खुशखबरी – बीसलपुर में जनवरी 2024 तक के लिए हुआ पानी का इंतज़ाम | Good News – Bisalpur Dam Water Is Full Till January 2024 | Patrika News

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खुशखबरी – बीसलपुर में जनवरी 2024 तक के लिए हुआ पानी का इंतज़ाम | Good News – Bisalpur Dam Water Is Full Till January 2024 | Patrika News

खुशखबरी – बीसलपुर में जनवरी 2024 तक के लिए हुआ पानी का इंतज़ाम | Good News – Bisalpur Dam Water Is Full Till January 2024 | Patrika News

सबसे पहले की पूजा अर्चना
टोंक कलक्टर चिन्मयी गोपाल समेत अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में पूजा अर्चना के बाद आटोमेटिक मशीन का बटन दबाकर गेट खोलकर पानी की निकासी की गई। । इससे पूर्व हर एक घटनाक्रम का बांध परियोजना अधिकारियों के साथ कन्ट्रोल रूम सहित अन्य जगहों का जायजा जिला कलेक्टर ने लिया। कुल 18 गेटों में से स्काडा सिस्टम के तहत पहली बार गेट संख्या 9 व 10 के आधा- आधा मीटर गेट खोलकर तीन- तीन हजार क्यूसेक पानी की निकासी कर पानी बनास नदी में छोड़ा गया। छठी बार बांध के पूरा भरने पर अगस्त के आखिरी सप्ताह में गेट खोले गए।

2024 तक हुआ पानी का इंतजाम
बांध के भरने से जयपुर ही नही बल्कि अन्य जिलों में एक करोड़ से अधिक आबादी के लिए जनवरी 2024 तक पानी का इंतजाम हो चुका है। पुरे तीन साल बाद अगस्त 2022 में बाँध फिर छलका है।

आधुनिक तकनीक से लैस बांध
बीसलपुर बांध बनने के बाद से लेकर अब तक बांध में पानी की सबसे अधिक आवक अगस्त माह में ही हुई है। वहीं बांध पूर्ण जलभराव होकर अब तक अगस्त माह में ही छलका है। स्कोडा सिस्टम से लैस होने के बाद से बांध पर जयपुर में बैठे अधिकारी भी पानी की आवक से अपडेट रहते है। उल्लेखनीय है कि बीसलपुर बांध में पानी की आवक राजसमंद, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा, अजमेर व टोंक जिले से होती है। जिसे कैचमेंट एरिया माना गया है। बांध परियोजना के अभियंताओं के अनुसार बांध में पानी की मुख्य आवक चित्तौडगढ़़ व भीलवाड़ा जिलों से होना माना जाता है। जिसमें बनास नदी मुख्य आवक का स्रोत है। वहीं खारी व डाई नदियां भी पानी के भराव में सहायक है। बनास नदी में बीसलपुर बांध से पूर्व मातृकुंडिया, गोवटा, कोठारी, जैतपुरा मुख्य बांध है।

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ऐसे पहुंचता है पानी
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बांध में पानी की मुख्य आवक का स्रोत त्रिवेणी को माना गया है। इसके साथ ही बनास में पानी की मुख्य आवक का स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरने का पानी गोवटा बांध में आता है। गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी में मिलकर त्रिवेणी तक पहुंचता है। त्रिवेणी में बनास, बेड़च एवं मेनाली नदी मिलकर त्रिवेणी संगम बनाता है। यही प्राचीन महादेव का मंदिर बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी नदी से आगे पानी बनास नदी के रूप में शुरू होता है।

पहली बार 2004 में खोले गए थे गेट
बांध का निर्माण 1999 में पूर्ण हो गया था लेकिन बांध के गेट पहली बार 2004 में खोले गए। 1999 से अब तक बांध के गेट पांचवी बार खुले हैं 2016 में सबसे ज्यादा पानी की निकासी की जाने के बाद दूसरी बार 2019 में ज्यादा पानी की निकासी हुई है। पहली बार 2004 में खुले गेटों से 24 टीएमसी पानी की निकासी की गई थी तथा 2006 में दूसरी बार गेट खोलकर 43 टीएमसी पानी की निकासी की जा सकी थी। 2014 में बारिश की कमीं रही लेकिन तीसरी बार बांध भर गया तथा पानी की निकासी केवल 11 टीएमसी ही रही।



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