केवाईसी, बीमा, आयकर, यूपीआई और सिम अपग्रेड करने के नाम पर ऐसे होती है ठगी, 4 साल में 5 गुना बढ़ गए मामले

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केवाईसी, बीमा, आयकर, यूपीआई और सिम अपग्रेड करने के नाम पर ऐसे होती है ठगी, 4 साल में 5 गुना बढ़ गए मामले

क्यूआर कोड आधारित भुगतान, फर्जी कॉल सेंटर के जरिए बीमा, आयकर, यूपीआई, केवाईसी अपडेट और सिम अपग्रेडेशन के नाम पर ठग आपकी सारी जमा-पूंजी खाली कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस के 31 दिसंबर 2020 तक के आंकड़ों पर पर गौर करें तो पिछले 4 साल में साइबर ठगी के मामलों में 5 गुनी बढ़ोतरी हुई है। 2017 में जहां केवल 7200 शिकायतें थीं तो वहीं 2020 में यह 37280 पर पहुंच गई। आइए जानें किस-किस तरीके से हो रही है ठगी और इससे बचने के क्या उपाय हैं…

केवाईसी / सिम अपग्रेड करने के नाम पर ऐसे होती ठगी

आपको कॉल आता है कि आपका वॉलेट या बैंक केवाईसी अमान्य है। कॉल करने वाला व्यक्ति कहता है कि इसे ऑनलाइन वैलिडेट किया जा सकता है ताकि आपका अकाउंट दोबारा एक्टिव हो जाए। सुविधा के लिए आपसे एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है। जब आप ऐप को इस्तेमाल करते हैं तो कॉलर को आपका फोन स्क्रीन दिखने लगता है। वह आप से वॉलेट में छोटा टोकन अमाउंट ट्रांसफर करने के लिए कहता है। जब आप ऐसा करते हैं तो वह पासवर्ड और अन्य डिटेल देख लेता है।

सेक्सटॉर्शन में ऐसे फंसाते हैं

साइबर जालसाज महिला के नाम पर ऑनलाइन माध्यम के जरिये लोगों से दोस्ती बढ़ाते हैं। इसमें आरोपी महिला या पुरुष दोनों ही हो सकता है। नजदीकी होने के बाद बाद ये मैसेंजर या व्हाट्सऐप पर वीडियो कॉल कर उनकी कॉल के साथ अश्लील वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करते हैं और उस आपत्तिजनक वीडियो को सोशल मीडियो के विभिन्न प्लैटफार्म पर सार्वजनिक करने की धमकी देकर उगाही करते हैं।

शॉपिंग फ्रॉड में ऐसे फंसाते हैं

साइबर अपराधी ब्रांडेड ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या ऐप के फर्जी क्लोन तैयार कर उसे प्ले स्टोर पर लॉन्च करते हैं। इसके बाद ये जालसाज अपनी फर्जी वेबसाइट्स पर आपको विभिन्न प्रोडक्ट पर 60 से 80 फीसदी तक का डिस्काउंट ऑफर करते हैं। अच्छा ऑफर देख आप भी तुरंत ऑर्डर कर देते हैं। बस इसी सस्ते के झांसे में आकर लोग फंस जाते हैं और तुरंत पेमेंट कर देते हैं। लेकिन, सामान की डिलिवरी कभी नहीं होती है और आप उस लिंक को चेक करते हैं तो वो लिंक भी आपको गायब मिलता है।

कॉल सेंटर में ऐसे फंसाते हैं

फर्जी कॉल सेंटर खोल लोगों से सोशल सिक्योरिटी नंबर सपोर्ट, तकनीकी सपोर्ट और एंटी वायरस सपोर्ट के नाम पर संपर्क करते हैं और उन्हें पॉप-अप भेज उनका सिस्टम हैक करते हैं। फिर उसे ठीक करने के नाम पर उनसे रकम ऐंठते हैं या फिर लोगों को धमका कर वसूली करते हैं। इसके लिए ये विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य सरकारी एजेंसियों जैसे कि सामाजिक सुरक्षा प्रशासन, ड्रग प्रवर्तन प्रशासन मार्शल सेवा सहित अन्य विभागों के नाम पर लोगों से संपर्क करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनके बैंक खातों और अन्य संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है क्योंकि, एजेंसियों की जांच में कुछ आपराधिक जानकारी हाथ लगी है। जब पीड़ित इनकी धमकी से डर जाता था तो उन्हें फिर इससे निजात पाने का विकल्प देते हैं और बदले में रकम ऐंठते हैं।

ये सावधानी बरतें

1. किसी ई-मेल, लिंक, वेबसाइट या फोन कॉल पर थोड़ा भी संदेह हो तो उससे दूर रहें।

2. फर्जी पॉपअप से भी दूर रहें।
3 किसी भी स्कीम के नाम पर आने वाले यूपीआई लिंक पर क्लिक न करें।

4 क्यूआर कोड को स्कैन कर भुगतान करते हैं तो पहले सुनिश्चित हों कि वह सही है या नहीं।
5. किसी भी अनजान शख्स के सोशल मीडिया पर आए दोस्ती के प्रस्ताव को सोच-समझ कर ही एक्सेप्ट करें।

सिक्योरिटी फीचर का इस्तेमाल करें

इस समय अधिकतर लोग डिजिटल प्लैटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा से जुड़ी सावधानी काफी कम लोग बरत रहे हैं। साइबर अपराधियों से बचने के लिए जरूरी है कि सिक्योरिटी फीचर की जानकारी हो और उसका इस्तेमाल किया जाए।

ठगे जाएं तो तुरंत बताएं

पुलिस का कहना है कि ऑनलाइन ठगी की जानकारी तुरंत दें ताकि ठगी की रकम जालसाजों तक पहुंचने से रोकी जा सके। इसके लिए पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर और ई-मेल भी जारी किए हैं-

155260 (हेल्पलाइन नंबर)
ई-मेल :[email protected]
www.cybercrime.gov.in

 



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