गुलाबी मीनाकारी में अब महिलाओं दबदबा, PM के वाराणसी में आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

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गुलाबी मीनाकारी में अब महिलाओं दबदबा, PM के वाराणसी में आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

हाइलाइट्स

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का असर बनारस में भी देखने को मिल रहा है
  • यहां महिलाएं अब पुरुषों को उस क्षेत्र में भी कड़ी चुनौती दे रही हैं जिस पर कभी पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था
  • जी हां, वाराणसी की महिलाएं और यहां की विश्व प्रसिद्ध गुलाबी मीनाकारी के क्षेत्र में लगातार अपना दबदबा बढ़ा रही हैं
  • मुगलों के समय से लगातार इस कलाकारी में पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था

अभिषेक झा, वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का असर बनारस में कुछ यूं हो रहा है कि महिलाएं अब पुरुषों को उस क्षेत्र में भी कड़ी चुनौती दे रही हैं जिस पर कभी पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था। जी हां, वाराणसी की महिलाएं और यहां की विश्व प्रसिद्ध गुलाबी मीनाकारी के क्षेत्र में लगातार अपना दबदबा बढ़ा रही हैं। मुगलों के समय से लगातार इस कलाकारी में पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था। लेकिन सरकारी प्रयासों के बाद अब इस क्षेत्र में महिलाएं काफी तादाद में आ रही हैं और खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं।

डबल इंजन की सरकार ने दिया प्रोत्साहन
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का सपना यूपी में भी बीजेपी की सरकार होने की वजह से अब पूरा होता दिख रहा है। मुगल काल से ही गुलाबी मीनाकारी के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व था लेकिन राज्य सरकार के लगातार प्रोत्साहन की वजह से और सुविधाओं की वजह से अब महिलाओं ने इसमें दखल देना शुरू कर दिया है। गाय घाट इलाके में आत्मनिर्भर योजना के तहत महिलाओं को पहले इस हस्तशिल्प की ट्रेनिंग दी गई जिसके बाद अब बड़ी संख्या में महिलाएं गुलाबी मीनाकारी का काम कर रही है।

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विदेशों से खूब मिल रहे आर्डर
गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत कुंज बिहारी ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद से अब तक तकरीबन विदेशों से 28 लाख रुपये से अधिक कीमत का आर्डर पूरा किया गया है। इस आर्डर को गायघाट की करीब डेढ़ दर्जन महिलाओं ने पूरा किया है। गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाली रोशनी कुमारी ने बताया कि इस काम के कारण समाज में उन्हें एक नई पहचान मिली है साथ ही उन्हें पीएम समेत कई बड़ी हस्तियों से भी मिलने का मौका मिला है। इस काम को करने के बाद उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है घर परिवार में लोग अब उन्हें ज्यादा मान सम्मान दे रहे हैं।

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क्या होती है गुलाबी मीनाकारी?
मुगल काल के समय सोने-चांदी के गहनों पर बारीक कारीगरी काशी में आई। सोने-चांदी के गहनों के ऊपर रंग बिरंगे मनमोहक डिज़ाइन तैयार करने की ये कला गाय घाट की तंग गालियों में वर्षो से पुरुषों द्वारा की जाती थी। सोने चांदी के अलावा फैंसी सजावटी समान भी तैयार करने की ये कला मुगल काल से ही काशी की गलियों में एक लघु उद्योग के रूप में फलता फूलता रहा है।

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