ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए शिवराज ने लगाया जोर, कोर्ट में बड़े वकीलों को उतारेगी सरकार
हाइलाइट्स
- ओबीसी आरक्षण को लेकर सीएम शिवराज ने मंत्रियों के साथ तीन घंटे तक किया मंथन
- ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए शिवराज सरकार लगा रही जोर
- कोर्ट में पैरवी के लिए सरकार बड़े वकीलों को उतारेगी
- सीएम शिवराज विपक्ष के आरोपों पर आक्रामक नजर आ रहे
भोपाल
एमपी में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण (OBC Reservation News) देने पर कोर्ट का स्टे लगा हुआ है। मानसून सेशन के दौरान विपक्ष ने इसे लेकर जबरदस्त हंगामा किया था। अब शिवराज सरकार ने इसे भूनाने की कोशिश शुरू कर दी है। एमपी सरकार ने ओबीसी को आरक्षण दिलाने के लिए जोर लगा दिया है। गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे लेकर अहम बैठक की है। बैठक के दौरान मंत्री मोहन यादव, कमल पटेल, भूपेंद्र सिंह और महाधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव समेत कई नेता मौजूद रहे हैं। सीएम ने तमाम कानूनी दांव-पेंच पर मंथन किया है।
वहीं, मंथन के दौरान यह फैसला लिया गया है कि कोर्ट में सरकार बड़े वकीलों को उतारेगी, जो दमदार तरीके से पक्ष रख सकें। एमपी सरकार की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और तुषार मेहता कोर्ट में आरक्षण के पक्ष में अपनी बात रख सकते हैं। सितंबर महीने में इसे लेकर कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई होनी है। मीटिंग के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी की सरकार प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है।
बीजेपी चलाएगी जोरदार अभियान
ओबीसी आरक्षण प्रदेश में सियासी मुद्दा बन गया है। सदन में सीएम शिवराज सिंह चौहान इसे लेकर आक्रामक नजर आए थे। वह पूरा ठिकरा कांग्रेस पर फोड़ रहे थे कि इनकी वजह से ओबीसी को आरक्षण नहीं मिल पाया है। सीएम ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट किया है कि हम जनता के बीच जाकर, यह बताएं कि कमलनाथ की पहल से पहले 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ ही मेरिट में आने वालों को नौकरी में भी मेरिट के हिसाब से जगह मिल जाती थी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार ने अपनी कैबिनेट यह करवा दिया कि 14 फीसदी के अलावा कोई और आरक्षण नहीं मिलेगा।
गौरतलब है कि एमपी में जल्द ही नगर निकाय और पंचायत के चुनाव होने हैं। बीजेपी इस मुद्दे को भूनाना चाहती है। इसलिए ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने को लेकर जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसे जनता के बीच में पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस काम में संघ भी जुटेगा। संघ की टोलियां गांव-गांव में यह बात पहुंचाएगी।
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हाइलाइट्स
- ओबीसी आरक्षण को लेकर सीएम शिवराज ने मंत्रियों के साथ तीन घंटे तक किया मंथन
- ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए शिवराज सरकार लगा रही जोर
- कोर्ट में पैरवी के लिए सरकार बड़े वकीलों को उतारेगी
- सीएम शिवराज विपक्ष के आरोपों पर आक्रामक नजर आ रहे
एमपी में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण (OBC Reservation News) देने पर कोर्ट का स्टे लगा हुआ है। मानसून सेशन के दौरान विपक्ष ने इसे लेकर जबरदस्त हंगामा किया था। अब शिवराज सरकार ने इसे भूनाने की कोशिश शुरू कर दी है। एमपी सरकार ने ओबीसी को आरक्षण दिलाने के लिए जोर लगा दिया है। गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे लेकर अहम बैठक की है। बैठक के दौरान मंत्री मोहन यादव, कमल पटेल, भूपेंद्र सिंह और महाधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव समेत कई नेता मौजूद रहे हैं। सीएम ने तमाम कानूनी दांव-पेंच पर मंथन किया है।
वहीं, मंथन के दौरान यह फैसला लिया गया है कि कोर्ट में सरकार बड़े वकीलों को उतारेगी, जो दमदार तरीके से पक्ष रख सकें। एमपी सरकार की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और तुषार मेहता कोर्ट में आरक्षण के पक्ष में अपनी बात रख सकते हैं। सितंबर महीने में इसे लेकर कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई होनी है। मीटिंग के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी की सरकार प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है।
बीजेपी चलाएगी जोरदार अभियान
ओबीसी आरक्षण प्रदेश में सियासी मुद्दा बन गया है। सदन में सीएम शिवराज सिंह चौहान इसे लेकर आक्रामक नजर आए थे। वह पूरा ठिकरा कांग्रेस पर फोड़ रहे थे कि इनकी वजह से ओबीसी को आरक्षण नहीं मिल पाया है। सीएम ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट किया है कि हम जनता के बीच जाकर, यह बताएं कि कमलनाथ की पहल से पहले 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ ही मेरिट में आने वालों को नौकरी में भी मेरिट के हिसाब से जगह मिल जाती थी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार ने अपनी कैबिनेट यह करवा दिया कि 14 फीसदी के अलावा कोई और आरक्षण नहीं मिलेगा।
गौरतलब है कि एमपी में जल्द ही नगर निकाय और पंचायत के चुनाव होने हैं। बीजेपी इस मुद्दे को भूनाना चाहती है। इसलिए ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने को लेकर जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसे जनता के बीच में पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस काम में संघ भी जुटेगा। संघ की टोलियां गांव-गांव में यह बात पहुंचाएगी।