क्या खात्मे की ओर बढ़ रही है कोरोना महामारी? महामारी अंत के करीब होती है, तो क्या होता है जानें…

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क्या खात्मे की ओर बढ़ रही है कोरोना महामारी? महामारी अंत के करीब होती है, तो क्या होता है जानें…

क्या खात्मे की ओर बढ़ रही है कोरोना महामारी? महामारी अंत के करीब होती है, तो क्या होता है जानें…

नई दिल्ली: देश में मार्च के महीने में कोरोना के मामलों में धीमी वृद्धि देखने को मिल रही है। सरकार भी इस मामले में लगातार राज्यों को चेता रही है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि फरवरी के दूसरे हफ्ते में जहां देश में रोजाना आने वाले औसतन केस 108 थे, वहीं 23 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में ये केस बढ़कर 966 हुए है। संक्रमण दर भी 0.09 प्रतिशत से बढ़कर 1.08 प्रतिशत हुई है। केसों में बढ़ोतरी जरूर हुई है लेकिन यह अप्रत्याशित बढ़ोतरी नहीं है। पिछले एक हफ्ते में वैश्विक स्तर पर देखें तो कुल कोविड केसों (93,977 रोजाना) में से केवल एक पर्सेंट ही भारत में हैं। अमेरिका में जहां रोजाना 18 हजार से ज्यादा (विश्व में आने वाले कुल केसों का 19.2 पर्सेंट) हैं, वहीं रूस में भी कुल केसों का 12.6 पर्सेंट हिस्सा है। चीन, साउथ कोरिया, फ्रांस में भी कुल केसों का 7 से 8 पर्सेंट हिस्सा है। देश में केस बढ़ रहे हैं लेकिन अभी अस्पतालों में एडमिशन नहीं बढ़े हैं और मृत्यु दर में भी इजाफा नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा, अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बीमारी का खात्मा हो गया क्योंकि वैश्विक स्तर पर 90 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं लेकिन जब कोई महामारी एंडमिक होने लगती है तो वेरिएंट की संख्या में बढ़ोतरी होती है। यही ट्रेंड कोविड में भी दिख रहा है।

बढ़ते केसों के पीछे ओमिक्रॉन सब वेरिएंट

उधर, भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के डेटा के अनुसार, कोविड के बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट XBB.1.16 मूल रूप से जिम्मेदार है। जनवरी से मार्च 2023 के बीच देश में ओमिक्रॉन के ही कम से कम 12 सब वेरिएंट एक्टिव है। इससे पहले भी बहुत से सब वेरिएंट सामने आए थे। चूंकि कोरोना भी दूसरे वायरस की तरह समय-समय पर अपना रूप बदलता रहता है, ऐसे में नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। 2021 में ओमिक्रॉन की पहचान होने के बाद से अब तक इस वेरिएंट के करीब 1000 रूप (pango lineages) का पता लग चुका है। खास बात है कि इसके ज्यादातर वेरिएंट खतरनाक नहीं होते। कुछ सब वेरिएंट को ही वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) की कैटिगरी में रखा गया है।

देश में सिर्फ ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट एक्टिव

देश में सिर्फ ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट एक्टिव

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक, जनवरी से मार्च के बीच ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट XBB.1.16 के 344 केसों की जीनोम जांच में पुष्टि हुई है। इसमें से मार्च में 204 केस मिले है। इस वेरिएंट के सबसे ज्यादा 105 केस महाराष्ट्र में पाए गए हैं। तेलंगाना में 93, कर्नाटक में 57, गुजरात में 54 केस पाए गए हैं। दिल्ली में भी पिछले कुछ दिनों से कोविड केस बढ़े हैं और इसके पीछे भी यही सब वेरिएंट जिम्मेदार है क्योंकि जीनोम जांच में दिल्ली में भी इस वेरिएंट के 19 केसों का पता चला है। वहीं पिछले तीन महीनों में XBB.1.5 के 196 केसों की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि XBB.1.16 और XBB.1.5 की वैज्ञानिक समीक्षा जारी है। यह ठीक है कि केसों में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अस्पतालों में होने वाले एडमिशन और मौतों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं है। ऐसे में ये दोनों वेरिएंट कितने घातक है, इसकी पूरी जानकारी वैज्ञानिक समीक्षा के बाद ही हो सकती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ऐक्शन मोड में

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ऐक्शन मोड में

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी ओर से सभी जरूरी तैयारियां कर रहा है। जिन सात राज्यों में कोविड के केस बढ़ रहे थे, उन राज्यों के साथ लगातार संपर्क किया जा रहा है। साथ ही अस्पतालों की तैयारियों की भी समीक्षा हो रही है। 27 दिसंबर 2022 को देश भर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मॉक ड्रिल की थी। 22,000 अस्पतालों में तैयारियों की स्थिति देखी थी। अब आने वाले दिनों में एक और मॉक ड्रिल होगी ताकि देख सकें कि अस्पतालों में दवाईयां, बेड्स, उपकरण, स्टाफ की क्या स्थिति है। ऑक्सिजन और ICU बेड्स की भी समीक्षा होगी। लोगों को जागरूक किया जाएगा। 16 मार्च को सात राज्यों को विशेष दिशा निर्देश दिए थे। जिसमें कहा था कि टेस्टिंग बढ़ाएं, जीनोम जांच बढ़ाएं, पॉजिटिव केस पता चलते ही जीनोम जांच के लिए सैंपल भेजे। वैक्सिनेशन बढ़ाए और कोविड उपयुक्त व्यवहार पर ध्यान दें।

कोरोना के ताजा आंकड़े

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देशभर में 23 मार्च को कोविड की स्थिति पर डालें एक नजर…

इन्फ्लुएंजा पर भी नज़र

इन्फ्लुएंजा पर भी नज़र

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि फ्लू और इन्फ्लुएंजा सीजनल बीमारी है, जो दशकों से चली आ रही है। चार तरह के इन्फ्लुएंजा होते है। इन्फ्लुएंजा-ए गंभीर बीमारी की कैटिगरी में आता है। इसके अलावा इन्फ्लुएंजा बी, सी और डी भी है। कुछ सब टाइप भी हैं। भारत में जनवरी, फरवरी मार्च इस बीमारी का पहला सीजन होता है। जुलाई-अगस्त के बाद दूसरा सीजन होता है। साल दर साल लगभग एक जैसी स्थिति होती है। पांच साल से कम बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्गों पर यह बीमारी ज्यादा असर करती है। विदेशों में वैक्सीन ली जाती है लेकिन भारत में इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन कम लोग लेते हैं। हालांकि कई टाइप के इन्फ्लुएंजा के कारण हर साल वैक्सीन की स्थिति में भी बदलाव करना होता है।

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