गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव: सहानुभूति वोट से बीजेपी को मिलेगी जीत या RJD बचा पाएगा गढ़? जानिए यहां
मुकेश कुमार, गोपालगंज: बिहार विधानसभा उपचुनाव 2022 की डुगडुगी बज चुकी है। अब बिहार के मोकामा और गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान की तिथि की घोषणा भी कर दी गई है। आगामी 7 अक्टूबर से चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इसके साथ ही 7 अक्टूबर से नामांकन पत्र दाखिल किया जा सकेगा। 14 अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा। 3 नवंबर को मतदान और 6 नवंबर को मतगणना की जाएगी। लेकिन इन सबके बीच अब गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रत्याशियों की रस्साकशी भी तेज हो गई है। पूर्व भाजपा मंत्री व दिवंगत तत्कालीन विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुआ था। जिसको लेकर गोपालगंज विधानसभा उप चुनाव होने वाला है।
सहानुभूति लहर की होगी जीत या…
इस चुनाव में सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी का भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसी कड़ी में चुनाव की तिथि घोषणा होने के बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी कल यानी 5 सितंबर से जनसंपर्क यात्रा पर भी निकलने वाली हैं। ताकि लोगों से पति की मौत के बाद सहानुभूति वोट लिया जा सके। ऐसा बताया जा रहा है कि इस सहानुभूति यात्रा में भाजपा के कई दिग्गज नेता भी शामिल हो सकते हैं।
महागठबंधन का दांव
वहीं अगर बात करें महागठबंधन की तो अभी तक गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए महागठबंधन से किस दल के प्रत्याशी को टिकट मिलेगा अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि यह कयास लगाई जा रही है कि गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव से राजद कोटे से ही कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव गोपालगंज विधानसभा के थावे में आए थे। यहां उन्होंने एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने 600 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया था। तेजस्वी यादव के इस दौरे से यह भी कयास लगाया जा रहा है कि इस विधानसभा सीट पर राजद की दावेदारी प्रबल है।
वोटों का समीकरण जानिए
अगर बात करें यहां पर वोटों के समीकरण की तो गोपालगंज विधानसभा सीट पर दिवंगत विधायक सुभाष सिंह पिछले 4 बार से भाजपा से चुनाव जीते हैं। भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर पांचवी बार अपनी जीत कायम रखने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से कांग्रेस को यहां से प्रत्याशी उतारा गया था। कांग्रेस प्रत्याशी आसिफ गफूर तब अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे। इसलिए राजद यहां से अपना प्रत्याशी उतरेगा। जद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का यह गृह जिला है। इसलिए राजद के लिए यह चुनाव जीतना प्रतिष्ठा बचाने के लिए अहम है। बिहार में बदले दलीय समीकरण से ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि राजद किसी वैश्य समाज से प्रत्याशी को टिकट दे सकता है। हालांकि आरजेडी कोटे से कई और वरिष्ठ नेता भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। महिला नेत्री सुनीता यादव पूर्व एमएलसी प्रत्याशी दिलीप सिंह, अरुण कुमार सिंह, वैश्य नेता मोहन प्रसाद भी दावेदारी कर रहे हैं। रियाजुल हक राजू भी लगातार गोपालगंज से राजद से चुनाव लड़ते रहे है। लेकिन हर बार वे दूसरे नंबर पर रहे। अब बात करें लालू के गृह जिले की तो राजद से गोपालगंज सीट पर सिर्फ एक बार जीत दर्ज हुई है। यहां 1995 में उनके साले साधु यादव विधायक बने थे। लेकिन उसके बाद फिर दोबारा आरजेडी का कोई प्रत्याशी यहां से दोबारा नहीं जीत सका।
जातीय समीकरण भी समझ लीजिए
अगर बात करें जातिगत वोटों के आंकड़ों की तो यहां पर सबसे ज्यादा क्षत्रिय समाज का वोट है। उसके बाद यादव समाज वोट प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर मुस्लिम समुदाय और चौथे नंबर पर वैश्य समाज का वोट है। इसके बाद अन्य जातियों का वोट है। दिवंगत विधायक सुभाष सिंह पिछले 4 बार से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे थे। हालांकि इस बार सहानुभूति वोट बीजेपी को जीत दिलाएगा या फिर महागठबंधन के खाते में यह सीट जायेगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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इस चुनाव में सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी का भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसी कड़ी में चुनाव की तिथि घोषणा होने के बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी कल यानी 5 सितंबर से जनसंपर्क यात्रा पर भी निकलने वाली हैं। ताकि लोगों से पति की मौत के बाद सहानुभूति वोट लिया जा सके। ऐसा बताया जा रहा है कि इस सहानुभूति यात्रा में भाजपा के कई दिग्गज नेता भी शामिल हो सकते हैं।
महागठबंधन का दांव
वहीं अगर बात करें महागठबंधन की तो अभी तक गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए महागठबंधन से किस दल के प्रत्याशी को टिकट मिलेगा अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि यह कयास लगाई जा रही है कि गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव से राजद कोटे से ही कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव गोपालगंज विधानसभा के थावे में आए थे। यहां उन्होंने एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने 600 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया था। तेजस्वी यादव के इस दौरे से यह भी कयास लगाया जा रहा है कि इस विधानसभा सीट पर राजद की दावेदारी प्रबल है।
वोटों का समीकरण जानिए
अगर बात करें यहां पर वोटों के समीकरण की तो गोपालगंज विधानसभा सीट पर दिवंगत विधायक सुभाष सिंह पिछले 4 बार से भाजपा से चुनाव जीते हैं। भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर पांचवी बार अपनी जीत कायम रखने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से कांग्रेस को यहां से प्रत्याशी उतारा गया था। कांग्रेस प्रत्याशी आसिफ गफूर तब अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे। इसलिए राजद यहां से अपना प्रत्याशी उतरेगा। जद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का यह गृह जिला है। इसलिए राजद के लिए यह चुनाव जीतना प्रतिष्ठा बचाने के लिए अहम है। बिहार में बदले दलीय समीकरण से ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि राजद किसी वैश्य समाज से प्रत्याशी को टिकट दे सकता है। हालांकि आरजेडी कोटे से कई और वरिष्ठ नेता भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। महिला नेत्री सुनीता यादव पूर्व एमएलसी प्रत्याशी दिलीप सिंह, अरुण कुमार सिंह, वैश्य नेता मोहन प्रसाद भी दावेदारी कर रहे हैं। रियाजुल हक राजू भी लगातार गोपालगंज से राजद से चुनाव लड़ते रहे है। लेकिन हर बार वे दूसरे नंबर पर रहे। अब बात करें लालू के गृह जिले की तो राजद से गोपालगंज सीट पर सिर्फ एक बार जीत दर्ज हुई है। यहां 1995 में उनके साले साधु यादव विधायक बने थे। लेकिन उसके बाद फिर दोबारा आरजेडी का कोई प्रत्याशी यहां से दोबारा नहीं जीत सका।
जातीय समीकरण भी समझ लीजिए
अगर बात करें जातिगत वोटों के आंकड़ों की तो यहां पर सबसे ज्यादा क्षत्रिय समाज का वोट है। उसके बाद यादव समाज वोट प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर मुस्लिम समुदाय और चौथे नंबर पर वैश्य समाज का वोट है। इसके बाद अन्य जातियों का वोट है। दिवंगत विधायक सुभाष सिंह पिछले 4 बार से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे थे। हालांकि इस बार सहानुभूति वोट बीजेपी को जीत दिलाएगा या फिर महागठबंधन के खाते में यह सीट जायेगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।