गुरुग्राम के स्कूलों में बैग का बोझ बच्चों के कंधे झुका रहा, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

13
गुरुग्राम के स्कूलों में बैग का बोझ बच्चों के कंधे झुका रहा, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

गुरुग्राम के स्कूलों में बैग का बोझ बच्चों के कंधे झुका रहा, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

गुरुग्राम: स्कूली बच्चों के बैग का भार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। एक ओर 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में सरकारी और निजी स्कूलों के लिए नियम तय किए गए थे। बावजूद इसके नियमों को अनदेखा किया जा रहा है। बीते तीन साल में कोविड के चलते भी बच्चों के बैग का भार कुछ कम देखने को मिला, क्योंकि कई बार सीमित घंटों तक ही स्कूलों में क्लास चलती थी। लेकिन 2023-24 के सेशन की शुरुआत से ही एक बार फिर बच्चों के बैग का भार बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। कई बच्चे स्कूल बस, वैन या ऑटो में जाते हैं लेकिन कई बच्चे पैदल ही स्कूल से घर और घर से स्कूल तक का सफर तय करते हैं।

इन बच्चों के बैग का भार उन्हें बैक पेन जैसी समस्याओं से जूझने पर मजबूर कर रहा है। इससे आने वाले दिनों में छात्रों के लिए और अधिक परेशानी खड़ी हो सकती है। खासतौर पर प्राइवेट स्कूलों में बैग के बढ़ते बोझ के कारण कम उम्र में ही बच्चों को ऑर्थोपैडिक बीमारी से जूझना पड़ रहा है। प्राइमरी और मिडिल विंग के बच्चों पर बैग का भार बहुत ज्यादा पड़ रहा है, जिससे पैरंट्स भी काफी परेशान हैं। दरअसल, सरकार के आदेशों के बाद तय हुआ था कि स्कूली बच्चों का बैग का भार क्लास के अनुसार होगा। जिसे कई स्कूलों की ओर से लागू ही नहीं किया गया। शिक्षा विभाग की ओर से भी इसकी जांच नहीं की जा रही है।

मम्मा स्कूल कैब से डर लगता है… आज दिल्ली में 6 साल की बच्ची के साथ जो कुछ हुआ उसकी कहानी हर मां-बाप को डरा देगी!
नाजुक कंधों पर भारी बैग का असर
भारी बैग के कारण स्कूल जाने वाले मासूमों को पीठ और गर्दन के दर्द की परेशानी सामने आ रही हैं। भारी स्कूल बैग गर्दन की मांसपेशियों को खींचता है। गर्दन के दर्द के कारण रीढ़ की हड्डी के पीछे तकलीफ होती है। अगर समय रहते स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बच्चों का विकास रुक जाएगा और शारीरिक बीमारियां झेलनी पड़ सकती हैं। डॉक्टरों की मानें तो कम उम्र में कंधों पर अधिक बोझ उठाने से कंधे आगे की तरफ झुक जाते हैं।

Navbharat Times -ऑनलाइन गेम में 8 घंटे तक बिता रहे लोग, वर्चुअल खेल की आदत सेहत ही नहीं बच्चों का बिगाड़ रही रिजल्ट भी
एक्टिविटी बुक बढ़ा रही बोझ
निजी स्कूलों में खासतौर पर रोजाना अलग-अलग विषयों की मुख्य किताबों के साथ-साथ एक्टिविटी बुक भी मंगवाई जाती हैं। ये काफी भारी भी होती हैं, अलग-अलग प्रोजेक्ट को लेकर भी स्टेशनरी का भार बढ़ रहा है। ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों को ध्यान देना होगा कि पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी गैर-जरूरी किताबें न लगाएं। जिन पुस्तकों की घरों में पढ़ाई के दौरान जरूरत नहीं पड़ती, उनको स्कूलों में ही रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। वहीं अभिभावकों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए कि स्कूल बैग के अंदर बिना जरूरत की पुस्तकें न हों।

Navbharat Times -Noida News: नोएडा में 90 स्‍कूलों को देना होगा 1-1 लाख जुर्माना, कोरोना में वसूली थी पूरी फीस

क्लास नियमानुसार इतना होना चाहिए बैग का वजन
पहली और दूसरी डेढ़ किलोग्राम
तीसरी से पांचवीं दो से तीन किलोग्राम
छठी और सातवीं चार किलोग्राम
आठवीं और नवीं साढ़े चार किलोग्राम
दसवीं पांच किलोग्राम

निजी स्कूल हो या सरकारी स्कूल, सभी के लिए यह नियम तय है। इसे लेकर स्कूलों की जांच भी की जाएगी। खासतौर पर प्राइमरी स्तर के स्कूलों का निरीक्षण होगा, स्कूलों को तय नियमों के अनुसार चलना होगा।

शशि बाला अहलावत, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी

10-12 साल के कई बच्चे ऐसे आते हैं, जो इतनी कम उम्र में बैक पेन की समस्या से जूझते हैं। यह उम्र बच्चों के शरीर में काफी बदलाव लाती है। बच्चों के बैक पेन का कारण भारी बैग भी हैं। सर्वाइकल पैन की समस्या बहुत ज्यादा आने लगी है।

डॉक्टर अखिलेश यादव, ऑर्थोपैडिक, मैक्स हॉस्पिटल

जूनियर कक्षाओं के छात्रों के बैग के भार का ध्यान रखा जाता है। वही किताबें मंगवाई जाती है जो जरूरी हैं, अतिरिक्त भार को कम किया गया है। लेकिन कई स्कूलों में देखने को मिलता है कि बच्चों से एक्टिविटी बुक्स के नाम पर कई अतिरिक्त किताबें बढ़ाई जा रही हैं।

भीष्म भारद्वाज, प्रिंसिपल, द्रोणा पब्लिक स्कूल

बैग में इतनी एक्सट्रा किताबें होती हैं कि बच्चों के बैग का भार बहुत ज्यादा हो गया है। रोजाना कई किताबें मंगवाई जाती हैं, जो ले जानी अनिवार्य हैं। इसको लेकर सरकार की ओर से ध्यान देने की जरूरत है।

अरुणा मलिक, अभिभावक

पंजाब की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Punjab News