कानपुर और उन्नाव के लिए गुड न्यूज, यूपी कैपिटल रीजन के तहत रैपिड रेल, इंटरनैशनल एयरपोर्ट के साथ और भी बहुत कुछ

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कानपुर और उन्नाव के लिए गुड न्यूज, यूपी कैपिटल रीजन के तहत रैपिड रेल, इंटरनैशनल एयरपोर्ट के साथ और भी बहुत कुछ

कानपुर और उन्नाव के लिए गुड न्यूज, यूपी कैपिटल रीजन के तहत रैपिड रेल, इंटरनैशनल एयरपोर्ट के साथ और भी बहुत कुछ

कानपुर : बिजली, सड़क, उद्योग और आधारभूत ढांचे के कई मानकों पर उत्तर प्रदेश को हमेशा पिछड़ा माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ साल में हालात बदले हैं। तेजी से बनते एक्सप्रेस-वे और एयरपोर्टों के बीच नैशनल कैपिटल रीजन की तर्ज पर यूपी कैपिटल रीजन (राज्य राजधानी क्षेत्र) की अवधारणा जन्म ले चुकी है। विशेषज्ञ ग्रुप की रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है, लेकिन यूपीसीआर में सबसे महत्वपूर्ण रोल कानपुर और उन्नाव को निभाना है।

कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) ने इसका खाका खींच दिया है। मुख्य प्रस्तावों में उन्नाव में जेवर जैसा बड़े इंटरनैशनल एयरपोर्ट, कानपुर में स्पेशल इनवेस्टमेंट रीजन और लखनऊ-कानपुर के बीच रैपिड रेल चलाना शामिल है।

यह है समस्या
लखनऊ और कानपुर को हमेशा अलग शहरों के तौर पर देखा जाता है। लखनऊ प्रदेश की राजनीतिक राजधानी है तो कानपुर आर्थिक राजधानी कहा जा सकता है। लखनऊ में बढ़ते शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच कानपुर विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गया। बदहाल सड़कें, बिजली की किल्लत, कानून-व्यवस्था की समस्याओं ने शहर को कई साल पीछे धकेल दिया। लेकिन पिछले कुछ वक्त में कानपुर में मेट्रो और एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

बिजली और सड़कें भी बेहतर हुई हैं। उन्नाव को तो कानपुर-लखनऊ के बीच फंसी सैंडविच सिटी कहा जाता है। गांवों के जिले उन्नाव में पर्याप्त जमीनें हैं, लेकिन आर्थिक विकास न के बराबर है। एक्सप्रेस-वे ओर रिंग रोड जैसी परियोजनाएं बता रही हैं कि अब कनेक्टिविटी बेहतर होने की दिशा में कदम बढ़ाया जा चुका है।

एक और एक ग्यारह समझें
केडीए वीसी अरविंद सिंह के अनुसार, दुनिया में जहां भी तेज आर्थिक प्रगति हुई है, वहां गतिविधियों का हब शहरों का समूह (क्लस्टर ऑफ सिटीज) होता है। जहां बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचा तैयार किया जाता है। उद्योगों और सर्विस सेक्टर को सस्ती जमीन देनी होती है। इससे हर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आता है, जो रोजगार के रास्ते बनाता है। उदाहरण के तौर पर मुंबई-पुणे और बेंगलुरु क्षेत्र को देख लीजिए।

लखनऊ-कानपुर के पास इस मौके का लाभ लेने की भरपूर संभावनाएं हैं। ट्विन सिटीज के बीच उन्नाव में बड़े प्रॉजेक्ट्स के लिए काफी जमीन उपलब्ध है। दोनों शहरों से उन्नाव की दूरी समान है। लखनऊ-कानपुर को नैशनल कैपिटल रीजन का काउंटर मैग्नेट माना जाता है। मतलब, ये शहर विकसित हो जाएं तो दिल्ली-एनसीआर में भीड़ का दबाव घटाया जा सकता है। लखनऊ-कानपुर एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।

ये हैं समाधान
प्रस्तावित यूपीसीआर एक्ट में कानपुर को स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (एसआईआर) घोषित किया जा सकता है। शहरों की तरह ही औद्योगिक विकास की प्लानिंग होगी। केडीए के माध्यम से उद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस दिए जाएंगे। एसआईआर बिल्कुल स्पेशल इकॉनमिक जोन जैसा ही होगा। भारत में सिर्फ गुजरात में 2009 में एसआईआर बनाया गया था।

विदेशी ग्राहक कानपुर-उन्नाव आना चाहते हैं, लेकिन समस्या आधारभूत ढांचे की है। हर स्तर पर काम करना होगा। ऐसा हुआ तो वे खरीदारी करने यूपी आएंगे।

– असद ईराकी, चमड़ा निर्यातक

कानपुर में क्यों संभावनाएं
विश्व बैंक की इकॉनमिक पोटेंशल इंडेक्स में कानपुर का स्कोर 2446 है। फ्रेट कॉरिडोर के रूट पर मौजूद कानपुर देहात और औरैया भी इसमें शामिल है। उन्नाव का स्कोर 2387 और लखनऊ का 2338 है। यूपी के सभी जिलों का औसत 1858 है।

उन्नाव भी होगा विकसित
केडीए वीसी अरविंद सिंह के अनुसार, जब कोई देश विकासशील से विकसित श्रेणी की तरफ बढ़ता है तो आर्थिक प्रगति पहचानने के सबसे बड़े सूचक बड़े-बड़े एयरपोर्ट होते हैं। उन्नाव में बड़े अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का प्रस्ताव दिया गया है। लखनऊ एयरपोर्ट का विस्तार अब संभव नहीं है। कानपुर टर्मिनल भविष्य की जरूरतों के हिसाब से छोटा होगा। उन्नाव में लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे से कनेक्टिविटी वाला एयरपोर्ट नई संभावनाएं खोल देगा। लखनऊ-कानपुर के मौजूदा एयरपोर्ट आगे चलकर घरेलू और कार्गो के काम आ सकते हैं।

ग्रेटर कानपुर का सपना होगा साकार
अरविंद सिंह के अनुसार, जमीन पर उतरते ही यूपीसीआर प्रॉजेक्ट ग्रेटर कानपुर का सपना साकार कर देगा। यूपीसीआर नए इकॉनमिक पावर हाउस के तौर पर विकसित होगा। कानपुर-उन्नाव में बड़ी कंपनियों के लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग हब पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ की मांग पूरी करेंगे। उत्तर प्रदेश कृषि अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ेगा। इन प्रॉजेक्ट्स में बड़े पैमाने पर निजी निवेश भी आएगा। विश्वस्तरीय हाउसिंग सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।

यूपीसीआर प्रॉजेक्ट जमीन पर उतरा तो तेज विकास होगा। अभी विदेशी खरीदार कानपुर नहीं आना चाहते। एयरपोर्ट और बढ़िया सड़कों से विदेशी कानपुर आएंगे। आईटी कंपनियों का भी रुझान बढ़ेगा।

– योगेश अग्रवाल, सीएमडी, रिमझिम इस्पात लिमिटेड

कानपुर-उन्नाव के लिए प्रस्ताव
– 200 हेक्टेयर में चकेरी में एयरपोर्ट के पास न्यू बिजनेस डिस्ट्रिक्ट। जहां लेदर फैक्ट्रियां, बड़े-बड़े शोरूम, होटल, कन्वेंशन सेंटर और हॉस्पिटल होंगे। रिंग रोड से होगा जुड़ाव।
– कानपुर साउथ में डिफेंस, स्टील और रमईपुर में लेदर क्लस्टर
– कानपुर उत्तर में नॉलेज हब, हल्के उद्योग और सर्विस इंडस्ट्री को जगह
– सिंहपुर (बिठूर) में न्यू कानपुर सिटी
– मंधना और चकेरी में मल्टि मोडल हब
– भाऊपुर और सरसौल में लॉजिस्टिक हब (फ्रेट कॉरिडोर)
– बिठूर को धार्मिक केंद्र के तौर पर विकसित करना
– मगरवारा (उन्नाव) में मल्टि मोडल और लॉजिस्टिक हब

उद्योगों का गणित
– कानपुर : 17444
– लखनऊ – 8835
– उन्नाव – 2538

शहरों का एरिया

शहर 2011 में मास्टर प्लान
कानपुर 260 1484
लखनऊ 244 1051
लीडा 242 299
उन्नाव 32 60
(सभी आंकड़े वर्ग किमी में)

प्रदेश की जीडीपी में घटता योगदान
9.1% लखनऊ, कानपुर और उन्नाव का 2011 में
8.54% लखनऊ, कानपुर और उन्नाव का 2020 में

2020 में शहरों मे प्रति व्यक्ति आय
लखनऊ – 90660
कानपुर नगर – 72015
उन्नाव – 44746
गौतमबुद्ध नगर – 592890
उत्तर प्रदेश – 57483

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