किसने किया दगा-कौन सगा, फैसला आज | who is in support | Patrika News

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किसने किया दगा-कौन सगा, फैसला आज | who is in support | Patrika News

किसने किया दगा-कौन सगा, फैसला आज | who is in support | Patrika News


इंदौर. प्रत्याशियों की जीत-हार के साथ रविवार को यह भी साफ हो जाएगा कि किसके साथ, किसने दगा किया और कौन सगा निकला। इसके अलावा पार्टियों से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीयों की ताकत का भी पता चलेगा। इंदौर के करीब 20 वार्ड में से 10 पर निर्दलीयों के कारण मुकाबला कशमकश का है। इन वार्डों के नतीजे परिषद में भाजपा-कांग्रेस की संख्या भी तय करेंगे। ऐसे निर्दलीयों पर दोनों पार्टियों की नजर है।

इन वार्डों में उलझी हैं पार्टियां

वार्ड 2: अल्पसंख्यक बाहुल्य इस वार्ड से भाजपा ने बबली नरवले तो कांग्रेस ने यास्मीन मंसूरी को प्रत्याशी बनाया है। दोनों को कांग्रेस में रहीं पूर्व पार्षद फातमा खान टक्कर दे रही हैं। यहां वर्ष 2015 में मुबारिक मंसूरी 508 वोटों से निर्दलीय चुनाव जीते थे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। विधानसभा 1 के अल्पसंख्यक वार्डों में से एक वार्ड होने से विधानसभा चुनावों पर भी इसका असर दिखेगा।
वार्ड 11: यहां से 7 चुनाव लड़ चुके पूर्व पार्षद मांगीलाल रेडवाल, भाजपा प्रत्याशी कमल वाघेला और कांग्रेस उम्मीदवार रमेश बिंजवा को चुनौती दे रहे हैं। 1984 से चुनाव लड़ रहे रेडवाल पूर्व में कांग्रेस में रहे, लेकिन फिर भाजपा की सदस्यता ले ली। अब वे किस दल का साथ देंगे, इसको लेकर कौतुहल है।

वार्ड 17: भाजपा के नितिन (टीनू) कश्यप और कांग्रेस से शिवम यादव मैदान में हैं, लेकिन बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे के कारण निर्दलीय प्रत्याशी विनय कुशवाह ने मुकाबला रोचक बना दिया है। कुशवाह दूसरी बार भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में हैं। विधानसभा 1 के इस वार्ड के नतीजे भाजपा के लिए काफी मायने रखते हैं, क्योंकि यहां से दोनों पार्टियों को अच्छी तादाद में वोट मिलते रहे हैं।

वार्ड 36: भाजपा के पूर्व पार्षद सुरेश कुरवाड़े और कांग्रेस के महेश पंचोली के साथ यहां से पूर्व पार्षद कोमल पंचोली के पति जीवन पंचोली निर्दलीय हैं। सांवेर विधानसभा के शहरी क्षेत्र के 4 वार्डों में से एक वार्ड है। शहरी क्षेत्र की सबसे ज्यादा आबादी वाला वार्ड भी है। 2015 में नगरीय निकाय चुनाव में 842 और फिर विधानसभा चुनावों में यहां से भाजपा जीतती रही है। त्रिकोणीय संघर्ष ने भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में भी संकट की स्थिति बना दी है।
वार्ड 38: अल्पसंख्यक बाहुल्य इस वार्ड में भाजपा की पैठ मानी जाती है। यहां 5500 वोटों की बढ़त के साथ भाजपा से पार्षद बनने वाले उस्मान पटेल की पत्नी जमीला पटेल निर्दलीय हैं। उनका मुकाबला भाजपा की ममता जोशी और कांग्रेस की सौफिया पटेल से है। इस सीट के नतीजे भाजपा की अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जमीनी स्थिति स्पष्ट करेगी।

वार्ड 39: पिछली बार कांग्रेस से टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रूबीना खान ने कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों को 850 वोटों से शिकस्त दी थी। इस बार रूबीना कांग्रेस प्रत्याशी हैं, जबकि पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी रहे वाहिद अली की पत्नी तसनीम वाहिद अली निर्दलीय हैं। भाजपा की हेमलता चौहान मैदान में हैं। यहां के नतीजे विधानसभा में कांग्रेस के अस्तित्व की कहानी बताएंगे।
वार्ड 51: इस वार्ड में चार लोगों के बीच संघर्ष है। इनमें भाजपा के मलखान कटारिया, कांग्रेस के छोटे यादव के साथ कमल यादव और संतोष यादव में मुकाबला है। बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी वंदना यादव 609 वोटों से जीती थीं। वंदना यादव के पति कमल यादव और पिछले चुनाव में 3152 वोट लाने वाली शोभा यादव के पति संतोष यादव भी मैदान में हैं। ये वार्ड विधानसभा 5 में आता है, जहां से पिछली बार कांग्रेस का एक वार्ड ही था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बमुश्किल 1100 वोटों से ही चुनाव जीत पाई थी। ऐसे में भाजपा के लिए नतीजे काफी मायने रखते हैं।

वार्ड 52: भाजपा की सपना मंगरोला और कांग्रेस की सावित्री चौधरी के साथ भाजपा की बागी तुलसी प्रजापत मैदान में हैं। 2015 में भाजपा ने यहां 135 वोट से जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस बार पार्षद रहे सुभाष चौधरी का टिकट काट दिया है। भाजपा के लिए काफी संघर्षवाली विधानसभा वाले वार्ड में हार-जीत काफी मायने रखती है।
वार्ड 53: विधानसभा 5 में 2015 के चुनाव में ये अकेला वार्ड था, जहां कांग्रेस 4608 वोट से जीती थी। कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष फौजिया अलीम इस वार्ड से कांग्रेस उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा से अर्जुन मेहरा प्रत्याशी हैं। फारूख पठान भी मजबूत दावेदार हैं। पिछली बार उनकी पत्नी नूरजहां खान को 4784 वोट मिले थे।

वार्ड 57: 1960 के बाद कांग्रेस के लिए अभेद इस वार्ड से भाजपा ने सुरेश टाकलकर और कांग्रेस ने दीपिका जैन को उम्मीदवार बनाया है। यहां मराठी समाज में सक्रिय और स्वयंसेवक दिवाकर घायल निर्दलीय प्रत्याशी हैं। उन्हें भाजपा से नाराज नेताओं का साथ भी मिल रहा है। इससे मुकाबला त्रिकोणीय है। विधानसभा 3 के सबसे प्रतिष्ठित वार्ड में स्थानीय विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
वार्ड 80: 2015 में 3355 वोट से भाजपा के बलराम वर्मा जीते थे, जो निगम में जलसमिति प्रभारी भी रहे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर प्रशांत बडवे को टिकट दिया है। कांग्रेस ने तन्मयसिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है। दोनों को निर्दलीय प्रत्याशी हेमंत तिवारी से चुनौती मिल रही है। राऊ विधानसभा में भाजपा के गढ़ माने जाने वाले इस वार्ड में त्रिकोणीय संघर्ष ने राऊ विधानसभा की दावेदारी करने वाले मधु वर्मा और जीतू जिराती की नींद उड़ा रखी है। भाजपा यहां से हारती है तो जिम्मेदारी वर्मा पर डाली जाएगी, क्योंकि पूर्व में पार्षद रहे बलराम उनके छोटे भाई हैं।

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