क्या कांग्रेस को ‘राहु’ल काल से उबारेंगे कन्हैया, जयराम रमेश के सियासी ‘बांसुरी’ बजाने के मायने

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क्या कांग्रेस को ‘राहु’ल काल से उबारेंगे कन्हैया, जयराम रमेश के सियासी ‘बांसुरी’ बजाने के मायने

क्या कांग्रेस को ‘राहु’ल काल से उबारेंगे कन्हैया, जयराम रमेश के सियासी ‘बांसुरी’ बजाने के मायने

पटना : बिहार की राजनीति को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल गुणा-गणित भिड़ाते रहते हैं। उसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं है। पटना में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया। जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी के बाद पार्टी में लोकप्रियता के पैमाने पर दूसरे नंबर पर कन्हैया हैं। सवाल बड़ा है। आखिर कांग्रेस को बिहार में राहुल गांधी की जगह कन्हैया को प्रमोट करने की जरूरत क्यों पड़ी? सियासी जानकार मानते हैं कि कन्हैया बिहार से आते हैं। उसके अलावा जाति से भूमिहार हैं। हाल के दिनों में जेडीयू और राजद ने सवर्ण वोटों को अपने पाले में करने की कवायद शुरू की। कांग्रेस को लग रहा है कि कन्हैया के बहाने ही सही कुछ सवर्ण वोट को अपने पाले में किया जाए।

बीजेपी से कट रहे हैं सवर्ण
बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि बिहार में इन दिनों सवर्ण वोट बंट सा गया है। ऐसा नहीं कह सकते कि ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और कायस्थ के अलावा जितनी भी ऊंची जातियां हैं, वो सिर्फ बीजेपी के पाले में है। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सवर्ण वोटों का एक समूह नीतीश के पाले में भी है। लालू के पास पहले से कोर वोटर अति पिछड़ा मौजूद है। वे कहते हैं कि हाल के दिनों में कांग्रेस से सवर्ण वोट छिटक गए थे। लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस की स्थिति में सुधार हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण सवर्ण वोटों को कुछ भाग कांग्रेस की ओर लौटा है।

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‘भूमिहारों को साधेगी कांग्रेस’
प्रमोद दत्त मानते हैं कि कन्हैया की भूमिहार जाति के युवाओं में अच्छी पकड़ है। कांग्रेस वैसे भी लेफ्ट को पसंद करती है। आप कोई भी सरकार उठाकर देख लीजिए कांग्रेस ने केंद्र हो या राज्य हमेशा लेफ्ट को अपने साथ रखा है। कांग्रेस को मालूम है कि यदि बिहार में कन्हैया को प्रमोट करते हैं, तो भूमिहार वोटों को साधने में मदद मिलेगी। कांग्रेस ये भी जानती है कि लालू और नीतीश जातिगत जनगणना को लेकर मुखर हुए हैं। ऐसे में सवर्ण वोटों पर कहीं महागठबंधन का कब्जा ना हो जाए। इसलिए, कांग्रेस कन्हैया को प्रमोट कर रही है। प्रमोद दत्त का कहना है कि भूमिहार वोटों को साधना बड़ी बात है। खासकर, जिस इलाके से कन्हैया आते हैं, उस इलाके में भूमिहार ज्यादा हैं। वे कहते हैं कि बिहार की सियासत में मूल मंत्र जातिगत समीकरण ही है। इसे साधने में कोई दल पीछे नहीं रहते। कन्हैया को राहुल के बाद लोकप्रिय बताना कांग्रेस की इसी सोच का परिणाम है।

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राजद ने भी सवर्णों को साधा
सियासी जानकार कहते हैं कि राजद ने पहले ही सवर्णों को साधने की कोशिश कर दी है। जानकारों कहते हैं कि आप थोड़ा पीछे चलकर देखें। एमएलसी चुनाव के वक्त आरजेडी ने 24 उम्मीदवारों की सूची जारी की। जिसमें नौ यादव, पांच भूमिहार, चार राजपूत, एक-एक टिकट ब्राह्मण-वैश्य, कुशवाहा एवं तीन टिकट मुस्लिम नेताओं को दिया था। राजद ने 6 सीट पर जीत दर्ज की थी। उनमें से तीन भूमिहार और एक राजपूत यादव और वैश्य समुदाय से जीते थे। आरजेडी ने उम्मीद के उलट ‘भूराबाल’ से दुश्मनी के बजाए दोस्ती गांठ ली और नतीजा फायदे का रहा।

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सवर्णों को साधने की कवायद
सियासी जानकार मानते हैं कि उधर, जेडीयू पहले से सवर्णों को साधने की कवायद कर चुकी है। जेडीयू में सवर्ण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। जेडीयू ने विधानसभा में तमाम जातियों को एक साथ लाने की कोशिश की थी। लेकिन सफलता उतनी नहीं मिली। विधानसभा चुनाव में हालांकि सवर्ण वोट जेडीयू को नहीं मिला। निराशा हाथ लगी। उसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर सवर्णों को साधने की कवायद शुरू हुई। यही नहीं जेडीयू ने 4 सवर्णों को मंत्री पद भी दिया है। जेडीयू की ये कोशिश कोई पहली कोशिश नहीं है। इससे पहले पार्टी ने 2011 में बिहार में सवर्ण आयोग का गठन किया था। अब आप सोच सकते हैं कि जेडीयू और राजद में ऑलरेडी सवर्णों को साधने की नूरा-कुश्ती चल रही है। इस बीच यदि कोई पार्टी पीछे हैं, तो वो है कांग्रेस। कन्हैया को बिहार में प्रमोट करने से कांग्रेस एक तीर से दो निशाना साधेगी। भूमिहार वोटरों को अपने पाले में करना और लेफ्ट वोटरों को प्रभावित करना।

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बिहार में कांग्रेस की स्थिति
वैसे भी बिहार कांग्रेस नेतृत्व संकट से जूझ रही है। बिहार में वैसे कोई चेहरा कांग्रेस के पास नहीं है। जिसके बल पर कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सके। हां, कन्हैया कुमार वो चेहरा बन सकते हैं। कन्हैया युवाओं में लोकप्रिय हैं। साफ छवि है। उधर, राहुल गांधी की बिहार में उतनी पकड़ नहीं है। जयराम रमेश के बयान के मायने समझने वाले पत्रकार कहते हैं कि कांग्रेस ने सोच समझकर ये बयान जयराम रमेश से दिलवाया है। वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि बिहार कांग्रेस में वर्तमान में मौजूद पार्टी नेता आपसी खींचतान में लगे रहते हैं। कांग्रेस में पहले की तरह आज भी साइकोफेंसी हावी है। एक-दूसरी की टांग खींचना और उसके बाद आलाकमान को पद के लिए पत्र लिखना। बस यही काम रह गया है।

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कन्हैया कुमार लोकप्रिय
आपको बता दें कि पटना पहुंचे जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कन्हैया कुमार दूसरे सभी कांग्रेसी नेताओं की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय हैं। उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी के साथ कुल सैकड़ों लोग कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा में निकले हैं। इसमें बिहार के पांच लोग हैं। जिसमें कन्हैया कुमार शामिल हैं। पार्टी में राहुल गांधी के बाद कन्हैया सबसे ज्यादा पॉपुलर यानि लोकप्रिय नेता है। उत्तर से दक्षिण तक कन्हैया कुमार की भारी डिमांड है। कन्हैया कुमार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में साथ चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये यात्रा जहां भी पहुंच रही है, वहां राहुल गांधी के बाद तमाम लोग कन्हैया कुमार की ही डिमांड कर रहे हैं।

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