कानपुर में ऐक्टिव इस पाकिस्तानी संगठन से जुड़े हैं कन्हैया के हत्यारे, शहर में 50 हजार से ज्यादा मेंबर

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कानपुर में ऐक्टिव इस पाकिस्तानी संगठन से जुड़े हैं कन्हैया के हत्यारे, शहर में 50 हजार से ज्यादा मेंबर

कानपुरः उदयपुर हत्याकांड का कानपुर कनेक्शन सामने आ रहा है। कन्हैयालाल के दोनों हत्यारे दावत-ए-इस्लामी से जुड़े हैं। कानपुर दावत-ए-इस्लामी का गढ़ माना जाता है, और शहर में लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग इस संगठन से जुड़े हैं। दावते-ए-इस्लामी पाकिस्तान से संचालित होने वाला संगठन है। 2019 में सीएए, एनआरसी बवाल में दावते-ए-इस्लामी पर फंडिंग करने के आरोप लगे थे। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस अलर्ट मोड पर है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस जांच कर रही है कि वारदात से पहले हत्यारे कानपुर आए थे या नहीं। बीजेपी नेता नुपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने हिंसा प्रभावित इलाकों में गस्त और पुलिस फोर्स बढ़ा दी है।

कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर की सुरक्षा का लेकर प्लान तैयार किया है। कमिश्नर ने खूफिया विभाग, एलआईयू, एटीएस की स्थानीय यूनिट को एक्टिव कर दिया है। कानपुर के मिश्रित आबादी क्षेत्र बाबूपुरवा, ग्वालटोली, परेड, मछरिया, जाजमऊ, बेकनगंज की चौकसी बढ़ा दी गई है। कानपुर सीएए, एनआरसी बवाल में दावते-ए-इस्लामी से जुड़े लोग जांच के दौरान प्रकाश में आए थे।

क्या है दावत-ए-इस्लामी
दावते-ए-इस्लामी संगठन की स्थापना 1981 में पाकिस्तान में मौलाना इलियास अत्तारी कादरी ने की थी। इस संगठन का मकसद पैंगंबर-ए-इस्लाम की दी हुई शिक्षा का प्रचार प्रसार करना था। इस संगठन के सदस्य लगभग सभी खाड़ी देशो में हैं। सन् 1990 के दशक में इंडिया समेत कानपुर में विस्तार हुआ था। इंडिया में दावत-ए-इस्लामी संगठन को बरेलवी विचारधारा का समर्थन मिला था। वहीं बरेली शरीफ ने उनकी विचारधारा का विरोध किया था।

दो बड़े जलसे कर चुका है दावत-ए-इस्लामी
भारत में इस संगठन को दावत-ए-इस्लामी हिंद भी कहा जाता है। फिलहाल कानपुर में इस संगठन से लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़े थे। कानपुर में अपनी धाक जमाने के बाद दावत-ए-इस्लामी ने कानपुर में दो बड़े जलसे किए थे। चमनगंज के हलीम कॉलेज मैदान में सेमिनार किया था। जिसमें संगठन के संस्थापाक मौलाना इलियास कादरी शामिल हुआ था। दूसरा बड़ा जलसा 2000 में नारामऊ में हुआ था, जिसमें अंतर्रराष्ट्रीय स्तर के लोगों ने शिरकत की थी। 2019 सीएए, एनआरसी बवाल के बाद संगठन की गतिविधियों में कमी देखी गई थी।

सीएए हिंसा में आया था नाम सामने
सन् 2019 में कानपुर में सीएए के विरोध में हिंसा हुई थी। जिसमें पुलिस पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के फंडिंग की जांच की तो, उसमें दावत-ए-इस्लामी का नाम प्रकाश में आया था। इसके बाद 2021 में एक दर्जन से अधिक धर्मांतरण और अपनी पहचान छिपाकर दूसरे समुदाय की युवतियों को प्रेम जाल में फांसकर निकाह करने फिर धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए थे। जिसमें गरीब परिवार के लड़के हाईकोर्ट में पुलिस के खिलाफ महंगे वकील खड़े कर रहे थे। धर्मांतरण मामले में भी फंडिंग की बात सामने आई थी। इसके साथ ही मुस्लिम इलाकों की दुकानों में बॉक्स लगाए गए थे, जिसमें दावत-ए-इस्लामी के स्टीगर चस्पा थे। जिसमें लोगों से फंड देने की अपील की गई थी। जब पुलिस ने इसकी जांच की तो कोई भी सामने नहीं आया था।

रिपोर्टः सुमित शर्मा

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