कांग्रेस ने क्यों लगाया दलित चेहरे पर दांव? BSP के ‘चेहरों’ से मायावती के ही वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी

71
कांग्रेस ने क्यों लगाया दलित चेहरे पर दांव? BSP के ‘चेहरों’ से मायावती के ही वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी

कांग्रेस ने क्यों लगाया दलित चेहरे पर दांव? BSP के ‘चेहरों’ से मायावती के ही वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी

रोहित मिश्र, लखनऊ: अजय कुमार लल्लू के इस्तीफे के बाद छह महीने से खाली चल रही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी अब पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी के हवाले होगी। खाबरी कांशीराम के दलित मूवमेंट के दौर से बसपा में जुड़े और कई साल तक कांशीराम और मायावती के निर्देशन में काम करने के बाद साल 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए। प्रदेश की सियासत में मायावती दलित पॉलिटिक्स का अहम चेहरा हैं और कई साल पहले दलित वोटर बसपा में जा चुका है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि आखिर अब दोबारा कांग्रेस दलित चेहरे पर दांव क्यों लगा रही है? वह भी उन चेहरों से, जो एक वक्त में बीएसपी की ही पॉलिटिक्स का चेहरा रहे हों।

माना जा रहा है कि चूंकि बीएसपी का ग्राफ लगातार गिरा है। इस गिरावट में कांग्रेस अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है। अगर कांग्रेस खाबरी के चेहरे से दलितों के बीच विश्वास पैदा कर सकी तो यह उसके लिए उम्मीद का वह दरवाजा होगा, जिसके मुहाने पर खड़ी कांग्रेस प्रदेश की सियासत में दिन बहुरने का इंतजार कर रही है। 2019 में दलित वोटरों में ओबीसी और मुस्लिमों के जुड़ाव का ही असर था कि सपा और बसपा मिलकर 15 सीटें जीतने में कामयाब हो सके थे। कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे हैं कि साल 2024 का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा, जहां कांग्रेस भाजपा से सीधे मुकाबिल होगी। ऐसे में कभी कांग्रेस के वोटर रहे दलित फिर उसकी तरफ लौटे तो यह उसकी स्थिति मजबूत करेगा।

जातियां जोड़ने का फॉर्म्युला
अध्यक्ष के अलावा छह प्रांतीय अध्यक्ष भी घोषित किए गए हैं। अगर इन सात चेहरों को देखा जाए तो कांग्रेस अलग-अलग जातियों लुभाती दिखती है। बृजलाल खाबरी जहां दलित वर्ग से आते हैं तो प्रांतीय अध्यक्षों में दो ब्राह्मण, एक मुस्लिम, एक भूमिहार और एक पिछड़ी जाति से हैं। माना जा रहा है कि इनके कार्य क्षेत्र भी इनके जातीय आधार पर बांटे जाएंगे। सूत्र बताते हैं कि पूर्वांचल में वीरेंद्र चौधरी, प्रयाग में अजय राय, अवध में नकुल दुबे, ब्रज में अनिल यादव और बुंदेलखंड में योगेश दीक्षित को जिम्मेदारी दी जाएगी।

महावीर प्रसाद के बाद अब बृजलाल
तकरीबन ढाई दशक के बाद कांग्रेस ने दलित समुदाय को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान दी है। उनके पहले महावीर प्रसाद 90 के शुरुआती दशक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं। दलित प्रदेश अध्यक्षों में महावीर के अलावा सुखदेव प्रसाद भी एक बड़ा नाम रहे। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन रावत बताते हैं कि जालौन की तहसील कोंच के खाबरी गांव में जन्मे बृजलाल दलित मूवमेंट के अगुआ रहे कांशीराम से प्रभावित होकर राजनीति में आए।

कांग्रेस के कई लोगों में असंतोष
प्रदेश अध्यक्ष और उनके साथ प्रांतीय अध्यक्ष घोषित होने के बाद कांग्रेस के कई पुराने चेहरों में खासा असंतोष है। असंतोष की बड़ी वजह वे नाम हैं, जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है। कई नेताओं का कहना है कि ज्यादातर लोग बाहरी हैं।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News