्री से पहले खरीदारी को लेकर एक सवाल पूछा गया जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं सच कहूं तो मैं बहुत ही गरीबी वाले तबके से आया हूं। हालांकि, मेरी माताजी आदरणीय निर्मला देवी जी का बहुत नाम रहा एक क्लासिक आर्टिस्ट के तौर पर। इसलिए खाना वाना खा पाए, हमें ऐसी कोई तकलीफ नहीं रही, लेकिन छोटा परिवार होने के नाते मैं किराना दुकान के सामने जाकर खड़ा रहता था क्योंकि हम उधार के पैसे नहीं दे पाते थे तो मुझे बहुत देर तक खड़ा रखा जाता था।’

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‘मुझमें से गरीबी की बू टाइम ले रही है’
उन्होंने कहा, ‘वहां तो मैं 3 घंटा, 4 घंटा, 5 घंटा लाइन में खड़ा रहता, मैं कहता यार दे दो, काफी देर से मैं लाइन में खड़ा हूं। मैं कहता मुझे ये कम है, वो काम है, पढ़ाई करना है, खेलना है, वो कहते खड़े रहो यहां पर, अभी तुम्हारे पैसे आए नहीं हैं कितना महीना हो गया है। दुकान का मालिक अपने साथियों से यह भी जोर जोर से पूछता कि अरे देखना इसका पुराना बकाया कब तक का है, कितने महीने से बाकी है और हिसाब निकाला जाता था। तो ऐसे तबके से जो लोग आए होते हैं, गरीबी के तबके से, मुझे लगता है कि उसे जो मिल जाए, जहां मिल जाए….। शुरू शुरू में लगता है कि साला डिप्लोमैट आदमी है, खतरनाक है, हर जगह तारीफ किए जा रहा है, लेकिन सच तो ये है कि जब आप याद करते हैं तो आत्मा कांप उठती है और डर लग जाता है। ऐसे लोग हर चीज का धन्यवाद देते हैं। मेरी नेचर तो ऐसी ही है। मुझमें से गरीबी की बू टाइम ले रही है। कोई न कोई ऐसा होता है ज आपको नया चांस देता है और इसके लिए आपको उनका शुक्रगुजार होना चाहिए।’