क्राइम ब्रांच में 80 लोग, ज्यादातर सालों से जमे, हटाओ तो लौट आते हैं | Many officers frozen in Indore Crime Branch for years | Patrika News

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क्राइम ब्रांच में 80 लोग, ज्यादातर सालों से जमे, हटाओ तो लौट आते हैं | Many officers frozen in Indore Crime Branch for years | Patrika News

क्राइम ब्रांच में चर्चा में हैं ये लोग एसआइ लोकेंद्र सिंह करीब 6 साल से जमे हैं। एएसआइ ओपी तिवारी, एएसआइ विजय सिंह करीब 18-20 साल से यहीं हैं। बीच-बीच में इन्हें इधर-उधर किया, लेकिन क्राइम ब्रांच में वापस आ जाते हैं। पहले एसटीएफ में थे, वहां से फिर आ गए। अब भी यहीं है। एएसआइ बलराम तोमर भी सालों से हैं। अभी वे डीएसबी विंग में हैं। एएसआइ रवींद्र कुशवाह भी 15 साल से ज्यादा समय से क्राइम ब्रांच की अलग-अलग विंग में हैं। एएसआइ रामप्रकाश वाजपेयी, रामपाल, मनोज राठौर पहले यहां लंबे समय रहे। बीच में साइबर सेल गए और अब फिर आ गए। हेड कांस्टेबल रणबीर रघुवंशी करीब 15 साल, महेंद्र सिंह 10 साल, सुनील बिसेन करीब 11 साल, बलवंत इंगले, शैलेंद्रसिंह पंवार 8-8 साल से क्राइम ब्रांच में जमे हैं। इनके अलावा राहुल प्रधान, विकास शर्मा, संतोष यादव, धीरज पांडे, राजकुमार, हृदेश शर्मा, देवेंद्र लोखंडे, नंदकिशोर, संदीप सिंह, विनय सूर्यवंशी ऐसे नाम हैं, जो कुछ दिन के लिए इधर-उधर जाते हैं और वापस आ जाते हैं। एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर के मुताबिक, क्राइम ब्रांच के कर्मचारियों के काम की समीक्षा की जा रही है। लंबे समय तक यहां पदस्थ कर्मचारियों को हटाया जाएगा।

अलग-अलग विंग का दुरूपयोग क्राइम ब्रांच (Crime Branch ) में वी केयर फॉर यू, डीसीआरबी, डीएसपी जैसी विंग हैं। जब काफी समय से एक जगह जमे होने का दबाव बनता है तो अधिकारी अपने चहेते को दूसरी विंग में ट्रांसफर कर देते हैं, लेकिन काम वह क्राइम ब्रांच का ही करता है।

एडवाइजरी, ऑनलाइन सट्टे में रहे बदनाम क्राइम ब्रांच (Crime Branch ) की टीम को लेकर विवाद सामने आते रहते हैं। सबसे ज्यादा विवाद फर्जी एडवाइजरी कंपनियों को संरक्षण देने के लगे हैं। ऑनलाइन सट्टे में सरगना को बचाने की सांठगांठ के भी आरोप लगते रहे हैं। अन्नपूर्णा में ऑनलाइन सट्टा पकड़ाने के बाद तीन लाख की रिश्वत लेने की शिकायत पर एसआइ सहित तीन सिपाही लाइन अटैच हो चुके हैं। कमिश्नरेट के बाहर जाकर जुएं के अड्डे पर छापे मारने पर भी कार्रवाई हो चुकी है। कुछ लोग वरिष्ठ अफसरों के लिए काम करते हैं, इसलिए उन्हें हर बार बचा लिया जाता है।

एएसपी नहीं रूकते ज्यादा दिन क्राइम ब्रांच (Crime Branch ) में आने के लिए सभी बेताब रहते हैं, लेकिन यहां की रजनीति से कई अधिकारी परेशान हो जाते हैं। एएसपी स्तर के अधिकारी यहां ज्यादा नहीं टिकते। कई टीआइ तैनात होने के बाद भी अफसरों ने करीब 3 साल तक क्राइम ब्रांच थाने की कमान एसआइ लोकेंद्र को सौंप रखी थी। यहां एएसपी बने अनिल सिंह कुछ दिन बाद ही देपालपुर एसडीओपी बन गए, अरविंद तोमर आए तो संयोगितागंज एएसपी के पद पर भेज दिया। एसीपी अजीत तिवारी एडिशनल कमिश्नर ऑफिस चले गए। इस समय कोई टीआइ यहां पदस्थ नहीं है।

टीआइ से भिड़ने वाले एसआइ भी लाइन अटैच क्राइम ब्रांच (Crime Branch ) में टीआइ धनेंद्रसिंह भदौरिया व एसआइ लोकेंद्र के बीच विवाद पर एडिशनल कमिश्नर ने भदौरिया को लाइन अटैच कर दिया था। आरोप था कि लोकेंद्र उन्हें भी हवालात में रखना चाहते थे, जो आरोपी नहीं थे। इसे लेकर टीआइ से विवाद हुआ। लोकेंद्र की पोस्टिंग डीसीआरबी में थी, लेकिन अफसरों से नजदीकी के कारण क्राइम ब्रांच में काम कर रहे थे। हिंगणकर के मुताबिक, लोकेंद्र को भी लाइन अटैच कर दिया है।



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