कब से है ब्रिटिश हाई कमिशन, जानें इसके शुरू होेन की पूरी कहानी…

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कब से है ब्रिटिश हाई कमिशन, जानें इसके शुरू होेन की पूरी कहानी…

कब से है ब्रिटिश हाई कमिशन, जानें इसके शुरू होेन की पूरी कहानी…

लंदन में भारतीय हाई कमिशन में खालिस्तान समर्थकों अलगाववादियों ने हाई कमीशन पर लगा तिरंगा उतार दिया। इसके बाद दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिशन के बाहर इस घटना के विरोध में सिखों ने प्रदर्शन किया। ब्रिटेन में हुई इस घटना ने काफी गरमागरमी का माहौल बना दिया है। ब्रिटेन में इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी थी और अतिरिक्त बैरिकेड लगाए थे। लेकिन यह सुरक्षा कल हटा ली गई है। हालांकि पुलिस ने इसके लिए ट्रैफिक की परेशानी को कारण बताया है लेकिन ब्रिटिश हाई कमिशन से अतिरिक्त सुरक्षा हटाकर भारत ने खामोशी से सख्त कूटनीतिक संदेश दिया है। दोनों देशों ने भले ही इसे सुरक्षा से जुड़ा मामला बताया लेकिन भारत ने संदेश दिया कि उसकी नाराजगी को हल्के में न लिया जाए और उसके दूतावास की सुरक्षा को पूरी अहमियत मिले। ब्रिटेन में भारत के दूतावास के सामने अलगाववादियों के हंगामे से भारत नाराज है। उसी दिन विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश अधिकारियों को तलब कर सफाई मांगी थी। आइए जानते हैं भारत मे ब्रिटिश हाई कमिशन कब से है…

​ब्रिटिश हाई कमिशन कब से

दरअसल भारत सरकार की तरफ से 1955 के बाद राजधानी के चाणक्यपुरी एरिया में विभिन्न देशों को अपनी एंबेसी और हाई कमिशन बनाने के लिए प्लॉट दिए जाने लगे थे। उसके बाद यहां अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, सूडान जैसे देशों की इमारतें सबसे पहले बनकर तैयार हुईं। ये 1960 तक की बात है। अगर बात चौतरफा हरियाली से घिरे ब्रिटिश हाई कमिशन परिसर की करें तो यहां काम करने वाले ब्रिटेन के स्टाफ के लिए घर भी बने हैं। यहां पर ब्रिटिश वीजा लेने वालों की भीड़ लगी रहती है। कोरोना काल में तो यहां पर ताला लग गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उन्हें सम्मान देते हुए ब्रिटिश हाई कमिशन ने अपने देश के झंडे को झुका दिया था।

कहां रहते ब्रिटेन के हाई कमिश्नर

कहां रहते ब्रिटेन के हाई कमिश्नर

भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर 2 राजाजी मार्ग के अपने भव्य बंगले में बैठकर अपने देश में चल रही भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर चिंतित जरूर होंगे। दरअसल देश के आजाद होने के बाद भारत सरकार ने 2 राजाजी मार्ग (तब हेस्टिंग्स रोड) ब्रिटेन सरकार को अपना हाई कमिशन बनाने के लिए आवंटित कर दिया था। हालांकि बाद में हाई कमिशन की नई इमारत बनी। इसी राजाजी मार्ग के 4 नंबर के बंगले में भारतीय सेनाध्यक्ष का सरकारी आवास है। इसी तरह नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुटियन 10 राजाजी मार्ग में रहते थे। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद उसी बंगले में प्रणव कुमार मुखर्जी रहते थे, जिसमें लुटियन रहा करते थे। यह डबल स्टोरी बंगला है। लुटियंस दिल्ली के बहुत ही कम बंगले बंगले डबल स्टोरी है। इसी बंगले में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी भी रहे हैं। चूंकि इधर कुछ समय तक सी.राजगोपालचारी भी रहे हैं, इसलिए इसके आगे की सड़क का नाम उनके नाम पर राजाजी मार्ग रख दिया गया था।

दिल्ली में ब्रिटेन का एक और अहम प्रतीक​

दिल्ली में ब्रिटेन का एक और अहम प्रतीक​

आपको राजधानी में ब्रिटेन के सबसे अहम प्रतीकों में कस्तूरबा गांधी मार्ग पर ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी मिलेगी। यह शब्दों के शैदाइयों का स्वर्ग है। इधर तमाम विषयों की हजारों किताबें हैं। एक बेहद शांत और उत्तम माहौल में आप इधर अपने मन की किताबें, पत्रिकाएं और अखबार पढ़ सकते हैं। यह लाइब्रेरी पहले रफी मार्ग पर थी। करीब 20 साल पहले कस्तूरबा गांधी मार्ग की शानदार इमारत में शिफ्ट हुई। इसका डिजाइन भारत के चोटी के आर्किटेक्ट चार्ल्स कुरिया ने तैयार किया था। उन्होंने दिल्ली में एक से बढ़कर एक बेहतरीन और कल्पनाशीलता से लबरेज इमारतों के डिजाइन बनाए थे। उन्होंने ही जनपथ पर विशाल जीवन भारती बिल्डिंग को भी डिजाइन किया था।

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