कभी नक्सली का दामाद होने की मिली था सजा, अब UGC नेट में लहराया परचम… पढ़िए औरंगाबाद के गजेंद्र की कहानी

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कभी नक्सली का दामाद होने की मिली था सजा, अब UGC नेट में लहराया परचम… पढ़िए औरंगाबाद के गजेंद्र की कहानी

कभी नक्सली का दामाद होने की मिली था सजा, अब UGC नेट में लहराया परचम… पढ़िए औरंगाबाद के गजेंद्र की कहानी

औरंगाबाद: बिहार-झारखंड के स्पेशल एरिया कमिटी के कमांडर इन चीफ रहे संदीप यादव के दामाद गजेंद्र नारायण ने यूजीसी में सफलता का झंडा गाड़ा है। गजेंद्र नारायण ने यूजीसी की जेआरएफ नेट परीक्षा में 99 परसेंटाइल अंक हासिल किए हैं। गजेंद्र नारायण औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के खिरियावां पंचायत के बर्डीह गांव के निवासी है। वर्तमान में गजेंद्र नारायण दिल्ली के एक केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

अपनी सफलता पर गजेंद्र ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि 4 साल पहले उनके करियर के साथ खिलवाड़ किया गया था। नक्सली संदीप यादव को सरेंडर कराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों ने उनके करियर से खिलवाड़ किया। उन्हें एक झूठे मुकदमे में जेल भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 11 लाख रुपये का फ्लैट खरीदने के मामले में केस दर्ज कर जेल भिजवाया, जबकि तब तक वे फ्लैट की रकम से ज्यादा वेतन पा चुके थे।

झूठे केस में जेल भेजा गया था: गजेंद्र यादव
गजेंद्र ने बताया कि जब झूठे केस में उन्हें जेल भेजा गया था, तब तक उनके पास वेतन के करीब 36 लाख रुपये थे। लेकिन 11 लाख रुपये के फ्लैट बुक करने के मामले में ईडी ने उनपर केस दर्ज किया। इस मामले में पटना में सरेंडर भी किया था। इसके बाद उन्हें बेउर जेल भेज दिया गया था। इससे उनके जीवन के लगभग चार साल का बहुमूल्य समय बर्बाद हो गया।

जेल में रहकर ही दी परीक्षा: गजेंद्र
गजेंद्र ने कहा कि जेल में उन्होंने एक-एक दिन पहाड़ की तरह गिनकर काटे हैं। इसके बावजूद उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों की इस तरह की कार्रवाई का असर अपने करियर पर नहीं पड़ने दिया। जेल में रहने के दौरान समय बिताने के लिए किताबें पढ़ते थे। उन्होंने जेल से ही जेआरएफ की तैयारी की और परीक्षा दी। जेल से बाहर आने के बाद जब नेट का रिजल्ट आया तो उन्हें इतिहास विषय में 98.66 परसेंटाइल नम्बर मिले।

‘पढ़ाई के अलावा कभी किसी तरह का गैरकानूनी काम नहीं किया’
उन्होंने कहा कि उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था कि वे परीक्षा में अच्छे अंक जरूर लाएंगे। उन्होंने अपने सपने को सच कर दिखाया। उन्होंने जीवन में सिर्फ पढ़ाई की है। पढ़ाई के अलावा कभी किसी तरह का गैरकानूनी कार्य नहीं किया है। लेकिन उन्हें फंसा कर उनकी जिंदगी के कीमती चार साल बर्बाद कर दिए गए। वे अपने जीवन को नए तरीके से शुरू करना चाहते हैं।

प्रोफेसर बनकर छात्रों को निशुल्क दूंगा: गजेंद्र
गजेंद्र ने बताया कि ‘अब जेएनयू में जाकर पीएचडी करूंगा। मेरी इच्छा है कि बिहार में प्रोफेसर बनकर छात्रों को निशुल्क शिक्षा दूं।’ उन्होंने कहा कि जेआरएफ पास करने के बाद उन्हें अब स्कॉलरशिप मिलेगी, जिससे वे पीएचडी पूरी कर बिहार में ही प्रोफेसर की नौकरी करना चाहते हैं।

गजेंद्र के पिता हैं इंजीनियर
गजेंद्र ने उच्च शिक्षा बीएचयू से प्राप्त की है और उनके पिता इंजीनियर हैं। गजेंद्र को पीएचडी करने के लिए भारत सरकार हर महीने 35 हजार रुपए देगी। गजेंद्र को 32 महीना पटना के बेउर जेल में बिताने पड़े। इसके बावजूद उन्होंने अपने हौसले को हारने नहीं दिया और जेल में रहते हुए भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसी का नतीजा है कि गजेंद्र ने जेआरएफ में 98.66 परसेंटाइल हासिल किया। रिजल्ट आने के बाद उनके परिजन भी अपने बेटे की इस सफलता पर इतरा रहे है और साथ मे गर्व भी महसूस कर रहे हैं।

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