‘कर्मों का फल इसी जीवन में मिल जाता है, Roli Tiwari के निष्‍कासन पर क्‍यों बोलीं Pankhudi Patahk

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‘कर्मों का फल इसी जीवन में मिल जाता है, Roli Tiwari के निष्‍कासन पर क्‍यों बोलीं Pankhudi Patahk

‘कर्मों का फल इसी जीवन में मिल जाता है, Roli Tiwari के निष्‍कासन पर क्‍यों बोलीं Pankhudi Patahk


लखनऊ: रामचरित मानस विवाद (Ramcharit Manas controversy) पर समजावादी पार्टी में लगातार उठा पटक मची हुई है। ताजा मामले में सपा ने अपनी दो महिला नेताओं ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा (Roli Tiwari Mishra) को पार्टी से निकाल दिया। ये दोनों पिछले कुछ दिनों से लगातार अपनी पार्टी के नेता स्‍वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya) के खिलाफ बोल रही थीं। पार्टी के इस फैसले से रोली काफी आहत दिखीं। लेकिन पूर्व सपा महिला नेता पंखुड़ी पाठक (Pankhudi Pathak) ने इस पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘कर्मों का फल इसी जीवन में मिल जाता है।

पंखुड़ी ने सिलसिलेवार ढंग कई ट्वीट किए। पहले ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, ‘2017 में सपा के चुनाव हारने के बाद मेरे ऊपर जातिवादी हमले शुरू हो गए थे। 2018 में मैंने इसी कारण से सामाजवादी पार्टी छोड़ी और बताया भी कि यह पार्टी ब्राह्मण व महिला विरोधी है। तब सपा के कई ‘ सवर्ण’ नेताओं ने अपने बॉस के सामने नंबर बनाने के लिए मेरा विरोध किया या शांत रहे।’

दूसरे ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, ‘मुझ पर जातिवादी और महिला विरोधी हमले करने वाली लंपटों की सेना में कुछ महिलाएं भी शामिल थी जो मेरे पार्टी से जाने को अपने लिए अवसर के रूप में देखती थी। उसमें यह महिला भी शामिल थी जिसे उस समय शायद अपने ‘ब्राह्मण’ होने का एहसास नहीं था और यह भी जातिवादी ट्रोलिंग करती थी।’

तीसरे ट्वीट में पूर्व सपा नेता ने कहा, ‘मेरे पार्टी छोड़ते ही सपा के ब्राह्मण व महिला विरोधी होने पर चर्चा होने लगी तो आनन-फानन में इस महिला को प्रवक्ता बना दिया गया। उसी की एक खबर इन्होंने तब शेयर करी थी जिसमें लिखा है कि ‘पंखुड़ी पाठक का विरोध करने वाली…’ अन्य गालीबाज़ महिलाओं को भी सपा में पद दिए गए।’

अगले ट्वीट में सपा के सवर्ण नेताओं पर हमला करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘सपा में कुछ ‘सवर्ण’ नेता हैं जिनकी विचारधारा सिर्फ अवसरवाद है। वह अपने समाज के लिए गाली सुन कर भी सत्ता के लोभ में सपा में बने रहते हैं जब कि सब जानते हैं कि सपा की राजनीति सिर्फ सवर्ण विरोध (और अब हिंदू धर्म विरोध) पर आधारित है जो कि एक बार फिर साबित हो चुका है।’

इस बयान को जारी करते हुए उन्‍होंने अगले ट्वीट में कहा, ‘कल पार्टी से निकाली दो में से एक महिला भी इसी सवर्ण विरोधी राजनीति का हिस्सा थी। प्रवक्ता पद से हटाए जाने के बाद वह चर्चा में आने के लिए ‘ब्राह्मणों’ की राजनीति करने लगी लेकिन इनका इतिहास देखेंगे तो सब स्पष्ट हो जाएगा। सपा में अन्य सवर्ण नेताओं का भी यही हश्र होना तय है।’

अंत में सबसे मारक ट्वीट के रूप में उन्‍होंने लिखा, ‘बहुत दिनों से लोग मुझे टैग कर रहे थे पर मैंने कुछ बोलना उचित नहीं समझा। लेकिन आज किसी ने यह स्क्रीनशॉट भेजा तो लगा कि लोगों को सच जानने का अधिकार है। एक बार पूरा पढ़िएगा और समझिएगा। अपने कर्मों का फल इसी जीवन में मिलता है। इससे ज़्यादा इस विषय पर और कुछ नहीं कहूंगी।’

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