कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर के बिशुनपुर बघनगरी पंचायत ने पेश की मिसाल

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कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर के बिशुनपुर बघनगरी पंचायत ने पेश की मिसाल

कचरा प्रबंधन में मुजफ्फरपुर के बिशुनपुर बघनगरी पंचायत ने पेश की मिसाल


मुजफ्फरपुर: बिहार को लेकर कई बार दूसरे राज्य के लोग नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर जिले के बघनगरी पंचायत ने कचरा प्रबंधन मिसाल पेश किया है। इस पंचायत को ना केवल सम्मानित किया गया है बल्कि, कचरा प्रबंधन के इस मॉडल को कर्नाटक जैसा राज्य अपनाने जा रहा है। बिशनपुर बघनगरी का कचरा प्रबंधन बिहार से निकलकर कर्नाटक सहित पूरे देश में लागू करने की योजना है। कचरा प्रबंधन की इस तकनीक को सीखने के लिए कर्नाटक से IAS ऑफिसर के नेतृत्व में 8 लोगों की टीम पहुंची है। बघनगरी पंचायत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में आत्मनिर्भर हो गया है।

10 अगस्त 2022 को डीएम प्रणब कुमार की ओर से ठोस और तरल अपशिष्ट इकाई का उद्घाटन किया गया था। बिशनपुर बाघनगरी के मुखिया बबीता कुमारी ने बताया कि स्वच्छता मित्र अपनी ड्रेस में हर दिन सुबह-सुबह घरों में जाकर कूड़ा कचरे का उठाब करते हैं। घरों से दो किस्म के कूड़े निकलते हैं। गीला कचरे में सब्जी, फल, किचन अवशेष और बकरी का मल आता है।

सूखा कचरे में अखबार कागज और पन्नी शीशा का ठोस अपशिष्ट पदार्थ आता है। दोनों कचरे का अलग-अलग छटाई किया जाता है। कचरे को जैविक खाद के रूप में तैयार करने में छह महीने का समय लगता है। गीला कचरे को अपशिष्ट के रूप में एक गड्ढे में डालकर छोड़ दिया जाता है, जिससे एक कंपोस्ट जैविक खाद के रूप में तैयार हो जाता है।

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इसी तरह एक-दूसरा कंपोस्ट खाद को तैयार किया जाता है। बघनगरी पंचायत में जितने भी पेड़ पौधे लगाए गए हैं, सभी में जैविक खाद उपयोग होता है। यहां के लोगों को बाजार से उपलब्ध खादों पर निर्भरता घटता जा रहा है। मांग के अनुरूप जैविक खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। एक पंचायत से जितनी जैविक खाद की जरूरत है उतनी उत्पाद कर पूर्ति भी नहीं किया जा सकता है।

बघनगरी पंचायत के जनता भी काफी जागरूक हैं। स्वच्छता के प्रति भी लोगों में काफी संवेदना है। कैंसर रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण कचरे से निकलने वाला प्रदूषण है। पंचायत प्लास्टिक मुक्त हो इसके लिए एक रुपये रोज का यूजर चार्ज भी लोग दे रहे हैं। इसी यूजर चार्ज से यहां के स्वच्छता मित्र को पेमेंट किया जाता है और इस काम में लगभग 17 से 20 लोगों को रोजगार दिया गया है। मुखिया बबिता कुमारी ने बताया कि कचरे से पंचायत में जो जैविक खाद उपलब्ध कराया जाता है। तीन रुपए किलो किसानों को दिया जाता है।
रिपोर्ट: के रघुनाथ

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