किसानों को रुला रह है सब्जियों का राजा आलू

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किसानों को रुला रह है सब्जियों का राजा आलू

अच्छी कीमत के चक्कर में इंतजार किया अब दाम और कम होने से चिंता बढ़ी

भोपाल। राज्य में खेती को लाभ का धंधा बनाने के प्रयास लम्बे समय से हो रहे हैं। दावा भी किया जा रहा है कि खेती लाभ का धंधा बनेगा। लेकिन उत्पादन अधिक होने और मांग कम होने के कारण के कारण किसानों की परेशानी बढ़ी है। आलू की फसल में ऐसा ही हो रहा है। आलू की फसल अधिक हुई तो किसान खुश था कि उसे अच्छे दाम मिलेंगे। लेकिन हुआ इसके अलट। सब्जियों के राजा आलू ने अब किसानों को रुलाना शुरू कर दिया है। बाजार में किसानों को आलू के भाव नहीं मिल रहे हैं, यहां तक लागत भी नहीं निकल पा रही है। बिकवाली नहीं होने से कोल्ड स्टोरेज में आलू भरे पड़े हैं, जो किसानों की चिंता का कारण बन रहे हैं।

कोरोनाकाल में आलू की कम खपत होना, आलू का निर्यात नहीं होना, अधिक आलू का उत्पादन और बेसमय आलू का आयात किसानों की बड़ी समस्या का कारण बन गया है। स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि 31 अगस्त तक कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने की मियाद समाप्त होने के बाद अब कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने किसानों पर दबाव बनाया है कि वे अपने आलू यहां से उठा लें। आलू नहीं उठाने की स्थिति में वैधानिक कार्यवाही की चेतावनी भी दी जा रही है। यह स्थित सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं देश के अन्य राज्यों की भी लगभग ऐसी ही है।

50 फीसदी आलू कोल्ड स्टोरेज में –
मध्यप्रदेश में इस समय आलू के कुल उत्पादन का 45 से 50 प्रतिशत स्टॉक कोल्ड स्टोरेज में जमा है। मध्यप्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में आलू करीब 70 से 80 लाख कट्टे जमा है। इनमें से 25 लाख कट्टे तो अकेले इंदौर जिले के 100 कोल्ड स्टोरेज में चिप्स बनाने वाली किस्म लाल आलू (एलआर) के ही हैं। मालू हो एक कट्टे 60 किलो आलू भरा जाता है। 70 लाख कट्टे और 60 किलो के हिसाब से 42 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में जमा है, जो मध्यप्रदेश के वार्षिक औसत उत्पादन 37 लाख मीट्रिक टन से कहीं अधिक है।

कोरोना और लॉकडाउन ने बढ़ाई परेशानी –
कोरोना की पहली लहर में संक्रमण से बचाव के लिए देश में 23 मार्च 2020 से टोटल लॉकडाउन लगा था। उसके बाद चार बार लॉकडाउन बढ़ाया गया। चौथे लॉकडाउन में ढील दी गई और बाजार खोलने की अनुमति मिली। लॉकडाउन के कारण आलू से चिप्स बनाने वाली सभी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां काफी प्रभावित हुईं। शुरू में पूरी तरह से बंद इन इकाइयों को जब उत्पादन की अनुमति नहीं मिली तो श्रमिकों की कमी, परिवहन और विपणन की समस्या से यह इकाइयां पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर पाईं। इन इकाइयों ने अपने पास भण्डारित आलूओं का उपयोग किया। ऐसे में मांग कम होने के कारण भी चिप्स वाले आलू का उपयोग कम होने से यह कोल्ड स्टोरेज में रह गया है। लॉकडाउन के चलते रेस्टोरेंट और होटलों के बंद होने से खाने वाले आलू की खपत नहीं होने के कारण आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा रह गया।

कम हुई है डिमाण्ड –
मध्यप्रदेश के चिप्स निर्माता दो वर्ष पहले तक यहीं के आलू को ही पसंद करते थे। यहां तक कि मध्यप्रदेश का आलू गुजरात भी जाता था, लेकिन गुजरात का आलू गुणवत्ता में अच्छा होने के कारण दो वर्षों से चिप्स निर्माता मध्यप्रदेश के आलू की कम खरीदी कर रहे हैं। इसलिए भी कोल्ड स्टोरेज से आलू की निकासी नहीं हो पाई है।

प्रदेश में इन जिलों में होती है आलू की खेती –

मध्यप्रदेश में आलू की खेती मुख्य रूप से इंदौर, उज्जैन, छिंदवाड़ा, देवास, सागर जिलों में की जाती है। इसके अलावा मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, कटनी, सतना, रीवा, सीधी और सिगरौली जिलो में भी आलू की खेती की जाती है। उत्पादन की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश में 5वें स्थान पर आता है।

देश में आलू का निर्यात –
जनवरी से दिसम्बर माह के बीच वर्ष 2018 में 375572 टन आलू निर्यात किया गया था, जिसका कुल मूल्य 432.84 करोड़ रुपए था। वर्ष 2019 में निर्यात बढ़कर 432895 टन पर जा पहुंचा, जिसका मूल्य 547.14 करोड़ रुपए रहा। घरेलू बाजार में आलू के भावों को नियंत्रित करने के लिए 29 अक्टूबर 2020 को केन्द्र सरकार ने 10 लाख टन आलू आयात की अनुमति दी थी। जिसमें 31 जनवरी 2021 तक भूटान से बगैर लायसेंस के आलू आयात करने का निर्णय लिया गया था। इसके पूर्व आयात पर प्रतिबंध था। आयात शुल्क भी 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया था।

मध्यप्रदेश में आलू उत्पादन की स्थिति –

वर्ष —- क्षेत्रफल हेक्टेयर में —- उत्पादन टन में
2015-16 —- 135292.29 —- 2828020.47
2016-17 —- 159997.16 —- 3460980.46
2017-18 —- 136290.21 —- 3144642.92
2018-19 —- 145736.50 —- 3309667.31
2019-20 —- 149435.36 —- 3408606.84
2020-21 —- 153432.31 —- 3511401.01

किसने क्या कहा –
मध्यप्रदेश शासन की उदासीनता तथा भूटान से आयात आलू की वजह से आलू उत्पादक किसान पर भारी संकट गहरा गया है। समय रहते हुए इस दिशा में सरकार द्वारा जो कार्यवाही की जाना थी वह नहीं की गई। प्याज की तरह आलू का भी सरकार एमएसपी तय कर खरीदी करे। सरकार की आयात निर्यात नीति बहुत दोषपूर्ण है, शक्कर, दालें, चना, गेंहू, आलू, प्याज, तेल इत्यादि इन सभी में देश आत्मनिर्भर होने के बावजूद विदेशों से इन वस्तुओं का आयात किया जाना देश के किसानों के साथ धोखा है। सरकार कृषि उपज के आयात पर अविलंब रोक लगाए।

– शिवकुमार शर्मा, कक्का जी
अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ

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किसान आलू क्यों बेच रहा है। किसान चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगा सकते हैं। सरकार इसके लिए अनुदान दे रही है। इससे किसानों बेहतर दाम मिलेंगे और आय भी बढ़ेगी।

– कमल पटेल, मंत्री किसान कल्याण एवं किसान विकास



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