गहलोत को पायलट से मिलकर मनमुटाव दूर करना चाहिए, राजस्थान कांग्रेस ईंचार्ज सुखजिन्दर के इस बयान के पीछे क्या रणनीति
Khushendra Tiwari | Navbharat Times | Updated: 21 Feb 2023, 9:59 pm
Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा कि आपसी मनमुटाव दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नाराज नेताओं के पास जाकर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गहलोत साहब को सचिन पायलट से मिलकर मनमुटाव दूर करने चाहिए।
हाइलाइट्स
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह ने दी सलाह
- कहा- सीएम गहलोत को पायलट से मिलकर दूर करना चाहिए मनमुटाव
- गहलोत समर्थकों पर कार्रवाई ना होने से नाराज हैं पायलट
जानिए रंधावा ने दी क्या सलाह
जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह ने एक सलाह दे दी। यह सलाह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए है। रंधावा ने कहा कि गहलोत साहब को सचिन पायलट से मिलकर मनमुटाव दूर करने चाहिए। उन्होंने कहा कि “गहलोत साहब इस परिवार में उम्र में भी बड़े हैं, अगर किसी को मनमुटाव भी है तो उन्हें उनके पास जाना चाहिए और पूछना चाहिए कि भई मेरे को बताओ, क्या बात है। ऐसा हो तो एक दिन में चीजें हल हो सकती है।”
क्या रंधावा की सलाह मानेंगे गहलोत
प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने मीडिया के जरिए गहलोत को सलाह तो दे दी लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि क्या गहलोत रंधावा की सलाह को मानेंगे। ऐसा लगता तो नहीं कि गहलोत उनकी सलाह मानेंगे क्योंकि खुद अशोक गहलोत सचिन पायलट के लिए कई चुभते बयान सार्वजनिक रूप से दे चुके हैं। नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों में वे पायलट का बिना नाम लिए उन पर तंज कस चुके हैं। ऐसे में गहलोत की ओर से रंधावा की सलाह मानना संभव नहीं लग रहा।
आखिर मामला सीएम की कुर्सी का है
गहलोत और पायलट गुट के बीच लड़ाई मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर है। वर्ष 2018 में चुनाव जीतते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जंग शुरू हो गई थी। कई दिनों तक कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं कर पाए थे। आखिर में मुख्यमंत्री के लिए गहलोत और उपमुख्यमंत्री पद के लिए पायलट के नाम पर फैसला लिया गया। पायलट ने दबे मन से हाईकमान के इस फैसले को स्वीकार किया। करीब डेढ साल बाद जुलाई 2020 में पायलट गुट के 18 विधायकों ने बगावत का रुख अख्तियार किया था। गहलोत को सरकार बचाने के लिए 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। इसी बीच विधायकों के खरीद फरोख्त का प्रकरण भी सामने आया। बाद में कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट गुट को मनाया और 14 अगस्त 2020 को विधानसभा में अशोक गहलोत ने विधानसभा में बहुमत साबित किया। इसी कुर्सी को लेकर जंग अभी जारी है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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