क्या Bihar में लालू-नीतीश की पिछलग्गू पार्टी बन कर रह गई है BJP? इतिहास जान लीजिए

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क्या Bihar में लालू-नीतीश की पिछलग्गू पार्टी बन कर रह गई है BJP? इतिहास जान लीजिए

क्या Bihar में लालू-नीतीश की पिछलग्गू पार्टी बन कर रह गई है BJP? इतिहास जान लीजिए


पटना: वैसे तो किसी भी पार्टी को अधिकार है कि वो जिसे चाहे अपना अध्यक्ष बनाए। मगर कास्ट पॉलिटिक्स की लेबोरेट्री कहे जानेवाले बिहार में सत्ता का सुख अब तक नीतीश के कंधे के भरोसे बीजेपी भोगती आई है। नीतीश कुमार के बेस वोट बैंक कोइरी और कुशवाहा को माना जाता है। कोइरी समाज से आनेवाले सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। बीजेपी में आने से पहले सम्राट चौधरी नीतीश कुमार के ‘लेफ्टिनेट’ के तौर पर जेडीयू को मजबूत करने में जुटे थे। मगर नीतीश के सामने किसी की महत्वाकांक्षा कहां चली है, नतीजतन सम्राट चौधरी को पार्टी से निकलना पड़ा। बीजेपी ने हाथोंहाथ लिया और 2018 में प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष का ओहदा दिया। बाद में मंत्री पद से होते हुए 2023 में बिहार बीजेपी की कमान सौंप दी।

‘अपना’ बढ़ाने से ज्यादा दूसरे को तोड़ने पर नजर!

2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने ‘मिशन लव-कुश’ (कोइरी-कुर्मी का सियासी शब्दावली) पर फोकस किया। कोइरी-कुर्मी जाति से आनेवाले कई नेताओं को पार्टी में बड़ा ओहदा दिया गया। आरसीपी सिंह से लेकर उमेश कुशवाहा तक को जेडीयू की कमान सौंपी गई। मगर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा जब आरसीपी सिंह की बड़ी हुई तो सम्राट की तरह उन्हें भी पार्टी से बाहर होना पड़ा। उपेंद्र कुशवाहा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। अगस्त 2022 आते-आते नीतीश कुमार का बीजेपी से भी मोहभंग हो गया। इसके बाद बीजेपी के नेता नीतीश कुमार पर तोहमतों की बौछार करने लगे। अब बीजेपी की नजर नीतीश के बेस वोट बैंक पर है। मतलब कोइरी-कुर्मी पर। उसे लगता है कि कोइरी समुदाय से आनेवाले सम्राट चौधरी बिहार में सत्ता दिला देंगे।

सम्राट से पहले संजय जायसवाल थे प्रदेश अध्यक्ष

इससे पहले बीजेपी की फोकस यादव जाति पर थी। उसे लगता था कि बीजेपी के यादव नेताओं को आगे कर लालू यादव को कमजोर कर देगी। इसी मिशन के तहत भूपेंद्र यादव बिहार बीजेपी के प्रभारी लंबे समय तक रहे। नित्यानंद राय को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। मगर बीजेपी अपने मिशन में कामयाब नहीं हो पाई। आखिरकार उसने प्रदेश बीजेपी के यादव नेताओं को किनारे किया और बनिया समाज से आनेवाले संजय जायसवाल को बिहार बीजेपी की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि, बीजेपी में आने से पहले संजय जायसवाल लालू यादव की पार्टी को मजबूत करने में जुटे थे। मगर 2020 विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी को नंबर दो की पार्टी बना दिया।

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ऐसा परसेप्शन है कि बीजेपी अगड़ी जातियों की पार्टी है। सवर्ण तबका जमकर बीजेपी को वोट भी करता है। जो पार्टियां पिछड़ों की राजनीति का दावा करतीं हैं, उसके प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण है। मगर सवर्ण राजनीति की झंडा उठाने वाली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पिछड़े तबके से आनेवाले सम्राट चौधरी को बनाया गया। वैसे भी कहा जा रहा है कि बिहार की राजनीति में कोइरी-कुर्मी समाज का ‘स्वर्ण काल’ चल रहा है। बिहार में बीजेपी लगातार जातिगत गोलबंदी करते रही है। फिलहाल इसका मकसद आरजेडी के यादव वोट बैंक के मुकाबले अन्य पिछड़ा वर्ग में लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) को अपने पक्ष में एकजुट करना है।

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बिहार में यादव आबादी तकरीबन 15 प्रतिशत है। जो ओबीसी वोट बैंक में कुशवाहा संख्या-बल से बड़ी है। मोटे तौर पर कहा जाता है कि कुशवाहा यानी कोइरी 6.4%, कुर्मी 4% हैं। सवर्णों में भूमिहार 4.7%, ब्राह्मण 5.7%, राजपूत 5.2% और कायस्थ 1.5% हैं। बीजेपी को लगता है कोइरी-कुर्मी वोट (10.4 प्रतिशत) में से सम्राट चौधरी आधा वोट भी तोड़ पाए तो वो बीजेपी के लिए संजीवनी की तरह होगा।

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