किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर स्कूल अब नहीं कर पाएंगे मनमानी, दिल्ली सरकार ने दी वॉर्निंग- पैरंट्स को बाध्य न करें

151

किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर स्कूल अब नहीं कर पाएंगे मनमानी, दिल्ली सरकार ने दी वॉर्निंग- पैरंट्स को बाध्य न करें

Private schools can not force parents to buy costly books: दिल्ली सरकार ने किताबों और स्कूल यूनिफॉर्म के नाम पर पैरंट्स से मोटा पैसा कमाने वाले प्राइवेट स्कूलों को चेतावनी दी है। शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई भी निजी स्कूल अब पैरंट्स को खुद से या किसी खास विक्रेता से किताबें, स्टडी मटीरियल और स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा और ऐसा करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार के इस कदम से लाखों पैरंट्स को फायदा होगा और उन्हें स्कूलों को बेमतलब पैसे नहीं देने होंगे।

नया सेशन शुरू होते ही पैरंट्स की शिकायतें सामने आ रही थीं कि प्राइवेट स्कूल किताबों, स्टेशनरी और यूनिफॉर्म के नाम पर उनसे मोटा पैसा वसूल रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल उन्हें स्कूल कैंपस में बनी दुकान या किसी दुकान से ही यह सभी सामान लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जहां इनकी कीमत काफी ज्यादा है।

इस आदेश के तहत निजी स्कूल आने वाले सत्र में इस्तेमाल होने वाली किताबों और बाकी स्टडी मटीरियल की क्लास वाइज सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करेंगे, ताकि पैरंट्स को इसके बारे में जागरूक किया जा सके। इसके अलावा स्कूल अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करेगा, जहां से पैरंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकेंगे। साथ ही, स्कूल पैरंट्स को किसी भी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं करेगा। माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद पाएंगे।

सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले दो सालों लोगों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ। ऐसे में पैरंट्स के लिए लिए किसी खास दुकान से या स्कूल से महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदना मुश्किल है। ऐसे में सरकार का यह आदेश प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पैरंट्स के लिए काफी मददगार साबित होगा और उन्हें ये आजादी देगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी जगह से बच्चों के लिए किताबें और ड्रेस खरीद सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य देश का भविष्य संवारना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना।

प्राइवेट अनएडेड मान्यता प्राप्त स्कूल ट्रस्ट या सोसायटी चलाते हैं और उनके पास लाभ कमाने और व्यावसायीकरण की कोई गुंजाइश नहीं होती है। ऐसे में ये आदेश उन सभी निजी स्कूलों पर नकेल कसेगा जो किताबों और स्कूल यूनिफॉर्म के नाम पर पैरंट्स से मोटा पैसा लेकर लाभ कमाने का काम करते थे। साथ ही, शिक्षा निदेशालय ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिजाइन और बाकी स्पेसिफिकेशन को नहीं बदलेगा।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News

Source link