केजीएमयू डाक्टरों का कमाल, एक नस के सहारे लटकी गर्दन को जोड़ा | Amazing KGMU doctors attached hanging neck with the help of a vein | Patrika News

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केजीएमयू डाक्टरों का कमाल, एक नस के सहारे लटकी गर्दन को जोड़ा | Amazing KGMU doctors attached hanging neck with the help of a vein | Patrika News

केजीएमयू डाक्टरों का कमाल, एक नस के सहारे लटकी गर्दन को जोड़ा | Amazing KGMU doctors attached hanging neck with the help of a vein | Patrika News

दुर्घटना कैसे हुई जानें सीतापुर के लहरपुर का युवक 27 जुलाई को हादसे का शिकार हुआ था। अचानक आए जानवर से बचने की कोशिश में उसकी बाइक सड़क से नीचे चली गई और वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा। इस दौरान खेत के किनारे लगे लोहे के कंटीले तार से रगड़ने से उसकी गर्दन कट गई। सिर्फ एक नस के सहारे उसका सिर बाकी धड़ से जुड़ा रह गया। सांस और खाने की नली भी कट गई थीं। घरवाले उसे लेकर सीधे केजीएमयू पहुंचे। यहां थोरेसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र यादव की निगरानी में मरीज को भर्ती किया गया। युवक को बचाने के लिए उन्होंने तुरंत ऑपरेशन करने का फैसला किया। डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि, सबसे पहले खून और फिर खाने व सांस की नली को जोड़ा गया। रात आठ बजे के करीब शुरू हुआ ऑपरेशन एक बजे के करीब पूरा हुआ। एक सप्ताह बाद मरीज की हालत में काफी सुधार है। अब वह धीरे-धीरे बोल पा रहा है।

यह भी पढ़ें कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, पुलिस को गिरफ्तार करने का आदेश नली में कुछ फंसा नहीं था थोरेसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि, युवक की सांस की नली पूरी तरह से कट चुकी थी, जो गले के पास लटक रही थी। अच्छी बात यह रही कि उसकी सांस की नली में कुछ फंसा नहीं था। वह उसी लटकती नली के सहारे सांस लेता रहा। अस्पताल पहुंचने पर ऑक्सीजन देने के लिए इसी नली में ट्यूब डाला गया। डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि, युवक की सांस, खाने की और खून की छोटी नसें कट चुकी थीं, लेकिन इसकी मुख्य नस जुड़ी रह गई। यही वजह रही कि सीतापुर से आने में समय लगने के बावजूद इतना खून नहीं बहा कि उसकी जान चली जाए। ऑपरेशन के बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। हालत में सुधार होने पर युवक को वेंटिलेटर से हटाया गया।

पहले खाने की नली को जोड़ा गया युवक की सांस की नली गले के ऊपर और जीभ के अंदर कुल दो जगह से कट गई थी। इस वजह से सांस की नली को मुंह के भीतर ही जोड़ा गया। खाने की नली सांस की नली से पीछे होती है, इसलिए सबसे पहले उसे ही जोड़ा गया।

एनेस्थीसिया टीम की चुनौतियां युवक की सांस की नली ही कट चुकी थी, इसलिए एनेस्थीसिया टीम के लिए भी चुनौतियां कम नहीं थीं। पूरे ऑपरेशन में युवक की हालत स्थिर बनाने में डॉक्टरों की कुशलता और विशेषज्ञता दोनों ही जरूरी थी, जिसे एनेस्थीसिया के डॉक्टरों ने संभव बनाया।

यह भी पढ़ें यूपी में शुरू जल्द होगी कैरेवान मोटर होम योजना, पर्यटकों की होगी बल्ले-बल्ले ऑपरेशन में डॉक्टरों की टीम डॉ. शैलेंद्र यादव, ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. यादवेंद्र, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार, एनीस्थीसिया विभाग के डॉ. तन्मय तिवारी और आईसीयू के प्रमुख डॉ. जिया।



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