कश्मीर में पिता की शहादत के 20 साल बाद बेटी सेना में जाने को तैयार, गर्व से सीना चौड़ा करने वाली कहानी

22
कश्मीर में पिता की शहादत के 20 साल बाद बेटी सेना में जाने को तैयार, गर्व से सीना चौड़ा करने वाली कहानी

कश्मीर में पिता की शहादत के 20 साल बाद बेटी सेना में जाने को तैयार, गर्व से सीना चौड़ा करने वाली कहानी


हरियाणा की रहने वाली इनायत सेना में अधिकारी बनने को तैयार हैं। वह अपने पिता को आदर्श मानकर देश की सेवा में जाना चाहती हैं। उनके पिता मेजर नवनीत वत्स 2003 में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हो गए थे। इनायत सेना में जाने वाली अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं। उनके नाना भी एक कर्नल थे।

ढाई साल की उम्र में उठ गया था पिता का साया

पंचकुला की इनायत, उसके माता-पिता की इकलौती संतान हैं। पिता मेजर नवनीत वत्स जब शहीद हुए, तब वह महज 2.5 साल की थीं। पिता को श्रीनगर में एक बिल्डिंग क्लियरेंस के दौरान आतंकियों ने गोलियां मार दी थीं। मेजर नवनीत वत्स को मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित भी किया गया था। इनायत अप्रैल में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्नई में शामिल होंगी।

डीयू से पढ़ाई की, फिर तैयारी

डीयू से पढ़ाई की, फिर तैयारी

दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक करने के बाद वह वर्तमान में डीयू के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर रही है। इनायत को हरियाणा सरकार ने राजपत्रित अधिकारी के पद का ऑफर दिया था। यह ऑफर सरकार की शहीदों के परिजनों के लिए नौकरी की योजना के तहत दिया गया।

ठुकराई हरियाणा सरकार के अधिकारी की नौकरी

ठुकराई हरियाणा सरकार के अधिकारी की नौकरी

इनायत ने हरियाणा सरकार से मिले गजटेड अधिकारी की नौकरी को स्वीकार नहीं किया क्योंकि वह अपने पिता की तरह सेना में जाना चाहती हैं। उन्होंने अपने जीवन का यही लक्ष्य बनाया था। इनायत की मां शिवानी ने तमाम चिंताओं के बावजूद अपनी बेटी का साथ दिया।

मां को बेटी के फैसले पर गर्व

मां को बेटी के फैसले पर गर्व

शिवानी कहती हैं कि वह एक बहादुर की बेटी है। जब उसने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की, तो सभी ने सोचा कि वह हरियाणा सरकार की प्रस्तावित नौकरी लेगी और मेरे पास ही रहेगी। लेकिन वह एक शहीद की बेटी है, और उसके लिए सेना में जाने का एक मात्र टारगेट था और उसने वह हासिल किया।

शादी के 4 साल में ही शहीद हो गए थे पति

-4-

शिवानी बताती हैं कि वह महज 23 साल की थीं तब उनकी शादी हुई थी। शादी के साल ही वह गर्भवती हो गईं। बेटी का जन्म हुआ, शादी को चार साल ही हुए थे और महज 27 साल की उम्र में उनका सुहाग उजड़ गया। शिवानी की पास के चंडी मंदिर में आर्मी पब्लिक स्कूल में नौकरी लग गई। वह नौकरी करने लगीं और बेटी को पालने लगीं।

मां से पूछा एक सवाल और फिर कर लिया फैसला

मां से पूछा एक सवाल और फिर कर लिया फैसला

शिवानी ने बताया कि इनायत ने एक बार उनसे पूछा था, ‘अगर मैं लड़का होता, तो तुम क्या करतीं?’ मैंने उससे कहा, ‘मैं उसे एनडीए या आईएमए में शामिल होने के लिए कहती। मुझे खुशी है कि एक आरामदायक जीवन के विकल्प होने के बावजूद, उसने अपने पिता का अनुसरण करना चुना।’

नाना और मामा भी सेना में

नाना और मामा भी सेना में

इनायत ने कहा कि उनके दो मामा, 9-सिख लाइट इन्फैंट्री के कर्नल विश्वनाथ तिवारी और 4/3-गोरखा राइफल्स के कर्नल मृदुला वर्मा ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए तैयार करने में मदद की। यह उनका दूसरा प्रयास था। उसने पहले सेवा चयन बोर्ड (SSB) क्वालिफाई किया लेकिन अंतिम मेरिट सूची में उसे जगह नहीं मिल सकी।

पंजाब की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Punjab News