गुप्तकालीन मंदिर के पास मिले तीन प्राकृतिक झरने, बांध निर्माण के कार्य से छाया अस्तित्व पर खतरा

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गुप्तकालीन मंदिर के पास मिले तीन प्राकृतिक झरने, बांध निर्माण के कार्य से छाया अस्तित्व पर खतरा

गुप्तकालीन मंदिर के पास मिले तीन प्राकृतिक झरने, बांध निर्माण के कार्य से छाया अस्तित्व पर खतरा

हमीरपुर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना नदी किनारे स्थित गुप्तकालीन संगमेश्वर मंदिर के पास प्राकृतिक झरने पर अब खतरा मंडरा गया है। यह झरना पिछले सात दशक से बह रहा है जिसका पानी वास्तविक पानी से भी कई गुना शुद्ध है। गर्मी के मौसम में झर-झर कर बहने वाले इस प्राकृतिक झरने को संरक्षित करने के कोई उपाय भी नहीं किए जा रहे है। अब झरने के पास यमुना नदी के तटबंध के निर्माण कार्य कराए जाने से झरने का अस्तित्व खत्म होता नजर आ रहा है जिसे लेकर मंदिर के पुजारी और संत चिंतित हैं।

हमीरपुर शहर से करीब चार किमी दूर मेरापुर गांव के बाहर यमुना नदी किनारे संगमेश्वर मंदिर स्थित है। ये मंदिर गुप्तकालीन है जिसका इतिहास भी हजारों साल पुराना है। मंदिर में पुजारी और संत सन्यासी निवास करते हैं। मंदिर के पास ही चंदन के तमाम पेड़ लगे हैं। वहीं मंदिर के पास ही एक बड़ा ही मनोरम झरना बहता है।

झरने से दो इंच मोटी धार का पानी झर-झर कर चौबीस घंटे बहता है। मंदिर के महंत भरत दास का कहना है कि मंदिर के आश्रम में जब कुएं और हैंडपंप की सुविधा न थी तब यहां के संत और आने जाने वाले भक्त इसी झरने का पानी पीते थे। झरने का पानी बड़ा ही शीतल और मीठा है जिसे पीने से मन को बड़ी शांति मिलती है। राजीव शुक्ला ने बताया कि मंदिर के पास झरने का पानी यमुना नदी में चौबीस घंटे गिरता है। इसका पानी मीठा और शुद्ध है। बताया कि यह झरना कब से बह रहा है इसे कोई नहीं जानता है।

झरने के पानी की खाद्य विभाग ने कराई थी जांच
मंदिर के महंत ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में मंदिर के पास बह रहे तीन प्राकृतिक झरने के पानी का सैंपल खाद्य सुरक्षा विभाग ने लिया था। पानी का सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा गया था जहां से परीक्षण में यह पाया गया कि झरने का पानी आरओ से भी शुद्ध और प्यूरीफाई है। ऐसा पानी समूचे बुंदेलखंड में भी नहीं है। संतों ने कहा कि इस झरने के पास एक कुंड का निर्माण हो जाए तो इसकी उपयोगिता बढ़ सकती है।

तटबंध के निर्माण होने से झरने पर अब मंडराया खतरा

संगमेश्वर मंदिर के पास तटबंध के पिंचिग के निर्माण इन दिनों तेजी से कराए जा रहे हैं। करोड़ों रुपये की धनराशि से शुरू कराए गए निर्माण कार्य में अब झरना बाधा बन गया है। झरने के पास ही बड़े दायरे में जमीन भी खिसक गई है। मौदहा बांध के एई एसजे वर्मा ने बताया कि पिचिंग के कार्य के दौरान तीन बड़े प्राकृतिक झरने मिले हैं जिससे बोल्डर व मिट्टी खिसक रही है। मंदिर के पास सड़क भी पानी की कटान से धंस चुकी है।

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