खून से लथपथ ट्रक में गायों की लाशें थी, उसी दिन तय कर लिया… जानें मोनू मानेसर की गौ रक्षक बनने की कहानी

32
खून से लथपथ ट्रक में गायों की लाशें थी, उसी दिन तय कर लिया… जानें मोनू मानेसर की गौ रक्षक बनने की कहानी

खून से लथपथ ट्रक में गायों की लाशें थी, उसी दिन तय कर लिया… जानें मोनू मानेसर की गौ रक्षक बनने की कहानी


गुरुग्राम: 2012 में, मैं मानेसर में कॉलेज का छात्र था। पुलिस ने खून से लथपथ एक ट्रक जब्त किया था। उसमें लाशे थीं… उसी दिन से मैंने तय कर लिया था कि मैं किसी भी गाय को मरने नहीं दूंगा। यह कहना है खुद को सच्चा गौ रक्षक बताने वाले मोहित उर्फ मोनू मानेसर की। मोनू मानेसर की उम्र 28 साल है, जो गुरुग्राम-रेवाड़ी-नूंह क्षेत्र में लगभग 50 गौ रक्षकों के एक नेटवर्क की देखरेख करता है। मोनू का दावा के ही वो पुलिस की गौ तस्करों को पकड़ने में सहायता करता है। पिछले शनिवार को हरियाणा के नूंह जिले के तावडू-रेवाड़ी मार्ग पर गांव अतीतका मोड़ के निकट गोवंश लेकर जा रही कार व टेंपो की टक्कर के दौरान एक गौ तस्कर वारिस की मौत हो गई तथा 2 तस्कर गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसको लेकर परिजनों ने गौरक्षा दल के सदस्यों पर वारिस के साथ मारपीट कर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया था। वारिस के परिजनों का आरोप है कि मोनू ने वारिस की हत्या की है। हालांकि पुलिस ने इसे सड़क हादसा बताया है।

वारिस के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपो पर मोनू का कहना है कि उसके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। “मैं किसी को क्यों मारूंगा? जब हम उन तीनों युवकों का पीछा कर रहे थे, तब मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लाइव था। उनका वाहन एक सब्जी विक्रेता की वैन से टकरा गया। वारिस स्टीयरिंग व्हील के पीछे था और टक्कर लगने से उसकी मौत हो गई। पुलिस की एक टीम वहां मौजूद थी और एक एंबुलेंस उन्हें अस्पताल ले गई। मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं।’

यह पूछे जाने पर कि क्या उसने वारिस और उसके दो दोस्तों को पीटा, मोनू ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की ओर इशारा किया। उसने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि वारिस की पिटाई नहीं की गई थी। मैं किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हूं। मैं केवल नूंह के उन 10 प्रतिशत लोगों के खिलाफ हूं जो गायों की तस्करी और हत्या में शामिल हैं। मेरे कुछ सबसे अच्छे दोस्त मुस्लिम समुदाय से हैं। वे भी गायों की हत्या के खिलाफ हैं।

मोनू और उसका गौ रक्षकों का नेटवर्क 2017 से सक्रिय है। मोनू चोरी-छिपे काम नहीं करता। वह सोशल मीडिया पर एक गौ रक्षक के रूप में अपने काम के वीडियो शेयर करता है। मोनू के यूट्यूब पर लगभग 2 लाख और फेसबुक पर 80,000 से अधिक फोलोअर्स हैं। मोनू अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर गाय तस्करों का पीछा करने के वीडियो अपलोड करता है। मोनू की मानें तो उनकी टीम को जब गुप्त सूचना मिलती है, तो आरोपी का पता लगाया जाता है और पुलिस को सूचित किया जाता है।

मोनू से सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए अधिकांश विडियो 5 से 8 मिनट के होते हैं। मोनू का कहना है कि 2019 में ऐसे ही गाय तस्कर का पीछा के दौरान, उसे एक कथित तस्कर ने सीने में गोली मार दी थी और मेदांता में उसका इलाज किया गया था। मोनू ने कहा वो तो बस बेजुबान गए हैं जिनकों मैं बचाता हूं। उनकी दया थी कि मैं बच गया। इस घटना के बाद मोनू ने बंदूक के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया। लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था। लेकिन गुरुग्राम पुलिस ने 2022 में इसे मंजूरी दे दी।

मोनू मानेसर का कहना है कि मुखबिरों का मेरा नेटवर्क पानीपत, सोनीपत, रेवाड़ी, नूंह, पलवल और झज्जर में फैला हुआ है। मोनू के सोशल मीडिया पोस्ट में अक्सर पुलिस वाले दिखाई देते हैं, जो गौ रक्षकों द्वारा एक वाहन का पीछा करने के बाद मौके की जांच करते हुए दिखाई देते हैं।

पंजाब की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Punjab News