कप्तान ने बीमर मारने से मना किया तो नाराज़ हो गया गेंदबाज, लंच ब्रेक में अड़ा दी चाकू, पढ़ें पूरा किस्सा | West Indies bowler Roy Gilchrist got angry at the captain during a test match | Patrika News

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कप्तान ने बीमर मारने से मना किया तो नाराज़ हो गया गेंदबाज, लंच ब्रेक में अड़ा दी चाकू, पढ़ें पूरा किस्सा | West Indies bowler Roy Gilchrist got angry at the captain during a test match | Patrika News


कप्तान ने बीमर मारने से मना किया तो नाराज़ हो गया गेंदबाज, लंच ब्रेक में अड़ा दी चाकू, पढ़ें पूरा किस्सा | West Indies bowler Roy Gilchrist got angry at the captain during a test match | Patrika News

इस गेंदबाज का नाम रॉय गिलक्रिस्ट (Roy Gilchrist) था। गिलक्रिस्ट तेज गेंदबाजी तो करते ही थे। साथ में कभी-कभी अटैकिंग भी हो जाते थे। कई बार जब उन्हें विकेट नहीं मिलता था। तो वे बल्लेबाज को लगातार बाउंसर डालना शुरू कर देते थे और उनके सर पर गेंद मारते थे।

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यह ऐसा दौर था जब क्रिकेट में गेंदबाजों के लिए कोई हद नहीं थी। गेंदबाज लगातार बाउंसर मार कर बैट्समैन को डराते, और फिर आउट कर देते थे। बल्लेबाजों के पास भी प्रोपर गेयर्स नहीं होते थे। बिना ग्रिल के हेलमेट पहन ऐसे गेंदबाजों का सामना करना सब के बाद की बात नहीं थी।

1957 में इंग्लैंड के खिलाफ रॉय ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया। इसके ठीक एक साथ बाद टीम पाकिस्तान दौरे पर गई। तब गिलक्रिस्ट की एक गेंद ने हनीफ मोहम्मद के होश उड़ा दिये। हनीफ ने इसी सीरीज़ में 337 रन की परी खेली थी।

लेकिन गिलक्रिस्ट ने उस एक गेंद से हनीफ का पूरा कॉन्फिडेंस खत्म कर दिया। हनीफ बाउंसर देख कर कभी झुकते नहीं थे। वे बस लाइन से हट जाते थे। लेकिन रॉय की गेंद उनकी नाक के बहुत करीब से गुज़री। हनीफ कहते हैं कि आज भी जब वे उस गेंद को याद करते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

अबतक तो अपने अंदाज़ा लगा लिया होगा कि रॉय गिलक्रिस्ट किस गेंदबाज का नाम था। 958-59 में वेस्ट इंडीज की टीम भारत के दौरे पर आई। पांच टेस्ट मैच की इस टेस्ट सीरीज के लिए वेस्ट इंडीज की टीम नॉर्थ ज़ोन से वर्मअप मैच खेल रही थी।

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नॉर्थ ज़ोन के कप्तान स्वर्णजीत सिंह थे। वेस्टइडीज़ के कप्तान जेरी अलेक्जेंडर थे और वे स्वर्णजीत सिंह के अच्छे दोस्त भी थे। तीसरे दिन नॉर्थ ज़ोन को मैच जीतने के लिए 246 रन चाहिए थे और नॉर्थ ज़ोन के 77 रन पर चार विकेट गिर चुके थे।

क्रीज़ पर कप्तान स्वर्णजीत बल्लेबाजी कर रहे थे। लांच के लिए आखिरी ओवर बचा था और यह ओवर अलेक्जेंडर ने रॉय को दे दिया। रॉय ने ओवर की दूसरी गेंद योर्कर डाली। लेकिन स्वर्णजीत ने बेहतरीन स्ट्रेट ड्राइव खेलते हुए उसे सीमा रेखा के पार पहुंचा दिया। इसके बाद स्वर्णजीत ने वो किया जो शायद ही कोई अन्य बल्लेबाज रॉय के सामने करने की हिम्मत कर सकता था।

नॉर्थ ज़ोन के कप्तान ने मज़े लेते हुए रॉय से कहा, ‘ये शॉट अच्छा लगा? खूबसूरत था, नहीं?’ बस फिर क्या था। रॉय का माथा फिर गया और उन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे तेज़ गेंद डाली। वो भी सीधा बीमर। स्वर्णजीत ने बचते हुए उसमें बल्ला लगा दिया और गेंद हवा में चली गई। लेकिन फील्डर ने यह कैच ड्रॉप कर दिया। अब रॉय का गुस्सा और भी बढ़ गया था।

रॉय ने अगली गेंद फिर बीमर मारी। इस बार फिर स्वर्णजीत बच गए। यह देख कप्तान अलेक्जेंडर वहां आ गए और रॉय से बीमर नहीं डालने को कहा। लेकिन रॉय के सर पर गुस्सा सवार था, उन्होंने कप्तान की बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए फिर बीमार मारा। हालांकि किसी तरह उस ओवर में स्वर्णजीत बच गए और ठीकठाक पविलियन पहुंच गए।

लंच के दौरान अलेक्जेंडर ने रॉय पर नाराज़ होते हुए कहा कि आप अगली फ्लाइट से वापस जा रहे हैं। यह सुनते ही रॉय और नाराज़ हो गए और उन्होंने चाकू उठा लिया। इसके बाद उन्होंने अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला। वह सिर्फ इंग्लैंड काउंटी क्लब लेंकशा के लिए खेलते रहे।





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