क्या बिकिनी या अंडरगारमेंट्स का रंग सरकार से पूछ कर सिलेक्ट करें? ये तो हद है

63
क्या बिकिनी या अंडरगारमेंट्स का रंग सरकार से पूछ कर सिलेक्ट करें? ये तो हद है

क्या बिकिनी या अंडरगारमेंट्स का रंग सरकार से पूछ कर सिलेक्ट करें? ये तो हद है

दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘पठान’ के ‘बेशर्म रंग’ में उन्होंने खूब ग्लैमरस अंदाज दिखाया। हालांकि, कपड़ों को पहनते समय उन्होंने ये सोचा भी न हो कि कभी बिकीनी के रंग पर ऐसा बवाल भी हो सकता है। खैर, अब तो हो गया, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या अब हमारे कपड़ों के रंगों को चुनने के लिए भी कहीं से इजाजत लेनी पड़ेगी?

चारों तरफ ‘भगवा बिकीनी’ के नाम से चर्चा

कहते हैं कि ‘मानो तो गंगा मां न मानो तो बहता पानी’, ‘मानो तो देव न मानो तो पत्थर’ …ये बातें हमारी संस्कृति ने ही हमें सिखाई हैं। मजे की बात ये है कि आज लोग बहते पानी को भी गंगा मानने लगे हैं और बिकीनी जैसी चीजों में भी धर्म तलाश लेते हैं। आप समझ ही गए होंगे कि यहां बात फिल्म ‘पठान’ की एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और उनके ऑरेंज बिकीनी की हो रही है। ये वही बिकीनी है जो इस वक्त चारों तरफ ‘भगवा बिकीनी’ के नाम से चर्चा बटोर रही है। चलिए, एक बार पूरी बात आपको फिर से बताते हैं कि माजरा है क्या।

कुछ लोगों की निगाहों में दीपिका की ऑरेंज बिकीनी स्कैन हो गई

दरअसल शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का पहला गाना मेकर्स ने 12 दिसम्बर को लॉन्च किया। गाने का टाइटल है ‘बेशर्म रंग’ और इसी गाने में कुछ झलकियों को लेकर लोगों की आपत्ति लगातार बढ़ती चली जा रही है। बात केवल आपत्ति तक भी नहीं है बल्कि अब यह फिल्म के बायकॉट से लेकर सिनेमाहॉल को भी फूंकने तक की बात कह दी गई है। दीपिका का यह गाना रिलीज हुआ तो देखते ही कुछ लोगों ने उनके डांस स्टेप्स पर भौंहें तान दी। इतनी ही देर में कुछ लोगों की निगाहों में दीपिका की ऑरेंज बिकीनी भी कैप्चर हो गई। इसी के साथ शुरू हुई बिकीनी के रंगों में धर्म को तलाशने की कहानी भी। इतना तो तय है कि महिलाओं ने अपने लिए अंडरगारमेंट्स खरीदते वक्त रंगों के सिलेक्शन के बारे में इस दायरे में जाकर कभी नहीं सोचा होगा। खैर, धर्म और राजनीति, इन्हें साथ लेकर चलने का अपना ही मजा है और इसका जादू असर भी तो करता है। वही हुआ भी। अब सवाल तो ये भी उठता है कि फिल्मों में इससे पहले भी हिरोइनों ने भगवा रंग की बिकीनी में नजर आई हैं और सेंसेशनल पोज़ भी दे चुकी हैं, ऐसे में दीपिका की ही बिकीनी पर सवाल क्यों?


दीपिका पादुकोण के ख‍िलाफ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में शिकायत, भगवा बिकीनी विवाद में बढ़ सकती हैं मुश्‍क‍िलें

फिल्म के मेकर्स को मिल गई है चेतावनी

यहां चर्चा जरूरी है कि हाल ही में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ‘पठान’ के इस गाने पर आपत्ति जताई और भगवा बिकीनी और ग्रीन शर्ट पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि यह गाना दूषित मानसिकता का नतीजा है। इतना ही नहीं उन्होंने मेकर्स को चेताया भी कि अगर फिल्म के गाने के कुछ सीन को हटाया न गया तो फिर वो डिसाइड करेंगे कि यह फिल्म उनके राज्य में रिलीज होगी या नहीं। यूपी के अयोध्या में भी ‘पठान’ में दिखे इस भगवा बिकीनी का विरोध हुआ और महंत राजू दास ने कहा कि मैं दर्शकों से अपील करता हूं कि जिन भी थिएटर में पठान दिखाई जाए उन्हें फूंक दो। उन्होंने यह भी कहा कि ‘पठान’ फिल्म ने साधु संतों और राष्ट्र के रंग भगवा को ठेस पहुंचाई है, जो बहुत बुरा है।

navbharat times -Pathaan: दीपिका पादुकोण की बिकीनी भगवा हो गई तो ‘बायकॉट पठान’, पर कांतारा से तुलना क्यों?

फिल्मों का भी एक माहौल है, उसे सांस लेने दें

हर जगह का एक माहौल होता है और फिल्मों का भी एक माहौल है और उनका भी अपना परिवेश होता है। इसे भी अपनी दुनिया में सांस लेने दें। बेशक आपको फिल्मों में गंदगी दिखती है तो मत देखिए न, कोई फोर्स नहीं, लेकिन इसे धर्म से जोड़कर तो कम से कम इसका विरोध मत कीजिए। मैं ये नहीं कहती कि आपको नेतागीरी नहीं करनी चाहिए, पर क्या देश में वैसे मुद्दे कम पड़ गए हैं कि अब हमारे नेताओं को बिकीनी में भी मुद्दा दिखने लगा है? हम सब आजाद हैं, हम अपने-अपने पहनावों के उसके रंगों को चुनने के लिए हमारी अपनी अभिव्यक्ति है और यकीन मानिए अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाना भी किसी क्राइम से कम नहीं। अब क्या बिकीनी और हमारे अंडरगारमेंट्स के रंग भी हम सरकार से पूछकर सिलेक्ट करें?

navbharat times -‘पठान’ पर बवाल के बीच सामने आए शाहरुख, कहा- दुनिया चाहे कुछ भी कर ले, जितने भी पॉज़िटिव लोग हैं जिंदा हैं

पहनने वाले को भी पता हो कि वो खतरे के निशान से नीचे हैं

और अगर ऐसा है तो इसके और भी तरीके हैं ताकि ऐसा कोई अनर्गल मुद्दा विवाद का रूप ही न ले पाए। आपको ऐसा जो भी रंग लगता हो उन रंगों की लिस्ट सजा लीजिए और बनवा लीजिए अपना ट्रेडमार्क ताकि उसका इस्तेमाल अंडरगारमेंट्स जैसे कपड़ों के लिए साफ बैन हो जाए। या फिर एक और तरीका है कि बिकीनी या अंडरगारमेंट्स बनानी वाली कंपनियों को उन रंगों की लिस्ट ही दे दीजिए, जिसका इस्तेमाल कंपनियां बिखौफ कर सके और पहनने वाले को भी पता हो कि वो खतरे के निशान से नीचे हैं।

navbharat times -Pathaan Controversy: कहीं थिएटर जलाने की धमकी तो कहीं बैन की मांग! समझिए क्या है भगवा बिकीनी पर मचा पूरा बवाल

ये बातें तब कर रहे हैं जहां हम आधुनिकता की बातें करते हैं

आश्चर्य ये है कि हम ये बातें इस दौर में कर रहे हैं जहां हम आधुनिकता की बातें करते हैं, हम हाई सोसायटी और मिडल क्लास के फर्क को भी अच्छी तरह से समझते और स्वीकारते हैं। कहते हैं कि कला का सबसे लोकप्रिय माध्यम सिनेमा है, जिसका सीधा और साधारण सा मतलब मनोरंजन है। यह मनोरंजन कभी रोमांटिक हो सकता है, कभी एडवेंचरस तो कभी थ्रिलर। क्यों न हम फिल्मों को सिर्फ फिल्म ही रहने दें, इसे एंटरटेनमेंट और मस्ती तक रखें! क्यों इसके एक-एक धागों से हम इसे देश की राजनीति और धर्म के बीच का जाल बुनें!

(डिस्क्लेमर: आर्टिकल में लिखी गई बातें लेखक के अपने विचार हैं)