कुंभ मेला : क्यों होता है 12 साल में एक बार | History of Kumbh mela, why and where Kumbh mela is celebrated | Patrika News

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कुंभ मेला : क्यों होता है 12 साल में एक बार | History of Kumbh mela, why and where Kumbh mela is celebrated | Patrika News

कुंभ मेला : क्यों होता है 12 साल में एक बार | History of Kumbh mela, why and where Kumbh mela is celebrated | News 4 Social

कुंभ मेला दो शब्दों कुंभ और मेला से मिलकर बना है। कुंभ नाम अमृत के अमर बर्तन से लिया गया है। इसका जिक्र प्राचीन वैदिक शास्त्रों में मिलता है। मेला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘इकट्ठा करना’ या ‘मिलना’। जानकारी के मुताबिक कुंभ मेले का इतिहास कम से कम 850 साल पुराना है। आदि शंकराचार्य ने इस मेले की शुरूआत की थी।

समुद्र मंथन के आदीकाल में हुई मेले की शुरूआत प्राचीन पुराणों के मुताबिक कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी। कुंभ मेले का इतिहास उन दिनों से संबंधित है, जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर अमरता का अमृत उत्पन्न करने के लिए समुद्र मंथन किया था। उस समय सबसे पहले विष निकला था। जिसे भोलेनाथ ने पिया था। उसके बाद जब अमृत निकला तो उसे देवताओं ने पी लिया।

अमृत की चार बूंदे धरती पर गिरी असुर और देवताओं के बीच अमृत लेकर एक झगड़ा हुआ, जिसके बाद अमृत की कुछ बूंदें 12 जगहों पर गिरी। कुछ स्थान स्वर्णलोक और नरक लोक में गिरे और चार बूंदे धरती पर गिरी। यह चार स्थान हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज है। इन्हीं स्थानों पर कुंभ लगता है। यही वजह है कि यह स्थान पुराणों के अनुसार सबसे पवित्र स्थान हैं।

12 दिव्य दिनों तक चली थी देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई इन चार स्थानों ने रहस्यमय शक्तियां हासिल कर ली हैं। देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के घड़े (पवित्र घड़ा कुंभ) के लिए लड़ाई 12 दिव्य दिनों तक चलती रही, जो मनुष्यों के लिए 12 साल तक का माना जाता है। यही वजह है कि कुंभ मेला 12 साल में एक बार मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस अवधि के दौरान नदियां अमृत में बदल गईं। इसलिए, दुनिया भर से कई तीर्थयात्री पवित्रता और अमरता के सार में स्नान करने के लिए कुंभ मेले में आते हैं।

इस बार क्या तैयारी है इस बार की थीम क्लीन व ग्रीन रहेगी। इसी को लेकर 1 हजार इले‌क्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। इसका मैसेज महाकुंभ से प्रदूषण मुक्त का संदेश पूरी दुनिया में देना है। ई-रिक्शा और यमुना में CNG मोटर बोट सेवा शुरू की जाएगी। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए लंदन व्हील की तरह प्रयागराज में संगम व्हील बनाया जाएगा।

तैयारियों को प्वाइंट में समझिए

  • एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर जरूरी सुविधाएं होंगी। पार्किंग एरिया बढ़ाया जाए। हेल्थ एटीएम, वॉटर एटीएम और दूसरी सुविधाएं सभी जगहों पर उपलब्ध कराई जाएं।
  • इस बार कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को नॉन-पीक दिनों में 2 किमी और पीक दिनों में 5 किलोमीटर से ज्यादा पैदल न चलना पड़े।
  • इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के जरिए मॉनीटरिंग की जाएगी। ट्रांसपोर्ट प्लानिंग और क्राउड मैनेजमेंट में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • यह तय किया जाए कि सभी घाटों पर महिलाओं सहित सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों। सभी बिजली के खंभों में एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जाए। बिजली के शॉर्ट-सर्किट की वजह से आग ना लगे इसपर खास ध्यान
  • पीने के पानी के लिए ज्यादा से ज्यादा वाटर एटीएम और स्टैंड पोस्ट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हर शिविर में पेयजल कनेक्शन समय से उपलब्ध कराने का इंतजाम हो
  • मेले के दौरान बारिश होने पर जल निकासी का इंतजाम
  • विभागीय मंत्री भी अपने-अपने विभागों के कामों की मॉनिटरिंग करेंगे।



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