गद्दार बिक सकते हैं पर शिवसैनिकों का प्रेम नहीं, बाल ठाकरे की जयंती उद्ध‌व ने कार्यकर्ताओं का बढ़ाया हौसला

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गद्दार बिक सकते हैं पर शिवसैनिकों का प्रेम नहीं, बाल ठाकरे की जयंती उद्ध‌व ने कार्यकर्ताओं का बढ़ाया हौसला

गद्दार बिक सकते हैं पर शिवसैनिकों का प्रेम नहीं, बाल ठाकरे की जयंती उद्ध‌व ने कार्यकर्ताओं का बढ़ाया हौसला


मुंबई: गद्दार बिक सकते हैं, खोखे से उन्हें खरीदा जा सकता है, लेकिन शिवसैनिकों का प्रेम बिकाऊ नहीं है। यह बात उद्धव ठाकरे ने सोमवार को बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर शिवसेना उद्धव गुट (Udhhav Thackeray) द्वारा षणमुखानंद सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में बीजेपी और शिंदे गुट पर तंज कसते हुए कहा कि उनके पास मोदी हैं, लेकिन वह यह जानते है कि महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) का नाम लिए बिना उन्हें वोट मिलने वाले नहीं है। आज हिंदुत्व के नाम पर एक दीवार खड़ी करने फौलादी शिकंजा कसने की कोशिश की जा रही है। हम पर आरोप लगाया जा रहा है कि महाविकास आघाडी (Mahavikas Aghadi) के साथ जाकर हमने हिंदुत्व छोड़ दिया। लेकिन, अब वही खुलेआम कह रहे हैं कि वह भी शरद पवार (Sharad Pawar) की सलाह लेते हैं, फिर हमने क्या गलत किया था।

बालासाहेब के नाम के सिवा वोट नहीं मिलते
उद्ध‌व ठाकरे कहा कि सुभाष चंद्र बोस वामपंथी विचारधारा के थे और संघ दक्षिणपंथी विचारधारा वाला संगठन है। लेकिन आजकल खुले आम विचारधारा को हड़पने का काम चल रहा है। संघ का न तो स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान था और न ही संयुक्त महाराष्ट्र के आंदोलन में। कोई खुद को कुछ भी कह ले मोदी हैं लेकिन बालासाहेब के नाम के सिवा वोट नहीं मिलते यह बात आज उन्होंने मान्य कर ली है। हमारे द्वारा किए गए कार्यों का लोकार्पण प्रधानमंत्री ने किया। तीन साल हमने काम किया, इसलिए आज वे लोकार्पण कर सके। मोदी उस दिन बोले वह काफी गंभीर है।

भक्त अंधे होते हैं यह हम समझ सकते हैं, लेकिन गुरु भी अंधा है। 2002 तक मुंबई मनपा घाटे में थी। 650 करोड़ रुपये का घाटा था। तब के आयुक्त सुबोध कुमार और हमारे लोगों ने बीएमसी को सशक्त बनाया। तब जाकर बीएमसी के फिक्स डिपाजिट तैयार हुए।

मुंबई मराठी लोगों ने खून बहाकर हासिल की है
उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र में आने वाले उद्योगों को हड़प लिया गया। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र हड़प लिया। फिल्म सिटी हड़पने की कोशिश चल रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री 5 लाख करोड़ के निवेश ले गए। मुंबई महानगरपालिका खुद के पैसे से सड़क बना रही है। टोल फ्री कोस्टल रोड ला रही है। यह सारे उपक्रम इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि बीएमसी के पास मजबूत फिक्स डिपाजिट है।

इसमें से 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों का, भविष्य निर्वाह निधि का, ग्रैच्युटी का और अन्य मदों का है। लेकिन, उन्हें लगता है कि मुंबई महानगरपालिका सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है। लेकिन, हमारे लिए मुंबई हमारी मातृभूमि है। वह शाकाहारी होंगे, लेकिन उन्हें मुंबई को मुर्गी समझकर काटना है। यह मुंबई मराठी लोगों ने खून बहाकर हासिल की है। मराठी लोग अपनी मुंबई को इन लोगों के हाथ में नहीं जाने देंगे।

राज्यपाल पर कसा तंज
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में राज्यपाल द्वारा पदमुक्त होने की इच्छा जताए जाने पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ी देर बाद सद्बुद्धि आई है। उन्हें महाराष्ट्र से भगा देना चाहिए ता। महाराष्ट्र के महापुरुषों छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले सावित्री बाई फुले का अपमान राज्यपाल ने किया है। इन महापुरुषों के अपमान पर चुप बैठने वाले बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी कैसे हो सकते हैं।

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