कैसे पकड़े गए थे Asaram… किसी थ्रीलर मूवी से कम नहीं आश्रम से जेल पहुंचने तक की ये कहानी

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कैसे पकड़े गए थे Asaram… किसी थ्रीलर मूवी से कम नहीं आश्रम से जेल पहुंचने तक की ये कहानी

कैसे पकड़े गए थे Asaram… किसी थ्रीलर मूवी से कम नहीं आश्रम से जेल पहुंचने तक की ये कहानी


जयपुर: सितंबर 2013 से पहले आसाराम पूरे देश में एक प्रख्यात संत और धार्मिक गुरु के रूप में जाने जाते थे। उनके प्रवचन सुनने के लिए हर सत्संग में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी। महिलाओं, बच्चों और युवाओं भीड़ भी प्रवचन सुनने के लिए आती थी। विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और अफसर हाथ जोड़कर उन्हें झुककर प्रणाम करते थे। साल 2013 में शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की ने आसाराम के खिलाफ दिल्ली में यौन शोषण का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। चूंकि घटना स्थल जोधपुर का बताया गया था। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने जीरो नम्बर की एफआईआर दर्ज करते हुए इस एफआईआर को जोधपुर पुलिस के पास भेजा। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा ने इस प्रकरण की जांच शुरू की। एक प्रख्यात संत और धार्मिक गुरु को पकड़ना आसान नहीं था। लाखों अनुयायियों और कानून व्यवस्था को संभालना भी पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती थी। जोधपुर पुलिस की कार्रवाई के कारण ही आसाराम पिछले 10 साल से जेल की सलाखों के पीछे हैं। आसाराम की गिरफ्तारी किसी थ्रीलर फिल्म से कम नहीं थी। जानिए पूरा घटनाक्रम…

हजारों भक्तों के बीच यूं फंस गई थी जोधपुर पुलिस

जैसे ही आसाराम के खिलाफ नाबालिग से यौन उत्पीड़न का प्रकरण दर्ज हुआ तो संतों और भक्तों में खलबली मच गई। चूंकि देश विदेशों में आसाराम के करोड़ों भक्त हैं, जो उन पर आंख मूंद कर भरोसा करते थे। आसाराम को भी पता लग गया कि पुलिस उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में वे हर वक्त भक्तों की भीड़ के बीच रहने लगे। 27 अगस्त 2013 जोधपुर पुलिस पूछताछ करने के लिए इंदौर पहुंची तो आसाराम भक्तों को प्रवचन देने बैठ गए। पुलिस दिनभर इंतजार करती रही। भक्तों की भीड़ ने पुलिस को घेर लिया और नारेबाजी की। दो दिन तक पुलिस के कुछ अधिकारी इंदौर में ही डटे रहे। दो दिन के प्रवचन के बाद आसाराम आश्रम में आराम कर रहे थे, उसी दौरान पुलिस उनके पास पहुंच गई।

हजारों की भीड़ के बीच से आसाराम को उठाकर ले गई पुलिस

इंदौर आश्रम से आसाराम को हिरासत में लेने के बाद जोधपुर पहुंचना पुलिस के लिए काफी मुश्किल था। हजारों की भीड़ ने पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया और आसाराम को निर्दोष बताया। लेकिन तमाम विरोध के बावजूद बड़ी सतर्कता से पुलिस आसाराम को हिरासत में लेकर जोधपुर आई। पूछताछ के बाद 31 अगस्त 2013 की शाम को जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार कर लिया। आसाराम की गिरफ्तारी के साथ ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए। आश्रम की कुछ अन्य लड़कियों ने भी आसाराम के खिलाफ यौन दुराचार के मुकदमें दर्ज कराए। दो बहनों ने जोधपुर पुलिस में आसाराम और उनके बेटे नारायण सांई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2001 से लेकर 2006 तक आसाराम और उसके बेटे नारायण सांई ने कई बार उनका यौन शोषण किया। दिसंबर 2013 में जोधपुर पुलिस ने नारायण सांई को भी गिरफ्तार कर लिया।

गवाहों के साथ पुलिस अफसरों और जजों तक को दी गई धमकियां

आसाराम और उनके बेटे की गिरफ्तारी के बाद धमकियों का सिलसिला शुरू हो गया। आसाराम के अनुयायियों ने ना केवल गवाहों को धमकियां दीं, बल्कि पुलिस अफसरों और जजों तक को धमकाया। एक जज को तो धमकी देते हुए कहा कि अगर आसाराम को जमानत नहीं दी तो अच्छा नहीं होगा। सूरत की जिस लड़की ने आसाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, उसके पति पर फरवरी 2014 में जानलेवा हमला किया गया। अज्ञात लोगों ने चाकू से हमला करते हुए पीड़िता के पति को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

कई गवाहों की हत्या कर दी गई

आसाराम केस में कई गवाहों की हत्याएं कर दी गई। आसाराम के आश्रम के एक कुक (खाना बनाने वाला कर्मचारी) अखिल गुप्ता ने आसाराम के खिलाफ गवाही दी थी। अज्ञात बदमाशों ने अखिल गुप्ता की हत्या कर दी। आसाराम के निजी आयुर्वेद डॉक्टर अमूर्त प्रजापति को राजकोट में अज्ञातन लोगों ने गोली मार दी थी। दो महीनें बाद प्रजापति की मौत हो गई। अमूर्त प्रजापति भी आसाराम के खिलाफ दर्ज केस में गवाह थे। आसाराम के आश्रम के एक और निजी चिकित्सक राहुल के सच्चन को कोर्ट परिसर में आसाराम के अनुयायियों ने चाकू मार दिया था। नवम्बर 2015 से अब तक राहुल के सच्चन लापता हैं। एक अन्य गवाह महेन्द्र चावला को भी पानीपत में गोली मार दी गई थी। महेन्द्र ने आसाराम के खिलाफ कई सबूत पुलिस को दिए थे। शाहजहांपुर के कृपाल सिंह की भी हत्या कर दी गई थी।

बलात्कार केस में आसाराम को जमानत के लिए देश के नामी वकीलों ने केस लड़ा और सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जियां पेश की। देश के जाने माने वकील सुब्रमण्यम स्वामी और रामजेठ मलानी जैसे नामी वकीलों ने आसाराम की जमानत के प्रयास किए लेकिन ये सब विफल रहे। जनवरी 2017 में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करके सुप्रीम कोर्ट से जमानत के प्रयास किए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को कड़ी फटकार लगाई। बलात्कार के आरोप में पुलिस ने आसाराम के साथ उनके बेटे नारायण सांई, सेवादार शिवा ऊर्फ सवाराम, रसोइया प्रकाश द्विवेदी, सहयोगी शिल्पी ऊर्फ संचिता गुप्ता और शरदचंद्र को भी गिरफ्तार किया था। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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