‘क्या अब तेजस्वी यादव की पालकी ढोएंगे उपेंद्र कुशवाहा’, बीजेपी ‘जमीर’ जगाने की फिराक में

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‘क्या अब तेजस्वी यादव की पालकी ढोएंगे उपेंद्र कुशवाहा’, बीजेपी ‘जमीर’ जगाने की फिराक में

‘क्या अब तेजस्वी यादव की पालकी ढोएंगे उपेंद्र कुशवाहा’, बीजेपी ‘जमीर’ जगाने की फिराक में

नीलकमल, पटना: बिहार में 2020 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड ने मिलकर लड़ा था और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार का गठन किया था। लेकिन 5 साल के लिए मिले मैंडेट को दरकिनार कर नीतीश कुमार ने अपने घोर विरोधी लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ हाथ मिला लिया। बिहार में यह दूसरी बार हुआ था कि बहुमत वाली सरकार के रहते ढाई साल बाद ही सत्ता परिवर्तन हो गया हो। और इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात तो यह थी कि दोनों सरकार बनाने में नीतीश कुमार ही सूत्रधार रहे। इसके अलावा नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन अब कभी भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा। लेकिन लालू प्रसाद यादव के साथ ढाई साल सरकार चलाने के बाद भी नीतीश अपने ही वादे से पलट गए।

जब नीतीश ने कहा था मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा
2013 में बीजेपी का साथ छोड़ने वाले नीतीश कुमार ने 2015 विधानसभा का चुनाव अपने घोर विरोधी लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में दो चिर प्रतिद्वंदी लालू – नीतीश की जोड़ी को अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई थी। 2010 के विधानसभा चुनाव में महज 22 सीट पर सिमटने वाली राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार का साथ लेकर 80 सीट पर जीत हासिल की थी। वही जनता दल यूनाइटेड को 71 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के साथ ही नीतीश कुमार ने विधानसभा के सत्र में यह कह कर चौंका दिया था कि वह संघ मुक्त भारत बनाना चाहते हैं।
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जुलाई 2017 में लालू प्रसाद के आरजेडी को मझधार में छोड़, एक बार फिर बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में एनडीए की सरकार बनाकर मुख्यमंत्री बन गए। 2020 विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा और सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी के लिए सदन में यह कहा कि कुछ भी हो जाए लेकिन यह लोग भ्रष्टाचार करना नहीं छोड़ेंगे। लेकिन 2017 की तर्ज पर ही ठीक ढाई साल बाद नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में बीजेपी को भी मझधार में छोड़ फिर से लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई और आठवीं बार मुख्यमंत्री बने।
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अब उपेंद्र कुशवाहा ने कहा ‘मर जाऊंगा लेकिन भाजपा में नहीं जाऊंगा’
जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कार्यकर्ताओं के सामने यह कहा कि मैं मर जाऊंगा लेकिन भाजपा में कभी नहीं जाऊंगा। दरअसल लोकल मीडिया में यह खबर चल रही थी कि उपेंद्र कुशवाहा का झुकाव बीजेपी की तरफ हो रहा है और वह जल्द ही जनता दल यूनाइटेड छोड़ भाजपा में शामिल हो जाएंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने ऐसी खबरों को भ्रामक बताते हुए न सिर्फ इसका खंडन किया बल्कि खुद को जनता दल यूनाइटेड का सच्चा सिपाही साबित करने की भी कोशिश की। मुख्यमंत्री के सामने उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि वह कहीं नहीं जाने वाले और न ही वह बिहार में मंत्री बनना चाहते हैं।
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जब नीतीश कुमार के खिलाफ उपेंद्र कुशवाहा ने खोला था मोर्चा
यह उन दिनों की बात है जब उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे और नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री थे। केंद्रीय राज्य मंत्री रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा तो नीतीश सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ बिहार में मुहिम भी चला चुके हैं। उस वक्त उन्होंने नीतीश कुमार की शिक्षा नीति के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाने के साथ बिहार में शिक्षा सुधार के लिए 25 सूत्री कार्यक्रम की योजना भी तैयार की थी। उपेंद्र कुशवाहा की मांग थी कि नीतीश कुमार उनके तैयार किए गए 25 सूत्री शिक्षा सुधार नीति को लागू करें। इतना ही नहीं केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा था कि उन्होंने बिहार में दो नवोदय विद्यालय की मंजूरी दे दी है लेकिन नीतीश सरकार जमीन उपलब्ध नहीं करा रही। तब केंद्रीय मंत्री रहते उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के खिलाफ बिहार में धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम भी किया था।

तो क्या अब पालकी ढोएंगे उपेंद्र कुशवाहा ? : BJP
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू और नीतीश कुमार के प्रति मरते दम तक आजीवन समर्पित रहने की सार्वजनिक कसम खाने पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ निखिल आनंद ने चुटकी लेते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू में कसम खाकर निष्ठा साबित करनी पड़ी रही। हालांकि बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार और ललन सिंह से ज्यादा निष्ठावान समाजवादी भी बताया है। बीजेपी का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा की निष्ठा समाजवादी विचारधारा के प्रति होनी चाहिए न कि किसी खास व्यक्ति या एक पॉकेट के राजनीतिक संगठन के प्रति होनी चाहिए। बीजेपी ने यह भी कहा कि राजनीति वैसे भी संभावनाओं का खेल है। यू-टर्न के लिए देश- दुनिया में मशहूर नीतीश कुमार की निष्ठा ही पेंडुलम की तरह बदलती रहती है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा उनके नाम पर जीने मरने की कसमें क्यों खा रहे हैं? उपेंद्र कुशवाहा को दबाव में इमोशनल न होते हुए अंतरात्मा की आवाज पर अपनी राजनीति की दिशा और निष्ठा तय करनी चाहिए। निखिल आनंद ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के लिए सबसे दुविधा का सवाल तो यह है कि जब जेडीयू और आरजेडी का विलय हो जाएगा तो क्या वह तेजस्वी यादव की पालकी ढोने का काम करेंगे?

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को खा गए नीतीश कुमार : बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार ने जिस तरीके से उनके 20-25 लोगों के साथ जेडीयू में शामिल कराकर साजिशन रालोसपा को खत्म करा दिया। इसकी वजह से आज भी उनके लाखों समर्थक और शुभचिंतक आहत हैं। निखिल आनंद ने कहा, उपेंद्र कुशवाहा को रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेंद्र मोदी की सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री के वो दिन जरूर याद आते होंगे जब वह अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बेहतर स्थिति में थे। निखिल ने सलाह देते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जी संक्रमण स्थिति में चौराहे पर खड़ा होकर दुविधाग्रस्त बने रहने की बजाए अपने गिरेबान में झांककर अपने समर्थकों- शुभचिंतकों व प्रशंसकों की सलाह से अपना वजूद तलाशना चाहिए।

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