कौन हैं विंटर ओलंपियन Shiva Keshavan जिनकी बायॉपिक बना रहे हैं कुणाल कपूर, जानिए सबकुछ

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कौन हैं विंटर ओलंपियन Shiva Keshavan जिनकी बायॉपिक बना रहे हैं कुणाल कपूर, जानिए सबकुछ

‘रंग दे बसंती’ फेम ऐक्‍टर कुणाल कपूर (Kunal Kapoor) देश के पहले विंटर ओलंपियन (Winter Olympian) श‍िव केशवन (Shiva Keshavan Biopic) पर बायॉपिक बनाएंगे। कुणाल ऐक्‍टर से पहले एक असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर रह चुके हैं और वह लंबे समय से फिल्‍म मेकिंग में डेब्‍यू की तैयारी कर रहे हैं। कुणाल ने फैसला किया है‍ कि वह बतौर पर प्रड्यूसर अपनी पहली फिल्‍म श‍िव केशवन पर बनाएंगे। श‍िव केशवन ने करीब 20 साल तक विंटर ओलंपिक (Winter Olympic) में हिंदुस्‍तान का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि, साल 2018 में कोरिया में आयोजित विंटर ओलिंपिक के बाद उन्होंने करियर से संन्‍यास ले लिया। हालांकि, वह आज भी विंटर ओलंपिक को लेकर युवाओं में जागरुकता बढ़ाने का और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने का काम कर रहे हैं।

‘यह फिल्‍म बनाने के लिए सबसे सही समय है’
कुणाल कपूर कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि यह एक कहानीकार बनने का सबसे सही समय है। जब मैंने करियर की शुरुआत की थी, तब एक खास तरह की ही फिल्‍में बनती थीं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब दर्शक दुनियाभर से हर तरह के कॉन्‍टेंट को देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं। वह हर नई कहानी और अलग तरह के सिनेमा को पसंद कर रहे हैं। हमारे पास अब टेक्‍नीश‍ियंस की भी एक नई पीढ़ी है। यह बड़ी अच्‍छी बात है कि कई ऐसी फिल्‍में बन रही हैं, जिनके मूल में हिंदुस्‍तान है। छोटे शहरों और ऐसे हीरोज की कहानी दिखाई जा रही है, जिनके बारे में लोग नहीं जानते थे।’

ऐक्‍टर का कहानी पर नहीं चलता जोर
कुणाल कपूर आगे कहते हैं, ‘मैं जब असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर था, तभी से कहानियां लिख रहा हूं। मैं अब उन कहानियों को न सिर्फ ऐक्‍टर, बल्‍क‍ि डायरेक्‍टर और प्रड्यूसर के तौर पर सामने लाना चाहता हूं। एक ऐक्‍टर के तौर पर आपका फिल्‍म की कहानी पर बहुत ज्‍यादा वश नहीं होता, लेकिन प्रड्यूसर और डायरेक्‍टर के तौर पर आपके पास अपने विजन को सामने रखने का मौका होता है।’

6 बार विंटर ओलंपिक में बढ़ाया देश का मान

कुणाल कपूर ने फैसला किया है कि वह श‍िव केशवन की बायॉपिक को प्रड्यूस करेंगे। श‍िव केशवन को ‘फास्‍टेस्‍ट मैन ऑन आईस’ (Fastest Man on Ice) भी कहा जाता है। उन्‍होंने 1998 से 2002 तक लगातार 6 बार विंटर ओलंपिक में देश का प्रतिनिध‍ित्‍व किया। कुणाल कहते हैं, ‘वह जबरदस्‍त एथलीट हैं। जो बात मुझे उनके बारे में सबसे खास लगी, वो ये कि ओलंपिक में उन्‍होंने लगातार 6 बार देश का झंड लहराया। लेकिन यह सीमित संसाधनों में भी देश का मान बढ़ाने की भी बानगी है। यह हमारी संस्‍कृति और हमारी विविधताओं के जश्‍न की भी कहानी है।’

मनाली में पैदा हुए, 16 साल की उम्र में ओलंपिक
मनाली में 25 अगस्‍त 1981 को पैदा हुए श‍िव केशवन ‘ल्‍यूज’ (Luge) खेल में देश का नाम रौशन कर चुके हैं। ल्‍यूज एक बड़े स्लाइड की तरह है, जिस पर लेटकर एथलीट्स बर्फ के ट्रैक पर फिसलते हैं। महज 14 साल की उम्र में श‍िव ने जूनियर नैशनल स्‍की चैंपियनश‍िप जीता था। 15 साल की उम्र में वह ल्‍यूज कैम्‍प पहुंचे। उन्‍होंने 1998 में महज 16 साल की उम्र में विंटर ओलंपिक में हिस्‍सा लिया। वह ल्‍यूज में ओलंपिक के लिए क्‍वालिफाई करने वाले सबसे कम उम्र के एथलीट बने।

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इटली की हैं मां, केरल के हैं पिता
शिव की मां इटली की हैं और पिता केरल के रहने वाले हैं। उनकी फैमिली मनाली में रेस्तरां चलाती है। शिव की शुरुआती पढ़ाई और ट्रेनिंग मनाली में ही हुई। देश में तब कहीं और ल्‍यूज की ट्रेनिंग नहीं होती थी। शिव ने 2011 में जर्मनी के अल्टेनबर्ग में आयोजित एशियन ल्यूज चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। शुरुआत में श‍िव को जहां स्‍पॉन्‍सर्स नहीं मिल रहे थे, वहीं एक के बाद जीत के बाद उनके पास प्रायोजकों की भीड़ लग गई।

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उधार लेकर शुरू किया था अपना खेल
श‍िव अब विंटर ओलंपिक गेम्स के लिए युवाओं को जागरूक करने का काम करते हैं। वह नैशनल टैलेंट स्काउट नाम से सुदूर गांव के स्कूलों में जाते हैं। बच्‍चों को खेल के प्रति जागरूक करते हैं। श‍िव को सबसे पहले ल्यूज खेल के बारे में ऑस्ट्रिया के मशहूर खिलाड़ी गुंटर लेमरर ने जानकारी दी थी। 15 साल की उम्र में वह लेमरर के एक कैम्‍प में हिस्‍सा लेने पहुंचे थे। 1997 में यहीं से श‍िव की जिंदगी का लक्ष्‍य बदल गया। दिलचस्‍प बात यह भी है कि तब उनके पास ल्‍यूज खेलने के लिए जरूरी उपकरण भी नहीं थे। तब उन्‍होंने दक्षिण कोरिया की टीम से उधार लेकर इसे शुरू किया था। शिव ने जब 16 साल की उम्र में ल्‍यूज खेलना शुरू किया, तब उन्‍हें उनकी मां के देश इटली से खेलने का भी ऑफर मिला। हालांकि, उन्‍होंने यह प्रस्‍ताव ठुकरा दिया।



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