क्या है इम्पैक्ट प्लेयर नियम, बीच मैच में कैसे एक्सचेंज होंगे खिलाड़ी और कितना बदल जाएगा खेल?

54
क्या है इम्पैक्ट प्लेयर नियम, बीच मैच में कैसे एक्सचेंज होंगे खिलाड़ी और कितना बदल जाएगा खेल?


क्या है इम्पैक्ट प्लेयर नियम, बीच मैच में कैसे एक्सचेंज होंगे खिलाड़ी और कितना बदल जाएगा खेल?

नई दिल्ली: क्रिकेट को और रोमांचक बनाने के उद्देश्य के साथ भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने घरेलू क्रिकेट के मुकाबलों में सब्स्टीट्यूट प्लेयर उतारने के नियम को लागू करने का फैसला किया है। फुटबॉल, हॉकी व कई अन्य खेलों में सब्स्टीट्यूट प्लेयर उतारने का नियम पहले से है और अब यह कुछ अलग अंदाज में क्रिकेट में भी लागू होने जा रहा है। इसकी पहल सबसे पहले बीसीसीआई ने की है। बीसीसीआई ने फैसला किया है कि टीमें अगले महीने शुरू हो रहे घरेलू टी-20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रोफी में एक सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी उतार सकती हैं। इस नए नियम को ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नाम दिया गया है।

बीसीसीआई ने इसे लेकर सभी राज्य संघों को सर्कुलर भेजा है। इसमें कहा गया है, ‘टी 20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यह जरूरी है कि हम नई चीजों को पेश करें, जो इस प्रारूप को दर्शकों के साथ-साथ टीमों को लिए और अधिक आकर्षक बनाए।’ बोर्ड के अनुसार ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के इस नियम से मैच में टीमों के सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों की भूमिका बढ़ जाएगी। इससे खेल में रणनीतिक तौर पर बदलाव आएगा। रिपोर्ट के अनुसार, अगर सब कुछ ठीक रहा तो फिर इस नियम को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आने वाले सत्रों में भी आजमाया जा सकता है।

क्या है नया नियम

  • टॉस के वक्त प्लेइंग-11 के साथ टीमों को अपने चार सब्सटीट्यूट भी बताने होंगे
  • चार में से केवल एक सब्सटीट्यूट का ही बतौर इम्पैक्ट प्लेयर इस्तेमाल होगा
  • मैच में पारी के 14वें ओवर तक ही इम्पैक्ट प्लेयर मैदान पर भेजे जा सकते हैं
  • जिस खिलाड़ी के बदले नए खिलाड़ी को भेजा जाएगा वह पूरे मैच से बाहर रहेगा। वह फील्डिंग भी नहीं कर सकेगा
  • ओवर खत्म होने, विकेट गिरने या प्लेयर के चोटिल होने के बीच ही इम्पैक्ट प्लेयर को मैदान पर उतार या भेजा जा सकता है, चलते मैच के बीच बदलाव नहीं हो सकता
  • बैटिंग कर चुके बल्लेबाज के बदले या फिर बॉलिंग कर चुके गेंदबाज के बदले भी इम्पैक्ट प्लेयर मैदान पर जा सकता है
  • इम्पैक्ट प्लेयर पूरी पारी में बल्लेबाजी कर सकता है और पूरे 4 ओवर गेंदबाजी कर सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में 11 खिलाड़ी ही बल्लेबाजी कर सकते हैं।

नियम मानने को बाध्य नहीं
बीसीसीआई ने इस नए नियम की जानकारी अपने राज्य संघों को दे दी है। इसमें साफ कहा गया है कि यह टीमों के ऊपर निर्भर करता है कि वह ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ रखना चाहते हैं या नहीं। इसके लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने जो नियम बनाए हैं, उसके मुताबिक मैच यदि किसी कारणवश 10-10 ओवर से कम का होता है तो उसमें यह नियम लागू नहीं होगा। इस नए नियम का फायदा यह होगा कि बल्लेबाजी में विफल रहने की स्थिति में टीमें एक अतिरिक्त बल्लेबाज या फिर गेंदबाजी कमजोर होने पर एक अतिरिक्त गेंदबाज को उतार सकती हैं।

नियम में ये भी अहम पहलू

  • अगर मैच देर से शुरू होता है या ऐसी संभावना होती है कि 10 ओवर का खेल भी नहीं हो पाएगा तो इम्पैक्ट प्लेयर का नियम लागू नहीं होगा।
  • यदि एक टीम ने इम्पैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल कर लिया है और किसी कारण से मैच 10 ओवर का हो जाता है तो दूसरी टीम भी इम्पैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल कर सकेगी
  • यदि मैच और छोटा होता है और एक टीम ने इम्पैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल नहीं किया है तो दूसरी टीम भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगी

अब टॉस नहीं रहेगा बॉस
इस नियम के आने से बहुत हद तक टॉस का महत्व कम होगा। टीमें अब कंडिशंस के हिसाब से अपने इम्पैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी मैच में दूसरी पारी में ओस की भूमिका अहम होने वाली है तो उस मैच में बाद में बोलिंग करने वाली टीम एक अतिरिक्त बोलर को लाकर अपने अटैक को और मजबूत कर सकती है। मैच शुरू होने के बाद पता चले कि पिच ज्यादा टर्न ले रही या फिर पेसर्स के अनुकूल है तो एक अतिरिक्त स्पिनर या पेसर को जोड़कर बैटिंग टीम पर दबाव बनाया जा सकेगा। इसी तरह एक अतिरिक्त बल्लेबाज को लाकर टीमें अपनी ढहती पारी को संवारने का काम कर सकती हैं।

पहले भी हुआ है यह प्रयोग

यह कोई नया नियम नहीं है। इससे पहले वर्ष 2005 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) सब्सटीट्यूट का यह नियम आजमा चुका है। तब इसे ‘सुपर सब’ नाम दिया गया था। उस नियम में ‘सुपर सब’ यदि आउट हुए बल्लेबाज के बदले उतरा है तो वह बल्लेबाज नहीं कर सकता। ऐसा ही बॉलिंग के साथ था। बदल गया बॉलिंग के कोटे के ओवर भी ‘सुपर सब’ नहीं फेंक सकता था। हालांकि इसकी काफी आलोचना हुई थी जिसके बाद इस नियम को वापस लेना पड़ गया था।

बिग बैश में है एक्स फैक्टर नियम

ऑस्ट्रेलिया की टी-20 लीग बिग बैश में भी ऐसा ही एक नियम है। इसे एक्स-फैक्टर कहा जाता है। इस नियम में हर टीम पहली पारी के 10वें ओवर से पहले 12वें या 13वें खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बना सकती है। इस नियम के लिए जरूरी है कि उस खिलाड़ी ने बल्लेबाजी न की हो या फिर एक से अधिक ओवर न फेंका हो।



Source link