गलत आरक्षण रोस्टर पर शिक्षक बहाली का आरोप

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गलत आरक्षण रोस्टर पर शिक्षक बहाली का आरोप

गलत आरक्षण रोस्टर पर शिक्षक बहाली का आरोप

सीतामढ़ी। परिवादी रीगा प्रखंड के दोघरा गांव निवासी अभिमन्यु कुमार सिंह ने राज्य पिछड़ा…

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,सीतामढ़ीWed, 07 Dec 2022 01:10 AM

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सीतामढ़ी। परिवादी रीगा प्रखंड के दोघरा गांव निवासी अभिमन्यु कुमार सिंह ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष को आवेदन देकर सीतामढ़ी में प्रारंभिक शिक्षक नियोजन वर्ष 2029 में सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत डीईओ व स्थापना डीपीओ द्वारा आरक्षण रोस्टर के प्रकाशन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा रोस्टर प्रकाशन एवं पदों की गणना के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। परिवादी का कहना है कि आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अति पिछड़ा वर्ग के पदों की संख्या को काटकर अनारक्षित कोटि को दे दिया गया है। रोस्टर प्रकाशन में अग्रणित पदों का सामंजन नियमानुसार नहीं किया गया है। जिस कारण अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के अधिकार का हनन हो गया है। परिवादी ने आयोग से यह भी कहा है कि मामले के संबंध में कई बार तत्कालीन स्थापना डीपीओ को आवेदन दिया गया। लेकिन उनके द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। थक हार कर डीएम को काउन्सलिंग से पूर्व 28 जून 2021 को इस संबंध में आवेदन दिया गया। पुन: दो जुलाई 2021 को डीएम को स्मार आवेदन दिया गया। उक्त आवेदन को डीएम द्वारा कार्रवाई के लिए डीईओ को भेजा गया। डीईओ द्वारा डीपीओ स्थापना को कार्रवाईके लिए भेजा गया। लेकिन डीपीओ स्थापना ने कोई भी कार्रवाई नहीं की। परिवादी ने कहा है कि गलत आरक्षण रोस्टर से गलत बहाली को पूर्ण करवाने से सरकार के करोड़ों रूपये अनावश्यक मासिक व्यय इन गलत रूप से नियुक्त शिक्षकों पर होगा। फिर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिवादी ने आयोग को बताया है कि शिक्षा विभाग द्वारा नियोजन के लिए जारी मार्गदर्शिका के अनुसार वर्ष 2012 में दिए गए पदों के विरुद्ध समय-समय पर हुए नियोजन के बाद शेष रह गए पदों का रोस्टर क्लियर कर भर्ती वर्ष 2019 के लिए रोस्टर का प्रकाशन किया जाना है। 2012 के नियोजन के बाद वर्ष 2015 के जनवरी माह में भर्ती वर्ष 2015 का रोस्टर क्लीयर किया गया। वर्तमान भर्ती वर्ष में 2015 में हुए नियोजन को मास्टर पंजी में समावेश के बाद अग्रणित पदों का नियमानुसार सामंजन करते हुए ही 2019 का रोस्टर का प्रकाशन करना था ताकि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रत्येक कोटि के लिए निर्धारित आरक्षण का प्रतिशत का पालन हो सके, लेकिन जिले के शिक्षा विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया। वर्ष 2012 में जारी विषयवार (कुल आठ विषय) रोस्टर के अनुसार हुए नियोजन का जब मास्टर पंजी में समावेश कर 2015 का रोस्टर प्रकाशित किया तब सभी विषयों में अनारक्षित कोटि के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत पद के अनुसार सीट भर जाने के कारण तथा अनुसूचित जाति, जनजाति, अतिपिछड़ा में निर्धारित प्रतिशत क्रमश: 16 प्रतिशत, एक प्रतिशत एवं 189 प्रतिशत नहीं भरने के कारण इन कोटि का अधिक पद निकला। परिवादी ने आरोप लगाया है कि भर्ती वर्ष 2019 में जारी रोस्टर में अनारक्षित का पद बढ़ा दिया गया है एवं आरक्षित कोटि के अनुसूचित जाति, जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग का सभी पुराना सीट काट लिया गया है। परिवादी का कहना है कि काउन्सिलिंग के नौ माह पूर्व से ही पूरे मामले की जानकारी डीएम से लेकर डीईओ को दी जाती रही है। लेकिन शिक्षा विभाग पूरी तरह से चुप्पी साधकर पूर्व के स्थापना डीपीओ व डीईओ को बचाने के उद्देश्य से उनके कुकृत्यों पर पर्दा डालता रहा है। परिवादी ने आयोग से मामले की उच्चस्तरीय जांच कर पूरे जिले की काउन्सिलिंग को रद करने की दिशा में कार्रवाई करते हुए इस प्रकार के अपराधिक कृत्य करने वाले तत्कालीन स्थापना डीपीओ, डीईओ व इसक कार्य में संरक्षण देने वालेेके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

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