कभी रंग और पटाखे बेच परिवार का पेट भरते थे ‘लगान’ के लाखा, 3 नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं यशपाल शर्मा

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कभी रंग और पटाखे बेच परिवार का पेट भरते थे ‘लगान’ के लाखा, 3 नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं यशपाल शर्मा

कभी रंग और पटाखे बेच परिवार का पेट भरते थे ‘लगान’ के लाखा, 3 नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं यशपाल शर्मा

आपको फिल्म ‘लगान’ का ‘लाखा’ याद है? वही लाखा, जिसने गौरी के प्रति अपने एकतरफा प्यार के लिए अपनी ही टीम को धोखा दे दिया था। यह किरदार निभाया था एक्टर यशपाल शर्मा ने। इस किरदार में यशपाला शर्मा हर तरफ छा गए थे। इस फिल्म के बाद यशपाल शर्मा के पास फिल्म के ऑफर्स की बाढ़ आ गई थी। आज यशपाल शर्मा एक एक्टर ही नहीं बल्कि डायरेक्टर भी हैं। यही नहीं उनकी दो फिल्मों को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।

लेकिन यहां तक का यशपाल शर्मा का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा। होली के रंग बेचने से लेकर नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्मों तक का यशपाल शर्मा का सफर बेहद इंस्पायरिंग है। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की ‘मंडे मोटिवेशन’ सीरीज जानिए यशपाल शर्मा की फर्श से अर्श पर पहुंचने की कहानी।

मुश्किलों भरा बचपन, प्रेरणा भरा सफर

हरियाणा के हिसार में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे यशपाल शर्मा की शुरुआती जिंदगी बहुत मुश्किलों भरी रही। यशपाल शर्मा को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ वह छोटे-मोटे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। दशहरा के दौरान यशपाल शर्मा रामलीला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। एक्टिंग का चस्का यशपाल शर्मा को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ले आया और फिर यहां से मुंबई।

लगान में यशपाल शर्मा, फोटो: YouTube

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गरीबी में बचपन, कभी रंग बेचे तो कभी पटाखे
लेकिन इससे पहले यशपाल शर्मा और उनके परिवार ने बहुत बुरे दिन देखे। यूं समझ लीजिए कि यशपाल शर्मा का बचपन बेहद गरीबी में बीता। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि यशपाल शर्मा को आठवीं क्लास से ही काम करना पड़ा ताकि परिवार का सहारा बन सकें। जिम्मेदारियां क्या होती है, इसका अहसास यशपाल शर्मा को परिस्थितियों ने बचपन में ही करवा दिया और समय से पहले समझदार भी बना दिया। शायद यही वजह रही कि जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, यशपाल शर्मा ने उस उम्र से काम करना शुरू कर दिया और कभी घरवालों से पैसे नहीं मांगे।

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लगान में लाखा के रोल में यशपाल शर्मा, फोटो: Twitter

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300 रुपये महीने की तनख्वाह पर जूलरी शॉप में किया काम
यशपाल शर्मा खुद के साथ-साथ परिवार का सहारा बनने के लिए जो काम मिलता, वही करते। होली के त्योहार के वक्त वह रंग बेचते तो दिवाली के त्योहार पर पटाखे बेचते। जो कमाई होती, उससे परिवार का गुजारा चलता। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता और यह बात यशपाल शर्मा ने अपने स्ट्रगल के दिनों में ही नहीं बल्कि फिल्मी करियर में भी ध्यान रखी। एक समय ऐसा भी था जब यशपाल शर्मा एक जूलरी शॉप में काम कर रहे थे। तब उन्हें महीने के मात्र 300 रुपये मिलते थे। लेकिन यशपाल शर्मा अपने उन दुखभरे दिनों को याद कर व्यथित नहीं होते। बल्कि इसे वह अपनी एक अनमोल धरोहर मानते हैं, जिसकी बदौलत आज वह एक एक्टर बने हैं।

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यशपाल शर्मा, फोटो: epicture.timesgroup.com/agencies

पहला फिल्मी ब्रेक, ‘लगान’ ने यशपाल शर्मा को दी पॉपुलैरिटी
यशपाल शर्मा 1997 में मुंबई आए ताकि बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। स्ट्रगल तो वह बचपन से कर रहे थे, ऐसे में मायानगरी का स्ट्रगल उनका हिम्मत नहीं तोड़ पाया। उन्हें फिल्मों में पहला मौका गोविंद निहलानी की फिल्म ‘हजार चौरासी की मां’ से मिला। लेकिन इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम पाने में यशपाल शर्मा को लंबा वक्त लग गया। इस फिल्म से उन्हें एक्टिंग का ब्रेक तो मिल गया, पर असली पहचान ऑस्कर में भेजी गई आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ से मिली। लोग आज भी यशपाल शर्मा को ‘लगान’ के ‘लाखा’ के नाम से याद करते हैं।

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ऐसे मिली थी फिल्म ‘लगान’


यशपाल शर्मा को ‘लगान’ मिलने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। इसका कनेक्शन क्राइम टीवी शो ‘सीआईडी’ से जुड़ा हुआ है। दरअसल ‘सीआईडी’ के कुछ एपिसोड्स में डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर और यशपाल शर्मा ने एक साथ काम किया था। डायरेक्टर बनने से पहले आशुतोष गोवारिकर एक एक्टर थे। ‘सीआईडी’ में काम करने के दौरान आशुतोष गोवारिकर ने यशपाल शर्मा की काबिलियत को करीबी से देखा और ‘लगान’ ऑफर की।

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यशपाल शर्मा, फोटो: ETimes

बॉलीवुड से ब्रेक लेकर हरियाणवी फिल्मों में काम
इस फिल्म के बाद यशपाल शर्मा ने ‘गंगाजल’, ‘अब तक छप्पन’ जैसी कई फिल्में कीं। वह प्रकाश झा और श्याम बेनेगल की फिल्मों में अकसर नजर आने लगे। यशपाल शर्मा ने ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’, ‘अपहरण’, ‘वेलकम टू सज्जनपुर’, ‘सिंह इज किंग’, ‘वेल डन अब्बा’, ‘ये साली जिंदगी’, ‘आरक्षण’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘राउडी राठौर’ जैसी कई फिल्में कीं। इनमें यशपाल शर्मा को उनके अलग-अलग किरदारों में खूब पसंद किया गया।

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यशपाल की इन तीन फिल्मों को मिला नेशनल अवॉर्ड
लेकिन 2014 से यशपाल शर्मा ने बॉलीवुड से ब्रेक ले लिया और वह हरियाणवी फिल्मों में काम करने लगे। उनकी ‘पगड़ी: द ऑनर’ और ‘सतरंगी’ जैसी हरियाणवी फिल्मों को खूब पसंद किया गया। दोनों ही फिल्मों ने नेशनल अवॉर्ड जीते। यही नहीं, यशपाल शर्मा की फिल्म ‘दादा लख्मी’ ने हाल ही हुए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में हरियाणवी में बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड जीता। ‘दादा लख्मी’ दुनियाभर में करीब 60 अवॉर्ड जीत चुकी है।

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यशपाल शर्मा, फोटो: ETimes

लोगों ने मारे ताने और उड़ाया मजाक, नहीं हारे हिम्मत
यशपाल शर्मा को इस बात की खुशी होती है कि उन्होंने हरियाणवी फिल्मों के लिए बॉलीवुड फिल्मों से जो ब्रेक लेने का फैसला किया था, वह कारगर साबित हुआ। उनकी मेहनत रंग लाई। यशपाल शर्मा की तीन-तीन हरियणवी फिल्में नेशनल अवॉर्ड विनर हैं। दुनियाभर में ढेरों अव़र्ड जीत चुकी ‘दादा लख्मी’ के लिए यशपाल शर्मा को करीब 20 प्रोजेक्ट्स से हाथ धोना पड़ा था। इस बारे में यशपाल शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘घर चलाना था तो बीच-बीच में काम भी किया। लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। हिम्मत तोड़ते थे, पर मैंने हार नहीं मानी। मैंने फिल्म पर फोकस रखा और मेहनत करता रहा।

यशपाल शर्मा अभी भी हरियाणवी फिल्मों में एक्टिव हैं, लेकिन वह बीच-बीच में हिंदी फिल्में भी कर रहे हैं। 2017 में वह सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’ में मेजर राजबीर टोकस के रोल में नजर आए थे। इसके अलावा वह एक बांग्लादेशी फिल्म भी कर चुके हैं।