केएल राहुल के फ्लॉप शो पर भड़के दिग्गज वेंकटेश प्रसाद, बोले- परफॉर्मेंस नहीं बल्कि इस आधार पर मिल रहा मौका

8
केएल राहुल के फ्लॉप शो पर भड़के दिग्गज वेंकटेश प्रसाद, बोले- परफॉर्मेंस नहीं बल्कि इस आधार पर मिल रहा मौका


केएल राहुल के फ्लॉप शो पर भड़के दिग्गज वेंकटेश प्रसाद, बोले- परफॉर्मेंस नहीं बल्कि इस आधार पर मिल रहा मौका

ऐप पर पढ़ें

भारतीय टेस्ट टीम के ओपनर और उपकप्तान केएल राहुल का रेड-बॉल फॉर्मेट में फ्लॉप शो जारी है। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में 71 गेंदों का सामना करने के बाद 1 चौके की मदद से महज 20 रन बना सके। राहुल ने जनवरी 2022 से टेस्ट क्रिकेट में कोई अर्धशतकीय पारी नहीं खेली है। फिफ्टी तो दूर वह 25 का आंकड़ा भी नहीं छू पाए हैं। 

हालांकि, निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद राहुल को लगातार मौके मिल रहे हैं, जिसपर कई क्रिकेट विशेषज्ञ से लेकर पूर्व खिलाड़ियों ने ऐतराज जताया है। इस कड़ी में अब नया नाम भारत के पूर्व दिग्गज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद का भी जुड़ गया है। उन्होंने राहुल के टेस्ट टीम में सेलेक्शन पर सवाल उठाया है। प्रसाद का कहना है कि राहुल की वजह से कई खिलाड़ी बैंच पर बैठे हैं और कइयों को मौका ही नहीं मिल रहा।

प्रसाद ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, ”केएल राहुल की प्रतिभा और क्षमता के प्रति मेरे मन में काफी सम्मान है, लेकिन दुख की बात है कि उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं। 8 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिताने के बाद 46 टेस्ट में 34 का औसत बेहद सामान्य है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें इतने मौके नहीं दिए गए हैं।”

उन्होंने कहा, ”कई खिलाड़ी हैं, जो टॉप फॉर्म में हैं लेकिन इंतजार कर रहे हैं। शुभमन गिल शानदार फॉर्म में हैं, सरफराज फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सेंचुरी पर सेंचुरी लगा रहा है। कई ऐसे हैं जो राहुल से पहले अवसर के हकदार हैं। कुछ भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें सफल होने तक बेशुमार मौके दिए जाते हैं जबकि कुछ को इसकी इजाजत नहीं होती। हैरानी वाली बात तो यह है कि राहुल उपकप्तान हैं। अश्विन के पास शानदार क्रिकेटिंग दिमाग है। उन्हें टेस्ट प्रारूप में उपकप्तान होना चाहिए। अगर उन्हें नहीं बनाना तो पुजारा या जडेजा को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी टेस्ट में राहुल की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी खिलाड़ी थे।”

पूर्व गेंदबाज ने आगे कहा, ”राहुल का सेलेक्शन परफॉर्मेंस के आधार पर नहीं बल्कि पक्षपात के आधार पर हुआ है। वह आठ सालों में अपनी प्रतिभा को साबित करने में नाकाम रहे हैं। कई पूर्व क्रिकेटर्स पक्षपात को देखने के बावजूद इसलिए नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि उन्हें आईपीएल में मौके गंवाने का डर होता है। वे किसी फ्रेंचाइजी के कप्तान से बैर मोल लेना नहीं चाहते। आमतौर पर शुभचिंतक आपके सबसे अच्छे आलोचक होते हैं लेकिन समय बदल गया है और लोग सच बोलने से घबराते हैं।”



Source link