किरकिरी के बाद बैकफुट पर BHU प्रशासन, कैंपस में होली नहीं खेलने का आदेश वापस लिया
बीएचयू प्रशासन ने एक नया पत्र जारी कर अपना आदेश वापस ले लिया है। पहले जारी आदेश में कहा गया था कि स्टूडेंट बीएचयू कैंपस में सार्वजनिक रूप से होली नहीं खेल सकते हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने लगातार बीएचयू प्रशासन के इस फैसले पर विरोध जताया। इसके बाद प्रबंधन को अपना फैसला बदलना पड़ा।
हाइलाइट्स
- बीएचयू प्रशासन ने कैंपस में होली नहीं खेलने का आदेश वापस ले लिया है
- सोशल मीडिया पर स्टूडेंट्स ने इफ्तार पार्टी से तुलना करते हुए ट्रोल किया
- विरोध के बाद प्रबंधन ने आदेश वापस लिया, जमकर कराई किरकिरी
चीफ प्रॉक्टर अभिमन्यु सिंह ने एक आदेश जारी करके बीएचयू परिसर के सार्वजनिक स्थानों पर होली खेलने की खेलने पर रोक लगा दिया था। छात्रों ने इसे तुगलकी फरमान बताया और सोशल मीडिया पर इसे एकता और ताजिया के जुलूस से जोड़ दिया। छात्रों का कहना था कि अगर परिषद में ताजिया का जुलूस निकल सकता है वैसे खुद स्टार की पार्टी दे सकते हैं तो होली खेलने पर प्रतिबंध लगाकर हिंदू धार्मिक मान्यताओं की अवहेलना क्यों कर रहे हैं जिसके बाद चैप्टर के आदेश को आज विश्वविद्यालय प्रशासन ने निरस्त कर दिया।
स्टूडेंट ने वीसी पर निशाना साधा
जैसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने पुराने आदेश को निरस्त कर होली खेलने की इजाजत दी, छात्रों का एक गुट डीजे की धुन पर नाचते गाते सड़कों पर निकला। लेकिन प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने एक बार फिर से से छात्रों को होली खेलने से रोक दिया। बीएचयू के शोध छात्र पतंजलि पांडे ने कहा है की वीसी सुधीर जैन जब से आए हैं तब से लगातार हिंदू धार्मिक त्यौहार को निशाना बनाया जा रह है। वीसी खुद इफ्तार की दावत देते है परिसर में धड़ल्ले से ताजिया को रास्ता दिया जाता है लेकिन होली खेलने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
कागजी और जमीनी हकीकत में अंतर
सोशल मीडिया पर हो रही किरकिरी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर होली नहीं खेलने के आदेश को निरस्त तो कर दिया। लेकिन वास्तविकता यह है कि अब भी परिसर में हो रहे होली के आयोजनों को सख्ती से दबाया जा रहा है। ताजा मामला कॉमर्स फैकल्टी के बाहर छात्रों को रोकने का है। दूसरी ओर बीती शाम लॉ फैकेल्टी के भी छात्रों को धमका कर उनके नाम प्रोक्टोरियल बोर्ड ने दर्ज किए है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी है।
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