खेल से टूटा है पितृसत्ता और सामाजिक कलंक की बाधा… स्वतंत्रता दिवस पर महिला खिलाड़ियों को सचिन का सलाम

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खेल से टूटा है पितृसत्ता और सामाजिक कलंक की बाधा… स्वतंत्रता दिवस पर महिला खिलाड़ियों को सचिन का सलाम


खेल से टूटा है पितृसत्ता और सामाजिक कलंक की बाधा… स्वतंत्रता दिवस पर महिला खिलाड़ियों को सचिन का सलाम

नई दिल्ली: बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की महिला एथलीटों की धूम रही। महिला खिलाड़ियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स के हर इवेंट में मजबूत चुनौती पेश कर देश के लिए तमगा हासिल किया। पितृसत्ता और सामाजिक कलंक की बाधाओं को तोड़कर जिस तरह से महिला एथलीटों ने विश्व मंच पर सफलता हासिल की उसे भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सलाम किया है। सचिन ने हमारे सहयोगी ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के लिए एक कॉलम लिखा जिसमें उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन को जमकर सराहा और कहा कि आजादी के 76वें उतस्व को मनाने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता है।

अपने कॉलम में सचिन ने कहा कि खेल में महिलाओं की भागीदारी से उन्हें आत्म-सम्मान, साहस, पितृसत्ता और कलंक की बाधाओं को दूर करने के लिए ताकत मिली है। खेल ने उन्हें सशक्त बनाया है।

सचिन लिखते हैं कि कॉमनवेल्थ गेम्स में जब मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में 109 किग्रा वजन को सफलतापूर्वक उठाया तो पूरा हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। इस दौरान चानू केवल अपनी सामान्य मुस्कान और विनम्र ‘नमस्ते’ के साथ धीरे से पीछे हटी। चानू ने जिस तरह न केवल भारत का पहला गोल्ड मेडल जीता, बल्कि अपने नाम एक नया रिकॉर्ड भी दर्ज किया, उससे हर कोई हैरान था। चानू ने वेटलिफ्टिंग में यह गोल्ड संकेत सरगर के रजत और पी गुरुराजा के कांस्य के बाद जीता जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए पदकों का खाता खोला।

11 दिनों तक चले इस मल्टी इवेंट में भारत ने 22 गोल्ड 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए और पॉइंट्स टेबल में 61 पदक के साथ चौथे स्थान पर रहा। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में बिना निशानेबाजी इवेंट के भी भारत का प्रदर्शन उम्मीदों से कहीं बेहतर रहा। आजादी के उतस्व मनाने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है। इस साल देश आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में 75 वें स्वतंत्रता दिवस को मना रहा है।

कॉमनवेल्थ गेम्स में महिलाओं की उपलब्धि पर सचिन ने कहा, ‘भारत के लिए सभी एथलीटों ने विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ता और चपलता के साथ अपने लिए एक कहानी को गढ़ा है। इन कहानियां को गढ़ने में महिलाओं अधिक चुनौती का सामना करना पड़ा, जिन्होंने न केवल देश के लिए मेडल जीता बल्कि समाज, परिवार और अन्य बाहरी बंधनों को भी तोड़ा। इसमें सुशीला देवी लिकमाबम, तुलिका मान, साक्षी मलिक, विनेश फोगट, नीतू घंगास, निकहत जरीन, पीवी सिंधु के साथ महिला हॉकी टीम की महिलाएं शामिल हैं।’

बर्मिंघम में पारंपरिक खेलों के अलावा भारत की महिला एथलीटों ने उन खेलों में मेडल जीतकर इतिहास रचा जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी थी। खास तौर से लॉन बॉल्स जहां हमारी महिला फोर टीम इस खेल में भारत को पहला गोल्ड दिलाया।



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