कालोनियों की अनुमतियों का पता नहीं, ब्रोशर में दिखा रहे चौड़ी सड़कें | Survey for new collector guideline in Bhopal | Patrika News
भोपाल. शहर में इन दिनों भवन निर्माण तेजी से हो रहे हैं। इसमें कई बड़े शॉपिंग कॉम्पलेक्स, मॉल, रेजीडेंसियल, सेमी कमर्शियल, कमर्शियल कॉम्पलेक्स, मल्टी, प्लॉटों पर निर्माण हो रहे हैं। ये जानकारी नई कलेक्टर गाइडलाइन के लिए किए जा रहे सर्वे में सामने आई है।
सर्वे पंजीयन अफसर और आरआइ पटवारियों की तरफ से किया जा रहा है। पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष 30 फीसदी तक निर्माण ज्यादा हो रहे हैं। इसका असर भी नई कलेक्टर गाइडलाइन पर देखने को मिल सकता है। जानकारों की मानें तो कंस्ट्रक्शन कॉस्ट की दरों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। इसका स्लैब बढ़ता है तो भी बिना गाइडलाइन बढ़ाए रजिस्ट्री महंगी हो जाएगी। कोरोना के दो साल बाद इस बार काफी बढ़ी हुई दरों पर रजिस्ट्री हुईं हैं। ऐसे में पंजीयन अफसरों के पास बिना ज्यादा सर्च किए पूरा डेटा तैयार है।
प्रॉपर्टी खरीदने की क्षमता में इजाफा
इस बार राजधानी में 1244 लोकेशनों पर जमीनों, प्लॉटों, फ्लैट, डूप्लेक्स के अच्छे सौदे हुए हैं। ये सौदे कलेक्टर गाइडलाइन की दर से अधिक पर हुए हैं। कई जगह तो वर्तमान दर से दो और तीन गुना रेट पर रजिस्ट्री हुईं हैं। लोगों की प्रॉपर्टी खरीदने की क्षमता में दस से पंद्रह लाख तक का इजाफा भी हुआ है। पहले 30 से 50 लाख तक प्रॉपर्टी के सौदे आम थे, लेकिन इस वित्तिय वर्ष में 40 से 60 लाख तक प्रॉपर्टी ज्यादा बिकी हैं। इस कारण पंजीयन विभाग के पास इस बार रेट बढ़ाने का आधार है। वहीं जानकारों का कहना है कि ये रेट प्रॉपर्टी पर लिए गए अधिक लोन के कारण भी बढ़े हैं।
ब्रॉशर में चौड़ी सड़कें, पर मौके पर
सर्वे के दौरान एक बात और सामने आई है कि नीलबड़, रातीबड़, लाम्बाखेड़ा में कई कॉलोनियों काटी जा रही हैं। यहां ब्रॉशर में चौड़ी सड़कें दर्शाई हैं। पूर्व की तरह इसे विकास मानते हुए यहां रेट बढ़ाए तो ये जनता के साथ बेईमानी होगी। टीएंडसीपी की तरफ से पास नक्शा, ले आउट में कुछ अन्य स्थिति होती है, ब्रॉशर की कहानी उससे उलट है।
मॉडगेज के दस्तावेज भी ज्यादा
बढ़ी हुई दरों पर रजिस्ट्री की पड़ताल में एक बात और सामने आई है कि इस बार मॉडगेज के दस्तावेज भी ज्यादा हुए हैं। ऐसे में पंजीयन अफसरों को बढ़े हुए दस्तावेजों की अच्छे से पड़ताल कर उन्हें उप जिला की बैठक में रखना चाहिए क्योंकि कई जगह ऐसी भी हैं जहां कलेक्टर गाइडलाइन तो कम है, लेकिन दुकानों के सौदे तीन गुना से ज्यादा पर हुए हैं। जबकि लोकेशन भी नर्मदापुरम मुख्य सड़क से अंदर है।
बैठक का पता नहीं,पूरा सर्वे रखा गया गोपनीय
अफसर इस बार कलेक्टर गाइडलाइन के लिए उप जिला की पहली बैठक की तारीख तक अभी नहीं बता पा रहे। पूरा सर्वे गोपनीय तरीके से किया जा रहा है। जबकि गाइडलाइन के शेड्यूल के अनुसार 15 जनवरी तक ही उप पंजीयक द्वारा उप जिला मूल्यांकन समिति का अनुमोदन प्राप्त कर उप जिले की गाइडलाइन के प्रस्ताव को जिला मूल्यांकन समिति को भेजना था।