खालिस्तान का आइडिया 1920 में आया… अमृतपाल सिंह ने इंटरव्यू में कहा

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खालिस्तान का आइडिया 1920 में आया… अमृतपाल सिंह ने इंटरव्यू में कहा

खालिस्तान का आइडिया 1920 में आया… अमृतपाल सिंह ने इंटरव्यू में कहा

अमृतसर: पंजाब में अमृतपाल सिंह का मामला गरमाया हुआ है। वारिस पंजाब दे (Waris Punjab De) का चीफ अमृतपाल लगातार अलगाववादी सुरों को हवा दे रहा है। कभी वह कहता है पंजाब एक अलग देश है तो कभी वो संविधान पर सवाल उठाता है। 80 के दशक में पंजाब में उग्रवाद का चेहरा रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) जैसी वेशभूषा रखने वाले अमृतपाल (Amritpal Singh) के तेवर परेशानी का सबब बने हुए हैं। इस बीच एक इंटरव्यू में अमृतपाल ने कहा है कि लोकतंत्र में अगर कोई खड़े होकर कहे कि इस देश से हमारा संबंध नहीं है तो उसको सम्मान देना भी लोकतंत्र की भावना में आता है। अमृतपाल और उसके समर्थकों ने हाल ही में अमृतसर के अजनाला थाने (Ajnala Violence) के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था। कोर्ट के आदेश पर अमृतपाल के सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफानी को रिहा किया गया था।

‘हम कहें कि अलग मुल्क हो तो सम्मान देना लोकतंत्र’
न्यूज लॉन्ड्री हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में अमृतपाल ने कहा, ‘डेमोक्रेसी कोई ऐसा जटिल विषय नहीं है जिस पर बात न की जा सके। सबसे मिलकर ही डेमोक्रेसी बनती है। अगर लोकतंत्र में कोई खड़े हो कर कहे कि वह हिंदू नहीं है तो उसका सम्मान होना चाहिए। उसी तरह अगर डेमोक्रेसी में खड़े हो कर कोई कह दे कि हम इस मुल्क या देश से ताल्लुक नहीं रखते। हम अपनी बात को शांति से रखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारा एक अलग मुल्क हो और हम आजादी चाहते हैं तो इसे शांति के तरीके से सम्मान देना लोकतंत्र के वैल्यू में है। दुनिया में बहुत सारी जगहों पर यह शांति से हुआ है। लेकिन अगर उसे दबाया जाएगा तो फिर विरोध बाहर आएगा जो हिंसा का रूप लेता है।’

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‘हिंसा तो बहुत बड़े पैमाने पर होती है’
हिंसा की चेतावनी वाले बयान पर सफाई देते हुए अमृतपाल सिंह ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘मैंने कहा कि अगर किसी आठ सेकेंड के प्रदर्शन को आप हिंसा कहते हैं तो हिंसा तो बहुत बड़े पैमाने पर होती है। पंजाब ने फुल स्केल मिलिटेंसी (आतंकवाद) देखी है तो आप चीजों को डिफाइन (परिभाषित) करें।’

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‘खालिस्तान का आइडिया 1920 में आया था’
खालिस्तान के मुद्दे पर अमृतपाल ने कहा, ‘हम लोग खालिस्तान की बात इसलिए नहीं करते हैं कि वहां पर हिंदू राष्ट्र की बात चल रही है। खालिस्तान की बात करने का आइडिया 1920 में आया था। जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे की बात हो रही थी तब खालिस्तान का आइडिया नाम के साथ आया था। बहुत से लोगों को तो ये भी नहीं पता है। उन्हें लगता है कि ये 80 के दशक का फेनामिना (घटनाक्रम) है। खालिस्तान 1940 के दशक में भी आया। आप पंजाब में घुसते हैं तो आपको भिंडरावाले की तस्वीरें नजर आती हैं। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। पंजाब के किसी गांव में जाकर किसी भी बंदे से पूछ लें तो वो हाथ जोड़कर कहेगा संत भिंडरावाले हमारे हीरो हैं।’

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