केसर से रंगे जा रहे हैं रेशमी वस्त्र, कहीं नोटों से तैयार हो रही है प्रभु की पोशाक

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केसर से रंगे जा रहे हैं रेशमी वस्त्र, कहीं नोटों से तैयार हो रही है प्रभु की पोशाक

कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर

 

भोपाल. शहर के कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मंदिरों की साज-सज्जा के साथ तैयारी इस बात है कि अपने जन्मदिन पर नंदलला क्या पहनेंगे। इसके लिए मंदिरों में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। कहीं रेशमी वस्त्रों को केसर से खास तौर पर रंगा जा रहा है तो कहीं विशेष तौर पर मंगाए गए वस्त्रों में गोटे लगाने सहित उन्हें सिलने का काम जोरों पर किया जा रहा है। शहर के प्रमुख मंदिरों में भक्त विशेष पोशाकें तैयार कर रहे हैं।

भगवान राधा-कृष्ण को पहनाएंगे नोटों की बनी पोशाक
ब रखेड़ी स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर बरखेड़ी में भगवान के जन्मदिन के लिए खासतौर पर नोटों की पोशाक बनाई जा रही है। अहीर यादव समाज के अध्यक्ष संतोष यादव ने बताया कि, हमारी इच्छा थी कि इस वर्ष जन्मोत्सव पर प्रभु की पोशाक कुछ अलग हटकर हो। इसके लिए बहुत सोच-विचार करके 500, 200, 100, 50, 20 रुपए के नोट लगाकर पोशाक तैयार करनी शुरू की।

नोटों को न पहुंचे क्षति इसका रखा ध्यान
यादव ने बताया कि, इसका विशेष ध्यान रखा गया है,कि किसी नोट को क्षति न पहुंचे। नोटों में सिलाई, कढ़ाई या छेद आदि नहीं किए है। हमनें नोटों को टेप से आपस में जोड़ा है। इससे समारोह के बाद इन नोटों को आसानी से अलग किया जा सकेगा।

प्रसादी रुप में रख सकेंगे भक्त
जन्माष्टमी के बाद पोशाक के नोट अपने पूजाघर या तिजोरी में भक्त रख सकेंगे, इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। उसी राशि का दूसरा नोट भक्त प्रभु की पोशाक का नोट प्राप्त कर सकेंगे।

शुद्ध केसर से निकाले रंग से रंगे प्रभु के वस्त्र
श्री नाथ जी की हवेली में बालरूप भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही है। मुखिया श्रीकांत शर्मा ने बताया कि, प्रभु को जन्मदिवस पर लगने वाला पूराप्रसाद मंदिर में ही खास शुद्धता से तैयार किया जाता है। इसके लिए एक-एक करके भोग बनने प्रारंभ हो गए हैं। भगवान के वस्त्रों का विशेष ध्यान रखा जाता है, यहां भगवान बालगोपाल रूप में है, इसलिए उन्हें बेहद आरामदायक और बिना रसायनों वाले वस्त्र धारण कराए जाते हैं।

राजस्थान के श्रीनाथजी से रेशम के सफेद वस्त्र मंगाए गए हैं। जिन्हें केसर के जल में रात भर डुबाकर रखा जाता है। केसर से निकलने वाले प्राकृतिक कसेरिया रंग से सफेद रेशम, केसरिया हो जाता है। इसके बाद भक्त खुद अपने हाथों से गोटे लगाकर, वस्त्रों को सिलते हैं। यह प्रक्रिया इन दिनों चल रही है।












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